मुंबई: रिजर्व बैंक ने धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए सभी बैंकों को एटीएम से कार्ड रहित नकद निकासी की सुविधा शुरू करने की अनुमति देने का फैसला किया है. वर्तमान में एटीएम के माध्यम से कार्ड-रहित नकद निकासी देश के कुछ बैंकों द्वारा ऑन-अस आधार (on-us basis) पर अपने ग्राहकों को सुविधा मुहैया कराया जा रहा है. अब यूपीआई का उपयोग करते हुए सभी बैंकों और एटीएम नेटवर्क में कार्ड-रहित नकद निकासी सुविधा उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है. लेनदेन को आसान बनाने के अलावा भौतिक कार्ड की आवश्यकता के अभाव में कार्ड स्किमिंग, कार्ड क्लोनिंग जैसे धोखाधड़ी को रोकने में भी मददगार सावित होगी. इसकी घोषणा आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए किया है.
विकास और नियामक नीतियों पर एक बयान में कहा कि एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के उपयोग के माध्यम से ग्राहक प्राधिकरण को सक्षम बनाने का प्रस्ताव है. हालांकि ऐसे लेनदेन एटीएम के माध्यम से ही होगा. इस संबंध में एनपीसीआई, एटीएम नेटवर्क और बैंकों को जल्द ही अलग-अलग निर्देश जारी किए जाएंगे. भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के संबंध में आरबीआई ने कहा कि यह बिल भुगतान के लिए एक इंटरऑपरेबल प्लेटफॉर्म है, जहां पिछले कुछ वर्षों में बिल भुगतान और बिलर्स की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है. बीबीपीएस के माध्यम से बिल भुगतान को और अधिक सुगम बनाने के लिए और बीबीपीएस में अधिक संख्या में गैर-बैंक भारत बिल भुगतान परिचालन इकाइयों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसी संस्थाओं की कुल संपत्ति (net worth) की आवश्यकता को 100 करोड़ रुपये से घटाकर 25 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है. जल्द ही इन नियमों में आवश्यक संशोधन भी किया जाएगा. बीबीपीएस के उपयोगकर्ता मानकीकृत बिल भुगतान अनुभव, केंद्रीकृत ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र, निर्धारित ग्राहक सुविधा शुल्क आदि जैसे लाभों का आनंद लेते हैं। बीबीपीएस बिल भुगतान के लिए एक इंटरऑपरेबल प्लेटफॉर्म है और बीबीपीएस का दायरा और कवरेज बिलर्स की सभी श्रेणियों तक फैला हुआ है जो आवर्ती बिल (Recurring bill) बढ़ाते हैं.
यह देखा गया है कि गैर-बैंक भारत बिल भुगतान परिचालन इकाइयों (बीबीपीओयू) की संख्या में समान वृद्धि नहीं हुई है. इसको देखते हुए कि भुगतान प्रणाली वित्तीय समावेशन को सुविधाजनक बनाने और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाती है. इन प्रणालियों की सुरक्षा को और अधिक सुरक्षित बनाए रखना आरबीआई का एक प्रमुख उद्देश्य है. डिजिटल भुगतान मोड को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के साथ साथ यह भी आवश्यक है कि पेमेंट सिस्टम पारंपरिक और उभरते हुए जोखिमों सासकर साइबर सुरक्षा से संबंधित जोखिमों के प्रति लचीला बनी रहे. भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों के लिए साइबर रिसिलिएंस और पेमेंट सिक्युरिटी कंट्रोल पर दिशानिर्देश जारी करने का भी प्रस्ताव है.
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पीटीआई