भागलपुर: बिहार के कई गांव ऐसे हैं जहां आज भी विकास की रोशनी नहीं पहुंची है. पंचायत चुनाव (Panchayat Election) के दौरान जनप्रतिनिधि गांव के विकास के बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन चुनाव जीतते ही वादे भी हवा-हवाई हो जाते हैं. सन्हौला प्रखंड (Sanhoula Block) के पोठिया पंचायत (Pothia Panchayat) के बैसा गांव के लोगों को भी विकास का इंतजार है. स्कूल जाने के लिए बच्चों को चचरी पुल (Chachri bridge in Bhagalpur) का सहारा लेना पड़ता है.
यह भी पढ़ें- 'जवाब बूथ पर देंगे, वोट बहिष्कार न करेंगे...' ग्रामीणों ने खुद बनाया चचरी पुल, वोट का मांग रहे हिसाब
पोठिया पंचायत, प्रखंड मुख्यालय से महज 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बैसा गांव पोठिया पंचायत के वार्ड नंबर 6 में है. यह गांव जोर पैगा नदी से तीन तरफ से घिरा हुआ है. गांव में जाने के लिए पुल नहीं है. गांव के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर नदी पर बांस के बत्ती के सहारे चचरी पुल का निर्माण किया है, जिससे वे आवागमन करते हैं.
यह भी पढ़ें- दुल्हन हम ले आए चचरी पुल के सहारे... देखते रह गए गांव वाले सारे
इसी चचरी पुल से यहां के बच्चे रोजाना पढ़ने जाते हैं. बच्चों की समस्या यहीं खत्म नहीं होती है, बल्कि मुख्य सड़क तक पहुंचने में करीब 100 मीटर तक उन्हें पगडंडी का सहारा लेना पड़ता है. पगडंडी भी कीचड़ से भरा हुआ रहता है. ऐसे में बच्चे चप्पल हाथ में लेकर जाते हैं. कई बार तो पगडंडी पर कीचड़ होने की वजह से बच्चे फिसलकर घायल भी हो जाते हैं. दो-तीन बच्चों की नदी में गिरने से मौत भी चुकी है.
यह भी पढ़ें- Darbhanga Flood: चचरी पुल के सहारे चलती थी 10 गावों की जिंदगी, इस बाढ़ ने वो भी खत्म कर दी
गांव में पुल न होने के कारण लोगों को सालों भर समस्या होती है, लेकिन बारिश के दिनों में समस्या और बढ़ जाती है. बाढ़ आने से नदी में पानी बढ़ जाता है. बारिश होने की वजह से सड़क कीचड़ से भर जाता है. ऐसे में यहां के लोगों को घर में ही रहना पड़ता है. 2 महीने तक यहां के बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल नहीं जा पाते हैं. इससे बच्चों का भविष्य भी खराब हो रहा है. गांव में सड़क और पुल नहीं होने की वजह से कोई शिक्षक भी ट्यूशन पढ़ाने नहीं आते हैं.
यह भी पढ़ें- VIDEO: नदी पर बने चचरी पुल से गुजर रहे थे लोग, तभी हुआ हादसा
उर्दू प्राथमिक विद्यालय बैसा में पढ़ने वाले बच्चों का कहना है कि स्कूल जाने में डर लगता है. कब पैर फिसल जाए और गिर जाए पता नहीं. बच्चों का कहना है कि स्कूल जाना भी जरूरी है. लेकिन चचरी पुल से होकर गुजरने में बहुत डर लगता है.
"मुझे डर लगता है. कीचड़ में पैर फिसल सकता है. बारिश में बहुत डर लगता है. गिरने का डर लगा रहता है. रोज स्कूल जाना पड़ता है. पुल बन जाता तो बढ़िया होता है."- इंतसार, छात्र
गांव की रहने वाली खुशतरी खातून ने बताया कि बारिश के दिनों में 2 महीने बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं, जिससे इनका भविष्य खराब हो रहा है. पहले का पढ़ा हुआ बच्चे भूल जाते हैं. बारिश के दौरान सबसे ज्यादा परेशानी होती है. पुल बन जाने से लोगों को बड़ी राहत मिलती.
"दो महीने घर पर रहने के कारण अब जब स्कूल बच्चे जा रहे हैं तो पहले की पढ़ाई को दोबारा पढ़ाया जा रहा है. ऐसे में बच्चे का भविष्य खराब हो रहा है. अभी नदी में पानी कम हुआ है तो बच्चे स्कूल पढ़ने के लिए जा रहे हैं."- खुशतरी खातुन, स्थानीय
बारिश के दिनों में न तो बच्चे स्कूल जा पाते हैं और ना ही कोई गांव में पढ़ाने वाला ही है. चचरी पुल पार करने के दौरान बच्चों की जान को खतरा बना रहता है. पांव फिसल जाने से नदी में गिरने का डर लगा रहता है. दो-तीन बच्चों की नदी में गिरने से मौत भी चुकी है. बैसा गांव में मुस्लिम समुदाय के लोग अधिक रहते हैं. यहां के बच्चे गांव से करीब 1 किलोमीटर दूर उर्दू प्राथमिक विद्यालय बैसा में पढ़ाई करते हैं. बैसा गांव के करीब 32 विद्यार्थी उर्दू विद्यालय में अलग-अलग कक्षा के छात्र हैं.