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बिहार में फिर जानवेला साबित हो रहा चमकी बुखार, मुजफ्फरपुर में बच्ची की मौत, अब तक 3 की गयी जान - बिहार में चमकी बुखार

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (Chamki Bukhar in Muzaffarpur) का कहर एक बार फिर देखने को मिल रहा है. एसकेएमसीएच में चमकी बुखार से बच्ची की मौत हो गई है. अब तक तीन बच्चों की मौत हो गयी है. पढ़ें पूरी खबर...

Chamki fever in Bihar
Chamki fever in Bihar
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Published : Jun 1, 2022, 9:52 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार में चमकी बुखार (Chamki fever in Bihar) ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से एक बच्ची की मौत (Girl child dies of Chamki Bukhar in Muzaffarpur) हो गई. मृतका की पहचान शिवानी कुमारी के रूप में हुई है. वह काटी इलाके की रहने वाली थी. परिजनों ने बताया कि अचानक सुबह में उसके शरीर में बहुत ज्यादा ऐंठन होने लगी और तेज बुखार था. इसके बाद उसे स्थानीय पीएचसी काटी में ले जाया गया जहां से डॉक्टरों ने उसे तत्काल मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. मेडिकल कॉलेज के पीकू वार्ड में कई घंटों तक इलाज के बावजूद उसकी मौत हो गयी.

ये भी पढ़ें: बिहार में चमकी बुखार का कहर! मुजफ्फरपुर में हुई एक और बच्चे की मौत

इससे पहले 2 बच्चों की मौत: एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर (SKMCH Muzaffarpur) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 45 बच्चे भर्ती हुए हैं. जिसमें से अब तक 3 बच्चों की मौत हुई है. इसमें कांटी रहने वाली शिवानी कुमार, सीतामढ़ी के अंकित कुमार तथा वैशाली के कुंदन कुमार की मौत हुई है.

रोकथाम के लिए अभियान जारी: लगातार प्रशासन की तरफ से रोकथाम के लिए प्रचार प्रसार अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन, चमकी बुखार ने बीते वर्षों में जिस तरह से कहर बरपाया है, उस पर लगाम जरूर लगा है, लेकिन रफ्तार अभी भी जारी है. जरूरत है सभी लोगों को जागरूक रहने की और बच्चों पर विशेष ध्यान देने की. अन्यथा जिस तरह गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखा रही है, ऐसे में परेशानियां कम होती नहीं दिख रही है.

'एसकेएमसीएच में अब तक 45 बच्चे मेडिकल कॉलेज में एडमिट हुए हैं. जिसमें से अब तक 3 बच्चों की मौत हुई है. बाकी सभी बच्चों को उपाचर कि बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है.'- डॉ. गोपाल शंकर सहनी, एसकेएमसीएच के उपाधीक्षक सह शिशु रोग विभागाध्यक्ष.

चमकी बुखार के लक्षण : इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) भी कहा जाता है. एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है.

इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं. साथ ही बच्चे के मुंह में झाग निकलना और उसको झटका लगना. अगर बच्चों को सास लेने में दिक्कत हो या दांत बंद हो जाए. तो तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.

इन बातों का रखें ध्यान : बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें. तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें. बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे. अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं. पीएचसी, आशा, सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी.

ये भी पढ़ें: AES ने बिहार में दी दस्तक, पिछले एक दशक में 600 से अधिक बच्चों की जा चुकी है जान

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मुजफ्फरपुर: बिहार में चमकी बुखार (Chamki fever in Bihar) ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से एक बच्ची की मौत (Girl child dies of Chamki Bukhar in Muzaffarpur) हो गई. मृतका की पहचान शिवानी कुमारी के रूप में हुई है. वह काटी इलाके की रहने वाली थी. परिजनों ने बताया कि अचानक सुबह में उसके शरीर में बहुत ज्यादा ऐंठन होने लगी और तेज बुखार था. इसके बाद उसे स्थानीय पीएचसी काटी में ले जाया गया जहां से डॉक्टरों ने उसे तत्काल मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. मेडिकल कॉलेज के पीकू वार्ड में कई घंटों तक इलाज के बावजूद उसकी मौत हो गयी.

ये भी पढ़ें: बिहार में चमकी बुखार का कहर! मुजफ्फरपुर में हुई एक और बच्चे की मौत

इससे पहले 2 बच्चों की मौत: एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर (SKMCH Muzaffarpur) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 45 बच्चे भर्ती हुए हैं. जिसमें से अब तक 3 बच्चों की मौत हुई है. इसमें कांटी रहने वाली शिवानी कुमार, सीतामढ़ी के अंकित कुमार तथा वैशाली के कुंदन कुमार की मौत हुई है.

रोकथाम के लिए अभियान जारी: लगातार प्रशासन की तरफ से रोकथाम के लिए प्रचार प्रसार अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन, चमकी बुखार ने बीते वर्षों में जिस तरह से कहर बरपाया है, उस पर लगाम जरूर लगा है, लेकिन रफ्तार अभी भी जारी है. जरूरत है सभी लोगों को जागरूक रहने की और बच्चों पर विशेष ध्यान देने की. अन्यथा जिस तरह गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखा रही है, ऐसे में परेशानियां कम होती नहीं दिख रही है.

'एसकेएमसीएच में अब तक 45 बच्चे मेडिकल कॉलेज में एडमिट हुए हैं. जिसमें से अब तक 3 बच्चों की मौत हुई है. बाकी सभी बच्चों को उपाचर कि बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है.'- डॉ. गोपाल शंकर सहनी, एसकेएमसीएच के उपाधीक्षक सह शिशु रोग विभागाध्यक्ष.

चमकी बुखार के लक्षण : इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) भी कहा जाता है. एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है.

इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं. साथ ही बच्चे के मुंह में झाग निकलना और उसको झटका लगना. अगर बच्चों को सास लेने में दिक्कत हो या दांत बंद हो जाए. तो तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.

इन बातों का रखें ध्यान : बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें. तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें. बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे. अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं. पीएचसी, आशा, सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी.

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