गयाः शहर के गांधी मैदान में इंटरनेशनल सूफी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच आयोजित इंटरनेशनल सूफी कॉन्फ्रेंस में कई देशों के लोगों के साथ बिहार सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भी शामिल हुए. इस सूफी कॉन्फ्रेंस में इस्लाम धर्मगुरुओं और कवियों ने इंसानियत और असलियत इस्लाम चर्चा किया.
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कौन-कौन हुए शामिल?
इंटरनेशनल सूफी कॉन्फ्रेंस में जामिया अजहर यूनिवर्सिटी मिस्र के नायब मुफ्ती-ए-आजम शेख अहमद अल ममदुह, इराक से मोहम्मद अली अल-हरबी और साउथ अफ्रीका से एक कवि, भारत के अजमेर से सैयद इरफान चिश्ती, ख्वाजा कुतुबुद्दीन काकवी, दिल्ली के आस्ताने के अलावा उड़ीसा, बिहार और कर्नाटक आदि खानकाह से सूफी हजरात शामिल हुए. सभी ने अमन का पैगाम दिया और संदेश में कहा कि सूफी संदेश इंसानियत की होती है.
दुनिया में भाईचारे की कमी-मांझी
इंटरनेशनल सूफी कॉन्फ्रेंस में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भी शामिल हुए. उन्होंने बताया कि गया सांस्कृतिक और पौराणिक जगह है. इसी धरोहर की कड़ी में इंटरनेशनल सूफी कांफ्रेंस जुड़ा है. विदेशों से आये मेहमान गया आकर काफी खुश हैं. आज संसार मे भाईचारे की कमी है. इस कॉन्फ्रेंस से लोगो के बीज भाईचारा का संदेश जाएगा.
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"भारत सूफियों का देश रहा है"
अजमेर शरीफ से आये सैयद इरफान चिश्ती ने बताया कि भारत सूफियों का देश रहा है. लोग सूफियों को फॉलो करते थे. आज की पीढ़ियों को यही संदेश देना है कि अपने मुल्क की तरक्की के बारे में सोचने की जरूरत है. इस सूफी कॉन्फ्रेंस में इंसानियत और भाईचारा का संदेश दिया गया है, जिससे युवा पीढ़ी को पता चलेगा हमे किसका फॉलोवर बनना है.
कोरोना योद्धाओं के मिला सम्मान
इंटरनेशनल सूफी कॉन्फ्रेंस में कोरोना काल मे बेहतर इलाज करने वाले डॉक्टर, गया नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर, मीडिया जगत में बेहतरीन कार्य करनेवाले मीडियाकर्मियों, कोरोना काल के दानदाताओं को सम्मानित किया गया. इस मौके पर एक किताब का भी लोकार्पण किया गया.