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आज है बुद्ध जयंती, पंचशील ध्वज से सजकर तैयार है विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर - आज बुद्ध जयंती

आज बुद्ध जयंती है. इस मौके पर बोधगया स्थित महाबोधी मंदिर (World Heritage Mahabodhi Temple) को विशेष रूप से सजाया गया है. वहीं कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है. कोरोना महामारी के कारण दो वर्ष के बाद इस मौके पर कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. इसको लेकर बोध भिक्षुओं में काफी उत्साह है.

आज है बुद्ध जयंती
आज है बुद्ध जयंती
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Published : May 16, 2022, 8:43 AM IST

गया: आज भगवान बुद्ध की जयंती (Birth Anniversary of Lord Buddha) है. इसको लेकर भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि बोधगया में व्यापक तैयारी की गई है. महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के द्वारा विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर को पंचशील ध्वज से सजाया गया है. साथ ही आकर्षक रोशनी की भी व्यवस्था की गई है. वहीं, बोधगया स्थित विभिन्न मोनेस्ट्री को भी आकर्षक रूप से सजाया गया है.

ये भी पढ़ें-बोधगया में बन रही है भगवान बुद्ध की सबसे लंबी प्रतिमा, फरवरी 2023 से श्रद्धालु कर सकेंगे दर्शन

त्रिविध जयंती आज: 16 मई यानि आज भगवान बुद्ध की 'त्रिविध' पावन जयंती मनाई जा रही है. 'त्रिविध जयंती' कहने का तात्पर्य यह होता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महापरिनिर्वाण भी हुआ था. भगवान बुद्ध के जीवनकाल की यह तीनों घटनाएं वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुई थी. इसलिए इसे 'त्रिविध जयंती' भी कहते हैं.

सुरक्षा के कड़े इंतजाम: बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर स्थानीय प्रशासन द्वारा कालचक्र मैदान और अन्य जगहों पर बैनर, पोस्टर लगाए गए हैं. इस बार भगवान बुद्ध की 2566वीं जयंती पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसे लेकर सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध किए गए हैं. कोरोना के कारण 2 वर्ष बाद बुद्ध जयंती का आयोजन हुआ है.

पंचशील पताका से सजाया गया मंदिर प्रागण: महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के प्रभारी भिक्षु भंते चालिन्दा ने बताया कि कालचक्र मैदान में भव्य पंडाल बनाए गया हैं. महाबोधी मंदिर और इसके परिसर को पंचशील पताकों और रंगीन ब्लबों से सजाया गया है. देश के विभिन्न राज्यों के अलावा कई देशों के लगभग 10 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.

बोधगया में विशेष तैयारी: प्रभारी भिक्षु भंते चालिन्दा ने बताया, ''यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हों, इसका पूरा ध्यान रख कर तैयारी की गई हैं. खाने से लेकर ठहरने और गया रेलवे स्टेशन से बोधगया तक आने-जाने का इंतजाम भी किया गया है. पेयजल, सफाई और स्वास्थ्य सुविधाओं का विशेष इंतजाम किया गया है. कालचक्र मैदान में श्रद्धालुओं के बैठने, ठहरने और खाने की व्यवस्था होगी. इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा.''

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गया: आज भगवान बुद्ध की जयंती (Birth Anniversary of Lord Buddha) है. इसको लेकर भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि बोधगया में व्यापक तैयारी की गई है. महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के द्वारा विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर को पंचशील ध्वज से सजाया गया है. साथ ही आकर्षक रोशनी की भी व्यवस्था की गई है. वहीं, बोधगया स्थित विभिन्न मोनेस्ट्री को भी आकर्षक रूप से सजाया गया है.

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त्रिविध जयंती आज: 16 मई यानि आज भगवान बुद्ध की 'त्रिविध' पावन जयंती मनाई जा रही है. 'त्रिविध जयंती' कहने का तात्पर्य यह होता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महापरिनिर्वाण भी हुआ था. भगवान बुद्ध के जीवनकाल की यह तीनों घटनाएं वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुई थी. इसलिए इसे 'त्रिविध जयंती' भी कहते हैं.

सुरक्षा के कड़े इंतजाम: बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर स्थानीय प्रशासन द्वारा कालचक्र मैदान और अन्य जगहों पर बैनर, पोस्टर लगाए गए हैं. इस बार भगवान बुद्ध की 2566वीं जयंती पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसे लेकर सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध किए गए हैं. कोरोना के कारण 2 वर्ष बाद बुद्ध जयंती का आयोजन हुआ है.

पंचशील पताका से सजाया गया मंदिर प्रागण: महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के प्रभारी भिक्षु भंते चालिन्दा ने बताया कि कालचक्र मैदान में भव्य पंडाल बनाए गया हैं. महाबोधी मंदिर और इसके परिसर को पंचशील पताकों और रंगीन ब्लबों से सजाया गया है. देश के विभिन्न राज्यों के अलावा कई देशों के लगभग 10 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.

बोधगया में विशेष तैयारी: प्रभारी भिक्षु भंते चालिन्दा ने बताया, ''यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हों, इसका पूरा ध्यान रख कर तैयारी की गई हैं. खाने से लेकर ठहरने और गया रेलवे स्टेशन से बोधगया तक आने-जाने का इंतजाम भी किया गया है. पेयजल, सफाई और स्वास्थ्य सुविधाओं का विशेष इंतजाम किया गया है. कालचक्र मैदान में श्रद्धालुओं के बैठने, ठहरने और खाने की व्यवस्था होगी. इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा.''

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