दरभंगा: दरभंगा व्यवहार न्यायालय की स्थापना के 113 वर्षों के बाद भी यहां के वकीलों और मुवक्किलों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. प्रतिवर्ष लाखों रुपये न्याय शुल्क के रूप में चुकाने के बाद भी न्याय याचक और नागरिक सुविधा से वंचित है. कानून कहता है कि पब्लिक प्लेस या फिर जिस जगह पर सरकार के द्वारा शुल्क लिया जाता है, ऐसी जगहों में शौचालय, मूत्रालय, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए. परंतु कोर्ट परिसर में कोर्ट फीस देने के बाद भी ये मौलिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं.
वकीलों और मुवक्किलों की संख्या आज हजारों में है
दरअसल वर्ष 1906 में अदालत स्थापना के साथ ही वकीलों के लिए वकालत खाना भवन बनाया गया था. स्थापना काल के समय में वकील की संख्या 100 के आसपास थी. उस वक्त कोर्ट प्रांगण में वकीलों और मुवक्किलों के लिए बैठने सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध थी. वहीं आज के समय में वकीलों की संख्या बढ़कर 2 हजार के आसपास पहुंच गई है. वहीं मुवक्किलों की संख्या भी हजारों में है. फिर भी आज तक इस ओर किसी ने ध्यान नही दिया.
भवन के पुनर्निर्माण की योजना लटक कर रह गई
आलम यह है कि कोर्ट परिसर में सरकारी छत के अभाव में वकील छाते के नीचे या फिर पन्नी टांग कर अपने कार्यों में लगे रहते हैं. हांलाकि 4 वर्ष पूर्व तत्कालीन जिला जज और तत्कालीन बार एसोसिएशन के महासचिव ने प्रयास से भवन के पुननिर्माण की योजना बनी थी, लेकिन किसी कारण वह योजना अधर में लटक कर रह गई.
कई वकीलों को बैठने तक की सुविधा नहीं
दरभंगा व्यवहार न्यायालय के वकील सुभाष कुमार ने कहा कि मूल रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर का जो बदलाव होना था, उसमें बढ़ोतरी हुई है. हकीमों के लिए व्यवस्था में भी बढोतरी हुई है. वहीं आज भी वकीलों के लिए सीमित जगह है. यहां तकरीबन 16 सौ से 17 सौ रजिस्टर वकील हैं. आलम यह है कि बहुत सारे वकील को बैठने की भी सुविधा नहीं है. न्यायालय परिसर में शुद्ध पानी के लिए विभाग की ओर से चापाकल लगाया गया था, लेकिन जलस्तर नीचे चले जाने के कारण पानी की किल्लत हो गई.