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बिहार: जॉब कार्ड के बाद भी नहीं मिला काम, दाने-दाने को मोहताज प्रवासी मजदूरों का परिवार - work

कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान करीब 90 हजार प्रवासी मजदूर कटिहार लौटे थे. इन सभी मजदूरों को बिहार सरकार ने प्रदेश में ही रोजगार देने की बात कही थी. इसके लिए जॉब कार्ड तो बना लेकिन कामगारों को काम नहीं मिला. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

कटिहार
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Published : Aug 17, 2020, 8:41 PM IST

कटिहार: प्रवासी मजदूरों का रोजगार कार्ड बनने के बाद भी जिले में अब तक किसी को भी रोजगार नहीं मिला है. मजदूरों को घर परिवार चलाने में काफी समस्याऔं का सामना करना पड़ रहा है. जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई मदद नहीं मिल पाई है. लॉकडाउन के दौरान करीब 90 हजार प्रवासी मजदूर कटिहार लौटे थे. वहीं जिला प्रशासन की मानें तो 80 हजार मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया जा चुका है.

कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लगे लॉकडाउन के कारण बड़े शहरों में कई कंपनियां बंद हो गए, जिस कारण से लोगों का रोजी-रोजगार ठप पड़ गया है. लॉकडाउन के दौरान बिहार में लाखों प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौट आए. बता दें कि कटिहार जिले में भी करीब 90 हजार प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौटे हैं. इन सभी मजदूरों को राज्य सरकार ने राज्य में ही रोजगार देने की बात कही थी और इसके लिए कई जिलों में सर्वे कर इन मजदूरों को चिन्हित किया गया. सर्वे करने के बाद कई मजदूरों को रोजगार कार्ड भी दिया गया लेकिन अब तक उन मजदूरों को कोई काम नहीं मिल सका है जिस कारण अब यह मजदूर दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

जॉब कार्ड के बाद भी नहीं मिल रहा काम
जिले की मनसाही प्रखंड के लहासा गांव के करीब 2 दर्जन से भी अधिक प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान अपने घर वापस लौटे थे. उन्हें 14 दिनों के लिए कोरेंटिन किया गया था. वहीं क्वारंटाइन के बाद जिला प्रशासन ने उन्हें रोजगार कार्ड भी दिया गया था. उन मजदूरों को रोजगार कार्ड मिले करीब 3 महीने पूरे होने को है लेकिन अभी तक इन मजदूरों को रोजगार नहीं मिल सका है, जिस कारण अब इन मजदूरों के सामने आर्थिक तंगी जैसे हालात हो गए हैं और अब इनके सामने घर परिवार चलाने में काफी समस्या हो रही है.

कटिहार
जॉब कार्ड के बाद भी काम नहीं मिल रहा है.

कर्ज में डूब रहे है मजदूर
मजदूरों की माने तो उनका कहना है कि बाहर में कमाया सभी पैसा खर्च हो गए है. पिछले 6 महीना से लॉकडाउन में घर में बैठे हैं लेकिन अभी तक जिला प्रशासन की तरफ से कोई रोजगार नहीं दिया गया है जिस कारण अब खाने-पीने को मोहताज हो रहे हैं. वहीं सरकार की ओर से अभी तक कोई मदद नहीं मिल सका है. बाढ़ के कारण चारों ओर पानी फैला हुआ है जिससे कारण दिन प्रतिदिन और परेशानियां बढ़ती जा रही है. वहीं पास में कोई रोजगार भी नहीं है जिसके कारण कर्ज लेकर अपना घर परिवार चला रहे हैं लेकिन कोई देखने-सुनने वाला नहीं है.

कटिहार
काम नहीं मिलने से महिला श्रमिकों घर चलाना मुश्किल.

अन्य मजदूरों ने बताया सरकार ने हुनर के हिसाब से रोजगार देने की बात कही थी लेकिन राजमिस्त्री का हुनर होने के बाद भी हमें अभी तक कोई रोजगार नहीं मिल सका है. इनकी मानें तो अभी तक मजदूरों को कोई रोजगार नहीं मिला तो हुनरमंदो को रोजगार कहां से मिलेगा. सरकार सिर्फ झूठे दावे कर रही है. हम लोग खाने-पीने को मोहताज हो रहे हैं लेकिन कोई मदद नहीं मिल रहा है.

कटिहार
प्रवासी मजदूरों के जॉब कार्ड के बाद भी काम नहीं मिल रहा है.

80 हजार श्रमिकों को मिला रोजगार
वहीं पूरे मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने कटिहार के डीएम कवंल तनुज से बात की तो उन्होंने जानकारी देते हुए बताया जिले में करीब 80 हजार श्रमिक मजदूरों को मनरेगा के तहत जिले में रोजगार दिया गया है. वहीं 1500 ऐसे श्रमिक मजदूर हैं जिन्हें उनके स्किल के आधार पर काम दिया जा चुका है.

कटिहार: प्रवासी मजदूरों का रोजगार कार्ड बनने के बाद भी जिले में अब तक किसी को भी रोजगार नहीं मिला है. मजदूरों को घर परिवार चलाने में काफी समस्याऔं का सामना करना पड़ रहा है. जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई मदद नहीं मिल पाई है. लॉकडाउन के दौरान करीब 90 हजार प्रवासी मजदूर कटिहार लौटे थे. वहीं जिला प्रशासन की मानें तो 80 हजार मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया जा चुका है.

कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लगे लॉकडाउन के कारण बड़े शहरों में कई कंपनियां बंद हो गए, जिस कारण से लोगों का रोजी-रोजगार ठप पड़ गया है. लॉकडाउन के दौरान बिहार में लाखों प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौट आए. बता दें कि कटिहार जिले में भी करीब 90 हजार प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौटे हैं. इन सभी मजदूरों को राज्य सरकार ने राज्य में ही रोजगार देने की बात कही थी और इसके लिए कई जिलों में सर्वे कर इन मजदूरों को चिन्हित किया गया. सर्वे करने के बाद कई मजदूरों को रोजगार कार्ड भी दिया गया लेकिन अब तक उन मजदूरों को कोई काम नहीं मिल सका है जिस कारण अब यह मजदूर दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

जॉब कार्ड के बाद भी नहीं मिल रहा काम
जिले की मनसाही प्रखंड के लहासा गांव के करीब 2 दर्जन से भी अधिक प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान अपने घर वापस लौटे थे. उन्हें 14 दिनों के लिए कोरेंटिन किया गया था. वहीं क्वारंटाइन के बाद जिला प्रशासन ने उन्हें रोजगार कार्ड भी दिया गया था. उन मजदूरों को रोजगार कार्ड मिले करीब 3 महीने पूरे होने को है लेकिन अभी तक इन मजदूरों को रोजगार नहीं मिल सका है, जिस कारण अब इन मजदूरों के सामने आर्थिक तंगी जैसे हालात हो गए हैं और अब इनके सामने घर परिवार चलाने में काफी समस्या हो रही है.

कटिहार
जॉब कार्ड के बाद भी काम नहीं मिल रहा है.

कर्ज में डूब रहे है मजदूर
मजदूरों की माने तो उनका कहना है कि बाहर में कमाया सभी पैसा खर्च हो गए है. पिछले 6 महीना से लॉकडाउन में घर में बैठे हैं लेकिन अभी तक जिला प्रशासन की तरफ से कोई रोजगार नहीं दिया गया है जिस कारण अब खाने-पीने को मोहताज हो रहे हैं. वहीं सरकार की ओर से अभी तक कोई मदद नहीं मिल सका है. बाढ़ के कारण चारों ओर पानी फैला हुआ है जिससे कारण दिन प्रतिदिन और परेशानियां बढ़ती जा रही है. वहीं पास में कोई रोजगार भी नहीं है जिसके कारण कर्ज लेकर अपना घर परिवार चला रहे हैं लेकिन कोई देखने-सुनने वाला नहीं है.

कटिहार
काम नहीं मिलने से महिला श्रमिकों घर चलाना मुश्किल.

अन्य मजदूरों ने बताया सरकार ने हुनर के हिसाब से रोजगार देने की बात कही थी लेकिन राजमिस्त्री का हुनर होने के बाद भी हमें अभी तक कोई रोजगार नहीं मिल सका है. इनकी मानें तो अभी तक मजदूरों को कोई रोजगार नहीं मिला तो हुनरमंदो को रोजगार कहां से मिलेगा. सरकार सिर्फ झूठे दावे कर रही है. हम लोग खाने-पीने को मोहताज हो रहे हैं लेकिन कोई मदद नहीं मिल रहा है.

कटिहार
प्रवासी मजदूरों के जॉब कार्ड के बाद भी काम नहीं मिल रहा है.

80 हजार श्रमिकों को मिला रोजगार
वहीं पूरे मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने कटिहार के डीएम कवंल तनुज से बात की तो उन्होंने जानकारी देते हुए बताया जिले में करीब 80 हजार श्रमिक मजदूरों को मनरेगा के तहत जिले में रोजगार दिया गया है. वहीं 1500 ऐसे श्रमिक मजदूर हैं जिन्हें उनके स्किल के आधार पर काम दिया जा चुका है.

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