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फर्जीवाड़ा..! तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की फेक डिग्री पर कनाडा में मिली नौकरी, जांच में धराया

इन दिनों बिहार का तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (Tilka Manjhi Bhagalpur University) सुर्खियों में है. दरअसल, एक युवक टीएमबीयू के फर्जी सर्टिफिकेट पर कनाडा में नौकरी कर रहा था. जब वहां की एजेंसी ने सत्यापन के लिए उसके सर्टिफिकेट को टीएमबीयू कुलसचिव को भेजा तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय
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Published : Jan 19, 2022, 10:47 AM IST

भागलपुर: बिहार का तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है. टीएमबीयू के फर्जी सर्टिफिकेट पर एक युवक ने गलत तरीके से कनाडा में नौकरी (Job in canada by Fake Certificate) पा ली. पूरे मामले का खुलासा तब हुआ, जब इंटरनेशनल क्रिडेंशियल इवेल्यूएशन सर्विस (International Credential Evaluation Service) ने सत्यापन के लिए कुलसचिव डॉक्टर निरंजन प्रसाद के ई मेल पर एक मेल किया. सर्टिफिकेट पर टीएमबीयू के कुलसचिव के फर्जी हस्ताक्षर किया गए थे.

दरअसल, 10 जनवरी को कनाडा की इंटरनेशनल क्रिडेंशियल इवेल्यूएशन सर्विस (ICES) के ली फैरो ने टीएमबीयू के कुलसचिव डॉक्टर निरंजन प्रसाद (TMBU Registrar Doctor Niranjan Prasad) को मेल किया था, जिसमें प्रजापति विपुल कुमार चंदूभाई नामक शख्स के कई सर्टिफिकेट के सत्यापन का अनुरोध किया गया था. कुलपति के मेल पर जो सर्टिफिकेट दिए गए थे, उसमें फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट का अंक पत्र और मूल प्रमाण पत्र समेत कई कागजात थे.

सभी सर्टिफिकेट पर कुलसचिव के फर्जी हस्ताक्षर थे. ये सभी हस्ताक्षर 30 दिसंबर 2021 को किए गए थे. सर्टिफिकेट में जून 2010 को शख्स को प्रथम श्रेणी में पास दिखाया गया. साथ ही ओरिजनल सर्टिफिकेट पर कुलपति सीके दत्ता के हस्ताक्षर थे, जबकि इस नाम से कभी भी कोई कुलपति हुए ही नहीं हैं. इस सर्टिफिकेट को 16 मार्च 2011 को जारी किया गया है. सर्टिफिकेट पर कुलसचिव कार्यालय की फर्जी मुहर भी लगी थी. ICES ने जांच के लिए जो अंक पत्र भेजा था, उसमें रोल नंबर 314638 अंकित है. यह अंक पत्र 19 फरवरी 2009 को जारी किया गया गया है.

ये भी पढ़ें- फर्जी डिग्री से लेकर टॉपर घोटाला तक, बिहार से बाहर तक फैली है गोरखधंधे की जड़

''जो सर्टिफिकेट सत्यापन के लिए मेल पर भेजे गए हैं, वो सभी फर्जी हैं. जिस फॉर्मेट में अंक पत्र और ओरिजनल सर्टिफिकेट हैं, वो टीएमबीयू के नहीं है. अंक पत्र और सर्टिफिकेट में छात्र का फोटो लगा हुआ है, जबकि टीएमबीयू के फॉर्मेट में ऐसा नहीं होता है. सभी दस्तावेजों पर मेरे फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं. सीके दत्ता नाम से भी कोई कुलपति कभी हुए नहीं हैं.''- डॉक्टर निरंजन प्रसाद, कुलसचिव, टीएमबीयू

टीएमबीयू के कुलसचिव ने कहा कि इंटरनेशनल क्रिडेंशियल इवेल्यूएशन सर्विस द्वारा जांच के लिए सर्टिफिकेट भेजा गया है. उन्हें जवाब दिया जाएगा कि फर्जी दस्तावेज पर गलत तरीके से अधिकारियों के हस्ताक्षर किए गए हैं. जो दस्तावेज दिए गए हैं, वो टीएमबीयू से कभी जारी नहीं किए गए हैं.

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भागलपुर: बिहार का तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है. टीएमबीयू के फर्जी सर्टिफिकेट पर एक युवक ने गलत तरीके से कनाडा में नौकरी (Job in canada by Fake Certificate) पा ली. पूरे मामले का खुलासा तब हुआ, जब इंटरनेशनल क्रिडेंशियल इवेल्यूएशन सर्विस (International Credential Evaluation Service) ने सत्यापन के लिए कुलसचिव डॉक्टर निरंजन प्रसाद के ई मेल पर एक मेल किया. सर्टिफिकेट पर टीएमबीयू के कुलसचिव के फर्जी हस्ताक्षर किया गए थे.

दरअसल, 10 जनवरी को कनाडा की इंटरनेशनल क्रिडेंशियल इवेल्यूएशन सर्विस (ICES) के ली फैरो ने टीएमबीयू के कुलसचिव डॉक्टर निरंजन प्रसाद (TMBU Registrar Doctor Niranjan Prasad) को मेल किया था, जिसमें प्रजापति विपुल कुमार चंदूभाई नामक शख्स के कई सर्टिफिकेट के सत्यापन का अनुरोध किया गया था. कुलपति के मेल पर जो सर्टिफिकेट दिए गए थे, उसमें फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट का अंक पत्र और मूल प्रमाण पत्र समेत कई कागजात थे.

सभी सर्टिफिकेट पर कुलसचिव के फर्जी हस्ताक्षर थे. ये सभी हस्ताक्षर 30 दिसंबर 2021 को किए गए थे. सर्टिफिकेट में जून 2010 को शख्स को प्रथम श्रेणी में पास दिखाया गया. साथ ही ओरिजनल सर्टिफिकेट पर कुलपति सीके दत्ता के हस्ताक्षर थे, जबकि इस नाम से कभी भी कोई कुलपति हुए ही नहीं हैं. इस सर्टिफिकेट को 16 मार्च 2011 को जारी किया गया है. सर्टिफिकेट पर कुलसचिव कार्यालय की फर्जी मुहर भी लगी थी. ICES ने जांच के लिए जो अंक पत्र भेजा था, उसमें रोल नंबर 314638 अंकित है. यह अंक पत्र 19 फरवरी 2009 को जारी किया गया गया है.

ये भी पढ़ें- फर्जी डिग्री से लेकर टॉपर घोटाला तक, बिहार से बाहर तक फैली है गोरखधंधे की जड़

''जो सर्टिफिकेट सत्यापन के लिए मेल पर भेजे गए हैं, वो सभी फर्जी हैं. जिस फॉर्मेट में अंक पत्र और ओरिजनल सर्टिफिकेट हैं, वो टीएमबीयू के नहीं है. अंक पत्र और सर्टिफिकेट में छात्र का फोटो लगा हुआ है, जबकि टीएमबीयू के फॉर्मेट में ऐसा नहीं होता है. सभी दस्तावेजों पर मेरे फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं. सीके दत्ता नाम से भी कोई कुलपति कभी हुए नहीं हैं.''- डॉक्टर निरंजन प्रसाद, कुलसचिव, टीएमबीयू

टीएमबीयू के कुलसचिव ने कहा कि इंटरनेशनल क्रिडेंशियल इवेल्यूएशन सर्विस द्वारा जांच के लिए सर्टिफिकेट भेजा गया है. उन्हें जवाब दिया जाएगा कि फर्जी दस्तावेज पर गलत तरीके से अधिकारियों के हस्ताक्षर किए गए हैं. जो दस्तावेज दिए गए हैं, वो टीएमबीयू से कभी जारी नहीं किए गए हैं.

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