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मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड : पीड़ितों का पटना IGIMS में सरकारी खर्च पर होगा इलाज - ईटीवी बिहार न्यूज

बिहार के मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड (Muzaffarpur Cataract Case ) के ऑपरेशन के बाद जिन मरीजों के आंख में परेशानी है, उनका इलाज पटना स्थित इंदिरा गाधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (IGIMS) में सरकारी खर्च पर इलाज कराये जाने की तैयारी है. वहीं आज भी कई मरीजों को ऑपरेशन कर आंखें निकाली जा सकती हैं. पढ़ें पूरी खबर...

मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड
मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड
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Published : Dec 3, 2021, 8:22 AM IST

मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड (Muzaffarpur Cataract Case ) के ऑपरेशन के बाद जिन मरीजों के आंख में परेशानी है, उनका इलाज पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में सरकारी खर्च पर कराया जा सकता है. इसके लिए मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में भर्ती मरीजों और अन्य पीड़ितों को सरकारी खर्चे पर पटना IGIMS लाया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Health Minister Mangal Pandey) ने इस संबंध में जिला सिविल सर्जन (Muzaffarpur Civil Surgeon) को निर्देश दिया है.

इसे भी पढ़ें : मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड: MP अजय निषाद ने की मुआवजे की मांग, कहा- दोषियों पर हो सख्त कार्रवाई

बता दें कि इस मामले में एसकेएमसीएच में 21 मरीज भर्ती (21 patients admitted in SKMCH) हैं. जिसमें 11 ऐसे मरीज हैं जिनकी आंखें निकाली गई हैं. वहीं, 10 मरीज ऐसे हैं जिनके संक्रमण का इलाज चल रहा है. इलाज के बाद कल कई लोगों की संक्रमित आंखों को निकाला जा सकता है. अब तक कुल 15 लोगों की आंखों को निकाला (Removed Eyes of 15 People) गया है, जिसमें 4 आई हॉस्पिटल और 11 एसकेएमसीएच में भर्ती हैं, जो कि सरकारी आंकड़ा है. वहीं आज भी एसकेएमसीएच अस्पताल में भर्ती कई मरीजों का ऑपरेशन कर आंखे निकाली जा सकती है.

वहीं, इस मुद्दे पर जमकर सियासत भी हो रही है. विपक्ष ने नीतीश सरकार से उन डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की है. जाप सुप्रीमो पप्पू यादव ने पूरी घटना की निंदा की और सरकार पर निशाना है. वहीं पप्पू यादव आज (Pappu Yadav Visit Muzaffarpur) मुजफ्फरपुर का दौरा कर पीड़ित परिवार के परिजनों से आज मुलाकात करेंगे.
ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड पर बरसीं राबड़ी देवी, कहा- इस सरकार में कोई सुरक्षित नहीं, इस्तीफा दें स्वास्थ्य मंत्री

मुजफ्फरपुर जिले के जोरन छपरा स्थित (Cataract Operation Camp in Muzaffarpur) आई हॉस्पिटल में बीते 22 नवंबर को हुए एक साथ 65 लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद सभी लोगों की आंखों में अचानक संक्रमण होने लगा और एक-एक कर अब तक 15 लोगों की आंखें हमेशा के लिए निकाली जा चुकी है. वहीं, अभी करीब एक दर्जन लोग जिन्हें आंखों में संक्रमण है वे अभी एसकेएमसीएच में भर्ती कराए गए हैं. प्रशासन की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अब तक 15 लोगों की ऑपरेशन कर आंख निकाली गया है, जिसमें चार मरीजों की आंख आई हॉस्पिटल के द्वारा निकाला गया था. वहीं, 11 मरीजों का आंख एसकेएमसीएच में निकाला गया है.

ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड : आज 3 और मरीजों की निकाली जाएंगी आंखें, अबतक 15 की निकाली जा चुकी आंखें

सभी ऑपरेशन कराने वाले बिहार के विभिन्न जिले के साथ यूपी के रहनेवाले थे. जिसमें मुजफ्फरपुर के 26, पूर्वी चंपारण-16, पश्चिमी चंपारण-07, वैशाली-07, शिवहर-02 समस्तीपुर-05, खगड़िया-01 और यूपी के कुशीनगर एक मरीज ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था. इस पूरे प्रकरण के बाद पटना से स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉक्टर हरीश चंद्र ओझा के नेतृत्व में जांच टीम भेजी गई जो आई हॉस्पिटल का भी जांच पड़ताल की. वहीं, एसकेएमसीएच में भर्ती 21 मरीजों और उनके परिजनों से भी बातचीत की.

बता दें कि मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड (Muzaffarpur Cataract Case) में सीएस के बयान पर ब्रह्मपुरा थाने में आई हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज (Case filed against Muzaffarpur eye hospital) किया गया है. आई हॉस्पिटल में ऑपरेशन होने के बाद संक्रमण के चलते 15 लोगों ने हमेशा के लिए अपनी आंखें गंवा दी थी. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन पर बड़ी लापरवाही बरतने का आरोप लगा है.

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मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड (Muzaffarpur Cataract Case ) के ऑपरेशन के बाद जिन मरीजों के आंख में परेशानी है, उनका इलाज पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में सरकारी खर्च पर कराया जा सकता है. इसके लिए मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में भर्ती मरीजों और अन्य पीड़ितों को सरकारी खर्चे पर पटना IGIMS लाया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Health Minister Mangal Pandey) ने इस संबंध में जिला सिविल सर्जन (Muzaffarpur Civil Surgeon) को निर्देश दिया है.

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बता दें कि इस मामले में एसकेएमसीएच में 21 मरीज भर्ती (21 patients admitted in SKMCH) हैं. जिसमें 11 ऐसे मरीज हैं जिनकी आंखें निकाली गई हैं. वहीं, 10 मरीज ऐसे हैं जिनके संक्रमण का इलाज चल रहा है. इलाज के बाद कल कई लोगों की संक्रमित आंखों को निकाला जा सकता है. अब तक कुल 15 लोगों की आंखों को निकाला (Removed Eyes of 15 People) गया है, जिसमें 4 आई हॉस्पिटल और 11 एसकेएमसीएच में भर्ती हैं, जो कि सरकारी आंकड़ा है. वहीं आज भी एसकेएमसीएच अस्पताल में भर्ती कई मरीजों का ऑपरेशन कर आंखे निकाली जा सकती है.

वहीं, इस मुद्दे पर जमकर सियासत भी हो रही है. विपक्ष ने नीतीश सरकार से उन डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की है. जाप सुप्रीमो पप्पू यादव ने पूरी घटना की निंदा की और सरकार पर निशाना है. वहीं पप्पू यादव आज (Pappu Yadav Visit Muzaffarpur) मुजफ्फरपुर का दौरा कर पीड़ित परिवार के परिजनों से आज मुलाकात करेंगे.
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मुजफ्फरपुर जिले के जोरन छपरा स्थित (Cataract Operation Camp in Muzaffarpur) आई हॉस्पिटल में बीते 22 नवंबर को हुए एक साथ 65 लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद सभी लोगों की आंखों में अचानक संक्रमण होने लगा और एक-एक कर अब तक 15 लोगों की आंखें हमेशा के लिए निकाली जा चुकी है. वहीं, अभी करीब एक दर्जन लोग जिन्हें आंखों में संक्रमण है वे अभी एसकेएमसीएच में भर्ती कराए गए हैं. प्रशासन की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अब तक 15 लोगों की ऑपरेशन कर आंख निकाली गया है, जिसमें चार मरीजों की आंख आई हॉस्पिटल के द्वारा निकाला गया था. वहीं, 11 मरीजों का आंख एसकेएमसीएच में निकाला गया है.

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सभी ऑपरेशन कराने वाले बिहार के विभिन्न जिले के साथ यूपी के रहनेवाले थे. जिसमें मुजफ्फरपुर के 26, पूर्वी चंपारण-16, पश्चिमी चंपारण-07, वैशाली-07, शिवहर-02 समस्तीपुर-05, खगड़िया-01 और यूपी के कुशीनगर एक मरीज ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था. इस पूरे प्रकरण के बाद पटना से स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉक्टर हरीश चंद्र ओझा के नेतृत्व में जांच टीम भेजी गई जो आई हॉस्पिटल का भी जांच पड़ताल की. वहीं, एसकेएमसीएच में भर्ती 21 मरीजों और उनके परिजनों से भी बातचीत की.

बता दें कि मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड (Muzaffarpur Cataract Case) में सीएस के बयान पर ब्रह्मपुरा थाने में आई हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज (Case filed against Muzaffarpur eye hospital) किया गया है. आई हॉस्पिटल में ऑपरेशन होने के बाद संक्रमण के चलते 15 लोगों ने हमेशा के लिए अपनी आंखें गंवा दी थी. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन पर बड़ी लापरवाही बरतने का आरोप लगा है.

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