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विधान पार्षद सुनील सिंह का पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार, कोरोना से हुई थी मौत - दरभंगा के रजवा गांव

दरभंगा जिले के बिरौल प्रखंड के रजवा गांव में विधान पार्षद सुनील सिंह का अंतिम संस्कार किया गया. मंगलवार को पटना एम्स में कोरोना से उनकी मौत हो गई थी.

दरभंगा
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Published : Jul 23, 2020, 2:12 AM IST

दरभंगा: दरभंगा से स्थानीय निकाय कोटे के विधान पार्षद सुनील सिंह बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. मंगलवार को पटना एम्स में कोरोना से उनकी 66 साल के उम्र में मौत हो गई. उनके पैतृक गांव बिरौल प्रखंड के रजवा गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया. इस घटना से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है.

दरभंगा जिले के बिरौल प्रखंड के रजवा गांव में विधान पार्षद सुनील सिंह अंतिम संस्कार किया गया. लोगों की भीड़ उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़ रही थी. लेकिन प्रशासन ने लोगों को रोक दिया. शव यात्रा के दौरान कोरोना की गाइडलाइन के तहत महज कुछ लोग ही मौजूद रहे, जबकि अंतिम संस्कार में चार लोगों को ही जाने की अनुमति दी गई थी. सभी लोगों ने पीपीई किट पहन रखी थी. मुखाग्नि उनके बड़े पुत्र सुमित सिंह ने दी. अंतिम संस्कार के दौरान बड़े पुत्र सुमित के अलावा छोटे पुत्र रंजीत, नाविक और एक अन्य व्यक्ति मौजूद रहे. वहीं, शव पहुंचने के समय बिरौल के एसडीओ ब्रजकिशोर लाल, एसडीपीओ दिलीप कुमार झा सहित प्रशासन के कई अधिकारी मौजूद थे.

पेश है रिपोर्ट

2015 में बने थे एमएलसी

बता दें कि सुनील सिंह मूल रूप से कपड़ा व्यवसायी थे. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बिरौल पंचायत के मुखिया के रूप में साल 2000 की थी. वे 2010 में पंचायत समिति का चुनाव जीत कर बिरौल प्रखंड के उप प्रमुख बने. साल 2015 में स्थानीय निकाय कोटे से भाजपा से एमएलसी बने.

दरभंगा: दरभंगा से स्थानीय निकाय कोटे के विधान पार्षद सुनील सिंह बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. मंगलवार को पटना एम्स में कोरोना से उनकी 66 साल के उम्र में मौत हो गई. उनके पैतृक गांव बिरौल प्रखंड के रजवा गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया. इस घटना से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है.

दरभंगा जिले के बिरौल प्रखंड के रजवा गांव में विधान पार्षद सुनील सिंह अंतिम संस्कार किया गया. लोगों की भीड़ उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़ रही थी. लेकिन प्रशासन ने लोगों को रोक दिया. शव यात्रा के दौरान कोरोना की गाइडलाइन के तहत महज कुछ लोग ही मौजूद रहे, जबकि अंतिम संस्कार में चार लोगों को ही जाने की अनुमति दी गई थी. सभी लोगों ने पीपीई किट पहन रखी थी. मुखाग्नि उनके बड़े पुत्र सुमित सिंह ने दी. अंतिम संस्कार के दौरान बड़े पुत्र सुमित के अलावा छोटे पुत्र रंजीत, नाविक और एक अन्य व्यक्ति मौजूद रहे. वहीं, शव पहुंचने के समय बिरौल के एसडीओ ब्रजकिशोर लाल, एसडीपीओ दिलीप कुमार झा सहित प्रशासन के कई अधिकारी मौजूद थे.

पेश है रिपोर्ट

2015 में बने थे एमएलसी

बता दें कि सुनील सिंह मूल रूप से कपड़ा व्यवसायी थे. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बिरौल पंचायत के मुखिया के रूप में साल 2000 की थी. वे 2010 में पंचायत समिति का चुनाव जीत कर बिरौल प्रखंड के उप प्रमुख बने. साल 2015 में स्थानीय निकाय कोटे से भाजपा से एमएलसी बने.

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