मुजफ्फरपुर: बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) के लिए 12 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. आखिरी दो दिनों में सभी दलों की ओर से जमकर प्रचार किया जा रहा है. हालांकि बीजेपी नेताओं को कई जगहों पर लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है. खासकर बीजेपी प्रत्याशी बेबी कुमारी (BJP Candidate Baby Kumari) को लेकर लोगों में नाराजगी है. यही वजह है कि प्रचार के दौरान भी लोग खुलकर उनका विरोध कर रहे हैं. वहीं उनके पक्ष में प्रचार करने पहुंचे बीजेपी विधायक राणा रंधीर सिंह (BJP MLA Rana Randhir Singh) को भी लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा है.
बोचहां में बेबी कुमारी का विरोध: दरअसल, एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक गांव में प्रचार करने पहुंचीं बीजेपी उम्मीदवार बेबी कुमारी को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा है. यहां लोग उनसे इतने नाराज दिखे कि सीधे-सीधे कह दिया. 'देखिये मैडम कम्यूनिटी ने क्या सेंशन किया, नहीं किया हमलोग नहीं जानते हैं लेकिन आप सीधा है कि जिसका चेहरा पहचानते हैं, उसका काम होगा और जिसका चेहरा नहीं पहचानते हैं उसका काम नहीं होगा.'
हमारे नेता नीतीश की फोटो क्यों नहीं: वहीं, इस दौरान कुछ जेडीयू कार्यकर्ताओं ने प्रचार वाहन पर नीतीश कुमार की फोटो और पार्टी का झंडा नहीं लगाने का भी मामला उठाया. कार्यकर्ताओं ने कहा, 'मैडम जब हमारे नेता का ही फोटो नहीं है तो आपको काहे वोट देंगे. हमारा नेता नीतीश कुमार है, मोदी जी नहीं. ना तो नीतीश जी का फोटो है और ना ही मांझी जी का है. काहे नहीं हमारे नेता का फोटो लगाए हैं.
नेता का कोई बंधुआ मजदूर नहीं होता: जेडीयू कार्यकर्ताओं के रोष को देखते हुए बेबी कुमारी लगातार सफाई देती रहती हैं कि दूसरी गाड़ी पर उनकी फोटो लगी है. अगर कोई दिक्कत है तो आप लोग अपने नेता से बात करिए. जिस पर बिदक कर एक कार्यकर्ता कहता है, 'सुनिए मैडम नेता का कोई बंधुआ मजदूर नहीं होता है, नेता हमसे होता है. हम उनसे नहीं हैं.'
राणा रंधीर सिंह भी आक्रोश का शिकार: वहीं, एक अन्य वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक राणा रंधीर सिंह को स्थानीय लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा. नाराज शख्स की बातों से साफ पता चलता है कि वह बीजेपी और उनके कैंडिडेट से खासा नाराज हैं. उनकी बातों से ये समझ में आ रहा है कि वह शायद 'भूमिहार' समाज से ताल्लुक रखते हैं. वो लगातार अपनी बात कहते रहते हैं और विधायक चुपचाप उनकी बात सुनते रहते हैं.
'आप लोगों को आक्रोश झेलना पड़ेगा': इस दौरान बीच-बीच में राणा रंधीर सिंह उस शख्स को समझाने की कोशिश करते हैं और ये भी आश्वस्त करना चाहते हैं कि जहां जो भी गलती हुई या आपकी शिकायत है, उन्हें आने वाले समय में दूर कर लिया जाएगा लेकिन वह शख्स बोले चले जाते हैं और साफ कहते हैं कि आप लोगों को हमारे समाज का आक्रोश तो झेलना ही पड़ेगा. जब बांध टूट रहा था, तब सरकार का कौन आदमी हमलोगों को देखने भी आया था.
बेबी कुमारी को एंटी इन्कमबेंसी का नुकसान: माना जा रहा है कि बीजेपी की मौजूदा प्रत्याशी बेबी कुमारी से लोग काफी नाराज हैं. वह 2015 में यहां भारी बहुमत से निर्दलीय जीत चुकी हैं. उस कार्यकाल का खामियाजा उन्हें इस बार मिलता हुआ दिख रहा है. बोचहां की बड़ी आबादी में उनकी पिछले कार्यकाल के कार्यों से नाराजगी है. लोग खुल कर इसका विरोध भी कर रहे हैं. इसके बाद सत्ता में उनकी पार्टी की सरकार होने के कारण भी सहानुभूति वोट उनसे छिटकता हुआ दिख रहा है.
बेबी ने रमई राम को हराया: बेबी कुमारी ने 2015 के चुनाव में 9 दफा से बोचहां का प्रतिनिधित्व कर रहे रमई राम को 25 हजार वोटों से शिकस्त दी थी. वो भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर हराया था. बेबी कुमारी को सीटिंग विधायक होने के बाद भी 2020 के चुनाव में जब टिकट नहीं मिला और बोचहां सीट वीआईपी के कोटे में चली गई तो पार्टी ने उन्हें प्रदेश महामंत्री का पद दिया. 2020 चुनाव में वीआईपी से मुसाफिर पासवान यहां से विधायक बने, उनके निधन के बाद बोचंहा विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा. जिसमें बेबी कुमारी अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं.
निर्णायक भूमिका में भूमिहार: बोचहां विधानसभा में इस बार अगड़े खास कर भूमिहार निर्णायक भूमिका में है. स्थानीय प्रतिनिधि के मुताबिक पूरे विधानसभा में लगभग 30 हजार से ज्यादा भूमिहार जाति के वोटर हैं. ये जिस तरफ एकमुश्त वोट डाल देंगे उनकी जीत तय है. हालांकि, इस वर्ग ने अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है. सभी दलों के बड़े नेता इस पर अपना डेरा डाल रहे हैं. वहीं, बिहार विधान परिषद चुनाव में आरजेडी के तीन भूमिहार एमएलसी बनने के बाद चर्चा है कि भूमिहार समाज के वोटों में बंटवारा हो सकता है, जोकि बीजेपी के लिए चिंता का सबब बना हुआ है.
मुसाफिर पासवान के निधन से सीट खाली: बोचहां विधानसभा क्षेत्र के विधायक मुसाफिर पासवान का निधन 24 नवंबर को हो गया था. वो वीआईपी से विधायक थे. पिछले विधानसभा चुनाव में यह सीट गठबंधन में वीआईपी को मिली थी. मुसाफिर पासवान विधायक बने थे. उनके निधन से यह सीट खाली हुई थी. मुसाफिर पासवान का सभी दलों के नेताओं से बेहतर संबंध था. उन्होंने आरजेडी के कद्दावर नेता रमई राम को 11,268 वोटों के मार्जिन से हराया था. इससे पहले मुसाफिर साल 2005 में आरजेडी के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे. इस विधानसभा क्षेत्र में 22 प्रखंड में 285 मतदान केंद्र हैं, उसमें 12 अप्रैल को मतदान होना है. 16 अप्रैल को चुनाव परिणाम घोषित होंगे. इस उपचुनाव में आरजेडी ने मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को उम्मीदवार बनाया है, जबकि मुकेश सहनी ने पूर्व मंत्री रमई राम की बेटी गीता कुमारी पर दांव खेला है.
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