गया: जिले के पूर्व नक्सल कमांडर बिहार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बन लोगों के बीच जनसंपर्क कर रहे है. इस बार वे गुरुआ विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ रहे हैं. पूर्व नक्सल कमांडर का लोग स्वागत भी कर रहे हैं.
नक्सली कमांडर विनोद मरांडी ने बनाया अपना संगठन
गया की तस्वीर लोकतंत्र के मूल्यों पर दिखने लगी है. कल तक जो चुनाव का बहिष्कार करते थे, आज लोकतांत्रिक व्यवस्था पर विश्वास कर चुनावी मैदान में उतर रहे है.नक्सल प्रभावित गया में कमांडर विनोद मरांडी ने भाकपा माओवादी संगठन से जुड़ने के बाद अपनी धमक कायम की. लेकिन, दो सालों बाद ही प्रतिबंधित संगठन को छोड़कर अपना आरसीसी संगठन बनाया.
'चुनाव बहिष्कार रास नहीं आता'
ईटीवी भारत ने पूर्व नक्सल कमांडर विनोद मरांडी से बातचीत की. विनोद मरांडी ने कहा कि मैं पहले प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी से जुड़ा था. लेकिन दो सालों में उस संगठन को छोड़कर अपने विचारों का संगठन बनाया. मुझे भाकपा माओवादी का चुनाव बहिष्कार रास नहीं आता था. मैने वहां रहकर इस बहिष्कार का विरोध किया.
'लोकतंत्र पर भरोसा'
विनोद मरांडी ने कहा कि मुझे शुरू से लोकतंत्र पर भरोसा था. माओवादी संगठन में लोकतंत्र का प्रचार प्रसार नहीं देखा. वहां चुनाव का बहिष्कार होता था जो मुझे अच्छा नहीं लगता था. मैने बगावत कर आरसीसी संगठन बनाया. मेरे संगठन ने हमेशा लोकतांत्रिक व्यवस्था पर विश्वास किया. आज मैं लोगों से जनसंपर्क के लिए जुड़ रहा हूं. इसका मुख्य कारण मेरा खुद का लोकतंत्र में विश्वास करना है.
'लोगों से मिल रहा अपार जनसमर्थन'
पूर्व नक्सल कमांडर विनोद मरांडी ने कहा कि मुझे लोगों से अपार जनसमर्थन मिल रहा है. मेरी पत्नी मुखिया है और मैं एक पंचायत के लोगों की सेवा कर रहा हूं. मैं अब चाहता हूं कि गुरुआ विधानसभा की जनता की सेवा करूं. इसलिए चुनावी मैदान में उतरा हूं.
'सुरक्षा की मांग'
सरकार से आग्रह करते हुए विनोद मरांडी ने कहा कि भाकपा माओवादी से बगावत कर लोकतांत्रिक व्यवस्था में आया हूं. माओवादियों से मुझे जान का खतरा है. जिला प्रशासन को मेरी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, जिसमें मैं बेफिक्र होकर चुनाव लड़ सकूं. मैं आग्रह करता हूं कि मुझे सुरक्षा दी जाए.