ETV Bharat / city

मनरेगा पार्क में 1400 की सैलरी पर काम करते हैं वन पोषक, वो भी 9 महीने से नहीं मिली - मनरेगा पार्क में 14 सौ मासिक आय

प्रदेश में लागू लेबर एक्ट के अनुसार किसी भी लेबर को न्यूनतम मजदूरी 284 रुपये से कम नहीं दी जा सकती है. वहीं, इस मनरेगा पार्क में काम कर रहे वन पोषकों की मजदूरी मात्र 46 रुपये प्रतिदिन है.

katihar
मनरेगा पार्क
author img

By

Published : Jan 14, 2020, 12:10 PM IST

Updated : Jan 14, 2020, 12:28 PM IST

कटिहार: आज के आसमान छूते महंगाई के दौर में कोई 5 आदमी का परिवार महज 46 रुपये प्रतिदिन के वेतन पर अपनी जिन्दगी कैसे गुजार सकता है? दरअसल, यह मामला शहर के कोलासी स्थित मनरेगा पार्क का है, जहां कार्यरत वन पोषकों को 14 सौ रुपये प्रति माह में अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ती है. वहीं, 9 महीने से उनका वेतन लंबित है. ऐसे हालात में इन वन पोषकों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है.

न्यूनतम मजदूरी से कम में काम कर रहे वन पोषक
बता दें कि प्रदेश में लागू लेबर एक्ट के अनुसार किसी भी लेबर को न्यूनतम मजदूरी 284 रुपये से कम नहीं दी जा सकती है. वहीं, इस मनरेगा पार्क में काम कर रहे वन पोषकों की मजदूरी मात्र 46 रुपये प्रतिदिन है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर कोई भी व्यक्ति मात्र 46 रुपये प्रतिदिन के वेतन में अपनी जिंदगी कैसे गुजार सकता है.

1400 की सैलरी पर काम कर रहे वन पोषक

बाहर काम कर काट रहे जिंदगी
मनरेगा पार्क में काम कर रहे वन पोषक त्रिलोकी ने बताया कि उनके परिवार में 5 लोग हैं. इतने कम वेतन में किसी तरह से उनकी जिंदगी कट रही है. ऐसे में उन्हें सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक इस पार्क में काम करने के बाद भी बाहर मजदूरी करना पड़ता है, ताकि उनके परिवार को दो वक्त की रोटी मिल पाए.

katihar
जानकारी देता वन पोषक

यह भी पढ़ें- BJP विधायक की सलाह- अलाव से रहें दूर, काम करके शरीर में पैदा करें गर्मी

कटिहार: आज के आसमान छूते महंगाई के दौर में कोई 5 आदमी का परिवार महज 46 रुपये प्रतिदिन के वेतन पर अपनी जिन्दगी कैसे गुजार सकता है? दरअसल, यह मामला शहर के कोलासी स्थित मनरेगा पार्क का है, जहां कार्यरत वन पोषकों को 14 सौ रुपये प्रति माह में अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ती है. वहीं, 9 महीने से उनका वेतन लंबित है. ऐसे हालात में इन वन पोषकों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है.

न्यूनतम मजदूरी से कम में काम कर रहे वन पोषक
बता दें कि प्रदेश में लागू लेबर एक्ट के अनुसार किसी भी लेबर को न्यूनतम मजदूरी 284 रुपये से कम नहीं दी जा सकती है. वहीं, इस मनरेगा पार्क में काम कर रहे वन पोषकों की मजदूरी मात्र 46 रुपये प्रतिदिन है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर कोई भी व्यक्ति मात्र 46 रुपये प्रतिदिन के वेतन में अपनी जिंदगी कैसे गुजार सकता है.

1400 की सैलरी पर काम कर रहे वन पोषक

बाहर काम कर काट रहे जिंदगी
मनरेगा पार्क में काम कर रहे वन पोषक त्रिलोकी ने बताया कि उनके परिवार में 5 लोग हैं. इतने कम वेतन में किसी तरह से उनकी जिंदगी कट रही है. ऐसे में उन्हें सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक इस पार्क में काम करने के बाद भी बाहर मजदूरी करना पड़ता है, ताकि उनके परिवार को दो वक्त की रोटी मिल पाए.

katihar
जानकारी देता वन पोषक

यह भी पढ़ें- BJP विधायक की सलाह- अलाव से रहें दूर, काम करके शरीर में पैदा करें गर्मी

Intro:हाय रे सरकार , 1400 रुपये मासिक वह भी नौ माह से लंबित ।

........' क्या आज के आसमान छूते महँगाई के दौर में कोई पाँच आदमी का परिवार महज 46 रुपये पर अपनी जिन्दगी बसर कर सकता हैं ...." । आप सोच रहे होंगें कि यह क्या बेतुका सवाल हैं....। जी हाँ , यह सच हैं । कटिहार में जिसके जिम्मे सोशल पार्क की देखरेख की जिम्मेदारी हों ......छह सौ से अधिक बेजुबान पौधे की दिन रात एक कर सेवा करनी हों , उक्त कर्मियों को मानदेय के रूप में मिलते हैं महज चौदह सौ रुपये के मासिक पगार.....। यह दर्द हैं कटिहार के कोलासी स्थित मनरेगा पार्क में कार्यरत वन पोषकों की जिसे मासिक के रूप में सरकार से चौदह सौ तनख्वाह मिलती हैं और उसपर से वह भी बीते नौ महीने से लंबित हैं.......।

बाइट 1....त्रिलोकी मंडल वन पोषक / कटिहार


Body:हरियाली पार्कों के मालीरूपी वन पोषकों का दर्द - ए - दास्ताँ ।

सुगंधित पेड़ - पौधों के कटिंग कर उसे सुंदरता का रूप देता यह हैं त्रिलोकी मंडल ......। कटिहार के कोढ़ा प्रखण्ड के कोलासी स्थित मनरेगा सोशल पार्क में इनकी ड्यूटी बतौर वन पोषक के रूप में हैं जिसका कार्य हैं कि पार्क में करीब छह सौ से ऊपर बेजुबान पौधे को हरियाली के साथ इनकी देखभाल करना ....। खाद - पानी देना और कटिंग कर उसे सुंदर सेप देना.....। त्रिलोकी बीते नौ सालों से यहाँ यह काम कर रहे हैं लेकिन आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि सुबह दस बजे से लेकर शाम चार बजे तक हाड़तोड़ ड्यूटी के बदले इन्हें जीविकोपार्जन के लिये महज चौदह सौ रुपये की मासिक पगार मिलती हैं और वह भी बीते नौ महीनों से नहीं नसीब हुआ हैं ......यानि 46 रुपये के करीब प्रतिदिन ......। इससे भी बड़ा आश्चर्य यह हैं कि इस नाममात्र के मासिक पर ही त्रिलोकी का परिवार टिका हैं । वन पोषक त्रिलोकी मंडल बताते हैं कि पाँच आदमी का परिवार हैं । बहुत दुःख में किसी तरह जिन्दगी कटती हैं । इसके अलावे कहीं बाहर मेहनत - मजदूरी कर ली जिससे कुछ राहत मिलती हैं । नौ महीने से तनख्वाह नहीं मिला हैं परेशानी हैं , क्या करें , कुछ भी समझ मे नहीं आता । किराना दुकानदार का हजारों रुपये उधारी हो चुका हैं । कौन सुनेगा , बाबू लोग कहते हैं कि अभी पैसा नहीं आया हैं , जब पैसा आयेगा , भुगतान हो जायेगा .......।


Conclusion:कौन सुनेगा , जीना जरूरी हैं इसलिये इधर - उधर मेहनत कर परिवार चलाने को मजबूर ।

बिहार सरकार आगामी 19 जनवरी को हरियाली मिशन के तहत मानव श्रृंखला का आयोजन कर रही हैं । बताया जा रहा हैं इस श्रृंखला की लंबाई ऐतिहासिक होगी । दीवारों पर मोटे - मोटे अक्षरों में संदेस लिखे जा रहे हैं , जागरूकता मुहिम चलाये जा रहे हैं जिसका मकसद हैं पर्यावरण को महफूज रखा जा सकें लेकिन उम्र के तीसरी पड़ाव में पहुँच चुके हरियाली के इस लोगों के जिन्दगी में कब हरियाली आयेगी , यह देखना दिलचस्प होगा । उम्मीद की जानी चाहिये कि सरकार वन पोषकों की समस्या पर जल्द ध्यान देगी जिससे इसकी समस्या का निराकरण हो सकें ......।
Last Updated : Jan 14, 2020, 12:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.