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दरभंगा: छत के अभाव में छाते के नीचे काम करते हैं वकील, कोर्ट में मुलभूत सुविधाओं का अभाव - रजिस्टर्ड वकील

कोर्ट में तकरीबन 16 सौ से 17 सौ रजिस्टर्ड वकील हैं. आलम यह है कि बहुत सारे वकील को बैठने की भी सुविधा नहीं है. यहां पर शौचालय, मूत्रालय, शुद्ध पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी होती है.

वकील
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Published : Aug 22, 2019, 2:18 PM IST

दरभंगा: दरभंगा व्यवहार न्यायालय की स्थापना के 113 वर्षों के बाद भी यहां के वकीलों और मुवक्किलों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. प्रतिवर्ष लाखों रुपये न्याय शुल्क के रूप में चुकाने के बाद भी न्याय याचक और नागरिक सुविधा से वंचित है. कानून कहता है कि पब्लिक प्लेस या फिर जिस जगह पर सरकार के द्वारा शुल्क लिया जाता है, ऐसी जगहों में शौचालय, मूत्रालय, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए. परंतु कोर्ट परिसर में कोर्ट फीस देने के बाद भी ये मौलिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं.

दरभंगा
असुविधा में मुवक्किल

वकीलों और मुवक्किलों की संख्या आज हजारों में है
दरअसल वर्ष 1906 में अदालत स्थापना के साथ ही वकीलों के लिए वकालत खाना भवन बनाया गया था. स्थापना काल के समय में वकील की संख्या 100 के आसपास थी. उस वक्त कोर्ट प्रांगण में वकीलों और मुवक्किलों के लिए बैठने सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध थी. वहीं आज के समय में वकीलों की संख्या बढ़कर 2 हजार के आसपास पहुंच गई है. वहीं मुवक्किलों की संख्या भी हजारों में है. फिर भी आज तक इस ओर किसी ने ध्यान नही दिया.

दरभंगा
छत के अभाव में छाते के नीचे कार्यरत वकील

भवन के पुनर्निर्माण की योजना लटक कर रह गई
आलम यह है कि कोर्ट परिसर में सरकारी छत के अभाव में वकील छाते के नीचे या फिर पन्नी टांग कर अपने कार्यों में लगे रहते हैं. हांलाकि 4 वर्ष पूर्व तत्कालीन जिला जज और तत्कालीन बार एसोसिएशन के महासचिव ने प्रयास से भवन के पुननिर्माण की योजना बनी थी, लेकिन किसी कारण वह योजना अधर में लटक कर रह गई.

मुलभूत सुविधाओं के अभाव में सभी परेशान

कई वकीलों को बैठने तक की सुविधा नहीं
दरभंगा व्यवहार न्यायालय के वकील सुभाष कुमार ने कहा कि मूल रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर का जो बदलाव होना था, उसमें बढ़ोतरी हुई है. हकीमों के लिए व्यवस्था में भी बढोतरी हुई है. वहीं आज भी वकीलों के लिए सीमित जगह है. यहां तकरीबन 16 सौ से 17 सौ रजिस्टर वकील हैं. आलम यह है कि बहुत सारे वकील को बैठने की भी सुविधा नहीं है. न्यायालय परिसर में शुद्ध पानी के लिए विभाग की ओर से चापाकल लगाया गया था, लेकिन जलस्तर नीचे चले जाने के कारण पानी की किल्लत हो गई.

दरभंगा: दरभंगा व्यवहार न्यायालय की स्थापना के 113 वर्षों के बाद भी यहां के वकीलों और मुवक्किलों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. प्रतिवर्ष लाखों रुपये न्याय शुल्क के रूप में चुकाने के बाद भी न्याय याचक और नागरिक सुविधा से वंचित है. कानून कहता है कि पब्लिक प्लेस या फिर जिस जगह पर सरकार के द्वारा शुल्क लिया जाता है, ऐसी जगहों में शौचालय, मूत्रालय, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए. परंतु कोर्ट परिसर में कोर्ट फीस देने के बाद भी ये मौलिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं.

दरभंगा
असुविधा में मुवक्किल

वकीलों और मुवक्किलों की संख्या आज हजारों में है
दरअसल वर्ष 1906 में अदालत स्थापना के साथ ही वकीलों के लिए वकालत खाना भवन बनाया गया था. स्थापना काल के समय में वकील की संख्या 100 के आसपास थी. उस वक्त कोर्ट प्रांगण में वकीलों और मुवक्किलों के लिए बैठने सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध थी. वहीं आज के समय में वकीलों की संख्या बढ़कर 2 हजार के आसपास पहुंच गई है. वहीं मुवक्किलों की संख्या भी हजारों में है. फिर भी आज तक इस ओर किसी ने ध्यान नही दिया.

दरभंगा
छत के अभाव में छाते के नीचे कार्यरत वकील

भवन के पुनर्निर्माण की योजना लटक कर रह गई
आलम यह है कि कोर्ट परिसर में सरकारी छत के अभाव में वकील छाते के नीचे या फिर पन्नी टांग कर अपने कार्यों में लगे रहते हैं. हांलाकि 4 वर्ष पूर्व तत्कालीन जिला जज और तत्कालीन बार एसोसिएशन के महासचिव ने प्रयास से भवन के पुननिर्माण की योजना बनी थी, लेकिन किसी कारण वह योजना अधर में लटक कर रह गई.

मुलभूत सुविधाओं के अभाव में सभी परेशान

कई वकीलों को बैठने तक की सुविधा नहीं
दरभंगा व्यवहार न्यायालय के वकील सुभाष कुमार ने कहा कि मूल रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर का जो बदलाव होना था, उसमें बढ़ोतरी हुई है. हकीमों के लिए व्यवस्था में भी बढोतरी हुई है. वहीं आज भी वकीलों के लिए सीमित जगह है. यहां तकरीबन 16 सौ से 17 सौ रजिस्टर वकील हैं. आलम यह है कि बहुत सारे वकील को बैठने की भी सुविधा नहीं है. न्यायालय परिसर में शुद्ध पानी के लिए विभाग की ओर से चापाकल लगाया गया था, लेकिन जलस्तर नीचे चले जाने के कारण पानी की किल्लत हो गई.

Intro:दरभंगा व्यवहार न्यायालय की स्थापना के 113 वर्षों के बाद भी यहां के वकीलों और मुवक्किलों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। प्रतिवर्ष लाखों रुपये न्याय शुल्क के रूप में चुकाने के बाद भी न्याय याचक इसके एवज में सरकार प्रदत नागरिक सुविधा से वंचित है। कायदे से कोर्ट परिसर में न्याय याचको के लिए स्वच्छ पेयजल, शौचालय, बैठने की जगह, वाहन पड़ाव आदि की समुचित व्यवस्था नही हो पाई है। जिसके चलते यहां पर आने वाले लोगो ने नित्यदिन इन समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। जबकि कानून कहता है कि पब्लिक प्लेस या फिर जिस जगह पर सरकार के द्वारा शुल्क लिया जाता है, ऐसी जगहों पर शुल्क लेने के एवज में शौचालय, मूत्रालय, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए। परंतु यहां कोर्ट फीस देने के बाद भी मौलिक सुविधा उपलब्ध नहीं है।


Body:दरअसल वर्ष 1906 अदालत स्थापना के साथ ही वकीलों के लिए वकालत खाना भवन बनाया गया। स्थापना काल के समय में वकील की संख्या 100 के आसपास थी। उस वक्त कोर्ट प्रांगण में वकीलों और मुवक्किलों के लिए बैठने सहित अन्य सुविधाये उपलब्ध थी। लेकिन आज के समय मे वकीलों की संख्या बढ़कर दो हजार के आसपास पहुंच गई है तथा मुवक्किलों की संख्या हजारो में है। फिर भी आज तक इस ओर किसी ने ध्यान नही दिया, जिसका खामियाजा यहां के वकील और मुवक्किलों भुगत रहे है। आलम यह है कि कोर्ट परिसर में सरकारी छत के अभाव में वकील छाते के नीचे या फिर पन्नी टांग कर अपने कार्यो में लगे रहते है। हांलाकि 4 वर्ष पूर्व तत्कालीन जिला जज और तत्कालीन बार एसोसिएशन के महासचिव के प्रयास से जर्जर वकालत खाना भवन के पुननिर्माण की योजना बनी। लेकिन किसी कारण वश वह योजना अधर में लटक कर रह गई।


Conclusion:वही अपने मुकदमे की पैरवी में आए मुवक्किल लखपति झा ने कहा कि देख रहे हैं यहां किसी प्रकार की सुविधा नही है। तेज धूप के कारण प्यास लगी थी, पानी पीने गए, तो नल से गर्म पानी आ रहा था।जिसके कारण बिना पानी पिये ही लौट आये। यहां शौचालय तक कि समुचित व्यवस्थानही है, जिसके कारण हमलोगों को पेशाब करने के लिए भी सड़क पार कर जाना पड़ता है। साथ ही उन्होंने कहा कि वाहन पार्किंग नही होने के चलते, हमलोग अपPनी सवारी से नही आते है, क्योकि हमेशा चोरी होने का भय लगा रहता है। जिसके कारण बस या फिर अन्य सवारी से हमलोग यहां आते है, जिसमे ज्यादा खर्च आता है। यहां पर जो मौलिक सुविधा होनी चाहिए, उसका घोर अभाव है। जिसके चलते यहां पर आने वाले लोगो को काफी कठनाइयों का सामना करना पड़ता है।

वहीं दरभंगा व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता सुभाष कुमार ने कहा कि मूल रूप से जो इंफ्रास्ट्रक्चर का जो बदलाव होना था, उसमें तो न्यायालय परिसर में जो भवन बना है उसने बढ़ोतरी हुआ उसमे बढ़ोतरी हुआ, हकीमो के लिए व्यवस्था में बढोतरी हुई। लेकिन आज भी वकीलों के लिए सीमित जगह है, इस वकालत खाना में तकरीबन 16 सौ से 17 सौ रजिस्टर वकील हैं। आलम यह है कि बहुत सारे वकील को बैठने तक की व्यवस्था मुहैया नहीं कराया गया है। खासकर जो मुवक्किलों हैं उनको बैठने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि यहां शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है। न्यायालय परिसर में पीने का शुद्ध पेयजल के लिए चापाकल विभाग की ओर से लगाया गया था, लेकिन जलस्तर नीचे चले जाने के कारण जो पानी की किल्लत हुई थी वह किल्लत अभी भी यहां बनी हुई है।

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लखपति झा, मुवक्किल
सुभाष कुमार, वकील दरभंगा व्यवहार न्यालय
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