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बाजारों में लौटी रौनक से शिल्पकारों को बंधी आस, भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति से पटे बाजार - Muzaffarpur news today

बिहार के मुजफ्फरपुर में विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) को लेकर शिल्पकार उत्साहित हैं. लगातार दो वर्ष से कोरोना की मार झेल रहे मूर्तिकला बाजार की रौनक लौट आई है. भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति की मांग से मूर्तिकारों को बड़ी राहत मिली है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Sep 16, 2021, 8:12 PM IST

मुजफ्फरपुर: कोरोना महामारी (Corona Epidemic) का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है. करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है, उन्हीं में शिल्पकार भी शामिल हैं. इनलोगों को पूरे दो साल कोरोना की मार झेलनी पड़ी. लेकिन अब पर्व त्योहार के मौके पर मंदिरों और पूजा पंडाल में पूजा करने की अनुमति के बाद एक बार फिर से मूर्ति निर्माण से जुड़े शिल्पकारों को आस बंधी है. शुक्रवार को होने वाले भगवान विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) के लिए इन्हें मूर्तियों के ऑर्डर मिल रहे हैं.

यह भी पढ़ें- Lockdown Effect: कोरोना की मार झेल रहे बिहार के 40% स्टार्टअप प्रभावित

कोरोना का असर कम होने से लंबे अरसे से बंद पड़े मूर्तिकला निर्माण से जुड़े बाजारों की रौनक लौटने लगी है. कोरोना को लेकर सभी प्रतिबंध खत्म होने के बाद से मूर्तिकार एक बार फिर अपने मूर्तिकला व्यवसाय से जुड़ गए हैं. यही वजह है कि इस बार बड़ी संख्या में मूर्तिकारों ने देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति को तैयार कर अपने काम का आगाज कर दिया है.

देखें वीडियो

"पूरे दो साल तो मूर्ति पूजा नहीं होने से हमें परेशानी उठानी पड़ी. लेकिन अब एक बार फिर से पंडालों में पूजा हो रही है ऐसे में हमें ऑर्डर भी मिल रहे हैं. उत्साहित हैं हम दाम भी ठीक मिल रहा है. जो भी नुकसान होमलोग सहे हैं उसका धीरे धीरे भरपाई हो जाएगा."- सुधीर कुमार,
शिल्पकार

वहीं इस बार बाजार में विश्वकर्मा पूजा को लेकर मूर्तियों की मांग भी बढ़ी है. ऐसे में अब मूर्तिकारों के चेहरे पर रौनक लौटने लगी है. हालांकि मूर्तिकारों की मानें तो इस कारोबार में उन्हें पिछले दो वर्षों से काफी नुकसान उठाना पड़ा है,लेकिन अब विश्वकर्मा पूजा से एक नई उम्मीद जगी है. इन लोगों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस कारोबार की खोई हुई रौनक लौट आएगी. मूर्तिकारों को उम्मीद है कि अब बाजार के खुलने से उन्हें खरीदार मिल पाएंगे.

"परेशानी इस बार कम है. हालांकि मूर्ति कम बिक रही है. बाजार ज्यादा उठेगा हमें नहीं लग रहा है."-प्रमोद कुमार, शिल्पकार

बता दें कि कोरोना काल में मंदिर बंद थे. पंडाल में पूजा की अनुमति नहीं थी. ऐसे में शिल्पकारों का धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया था. कई शिल्पकारों को तो इस काम को छोड़कर दूसरे क्षेत्र का रुख तक करना पड़ा था. कोरोना संक्रमण के दौरान मूर्तियों की डिमांड लगभग खत्म हो चुकी थी. लेकिन एक बार फिर से धीमी पड़े कोरोना संक्रमण के बीच बाजारों की रौनक लौट आई है.

वहीं इन शिल्पकारों ने अपने काम की शुरुआत भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति बनाकर की है. भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर माना जाता है. हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माणकर्ता और शिल्पकार माना जाता है. इन्हें यंत्रों का देवता कहा जाता है. विश्वकर्मा ब्रह्मा के 7वें पुत्र हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक़, ब्रह्मा जी के निर्देशानुसार विश्वकर्मा जी ने इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक और लंका आदि राजधानियों का निर्माण किया था. ऐसे में इन लोगों ने इनकी मूर्ति बनाकर अपने काम का एक बार फिर से श्रीगणेश किया है.

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मुजफ्फरपुर: कोरोना महामारी (Corona Epidemic) का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है. करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है, उन्हीं में शिल्पकार भी शामिल हैं. इनलोगों को पूरे दो साल कोरोना की मार झेलनी पड़ी. लेकिन अब पर्व त्योहार के मौके पर मंदिरों और पूजा पंडाल में पूजा करने की अनुमति के बाद एक बार फिर से मूर्ति निर्माण से जुड़े शिल्पकारों को आस बंधी है. शुक्रवार को होने वाले भगवान विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) के लिए इन्हें मूर्तियों के ऑर्डर मिल रहे हैं.

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कोरोना का असर कम होने से लंबे अरसे से बंद पड़े मूर्तिकला निर्माण से जुड़े बाजारों की रौनक लौटने लगी है. कोरोना को लेकर सभी प्रतिबंध खत्म होने के बाद से मूर्तिकार एक बार फिर अपने मूर्तिकला व्यवसाय से जुड़ गए हैं. यही वजह है कि इस बार बड़ी संख्या में मूर्तिकारों ने देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति को तैयार कर अपने काम का आगाज कर दिया है.

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"पूरे दो साल तो मूर्ति पूजा नहीं होने से हमें परेशानी उठानी पड़ी. लेकिन अब एक बार फिर से पंडालों में पूजा हो रही है ऐसे में हमें ऑर्डर भी मिल रहे हैं. उत्साहित हैं हम दाम भी ठीक मिल रहा है. जो भी नुकसान होमलोग सहे हैं उसका धीरे धीरे भरपाई हो जाएगा."- सुधीर कुमार,
शिल्पकार

वहीं इस बार बाजार में विश्वकर्मा पूजा को लेकर मूर्तियों की मांग भी बढ़ी है. ऐसे में अब मूर्तिकारों के चेहरे पर रौनक लौटने लगी है. हालांकि मूर्तिकारों की मानें तो इस कारोबार में उन्हें पिछले दो वर्षों से काफी नुकसान उठाना पड़ा है,लेकिन अब विश्वकर्मा पूजा से एक नई उम्मीद जगी है. इन लोगों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस कारोबार की खोई हुई रौनक लौट आएगी. मूर्तिकारों को उम्मीद है कि अब बाजार के खुलने से उन्हें खरीदार मिल पाएंगे.

"परेशानी इस बार कम है. हालांकि मूर्ति कम बिक रही है. बाजार ज्यादा उठेगा हमें नहीं लग रहा है."-प्रमोद कुमार, शिल्पकार

बता दें कि कोरोना काल में मंदिर बंद थे. पंडाल में पूजा की अनुमति नहीं थी. ऐसे में शिल्पकारों का धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया था. कई शिल्पकारों को तो इस काम को छोड़कर दूसरे क्षेत्र का रुख तक करना पड़ा था. कोरोना संक्रमण के दौरान मूर्तियों की डिमांड लगभग खत्म हो चुकी थी. लेकिन एक बार फिर से धीमी पड़े कोरोना संक्रमण के बीच बाजारों की रौनक लौट आई है.

वहीं इन शिल्पकारों ने अपने काम की शुरुआत भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति बनाकर की है. भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर माना जाता है. हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माणकर्ता और शिल्पकार माना जाता है. इन्हें यंत्रों का देवता कहा जाता है. विश्वकर्मा ब्रह्मा के 7वें पुत्र हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक़, ब्रह्मा जी के निर्देशानुसार विश्वकर्मा जी ने इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक और लंका आदि राजधानियों का निर्माण किया था. ऐसे में इन लोगों ने इनकी मूर्ति बनाकर अपने काम का एक बार फिर से श्रीगणेश किया है.

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