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जम्मू-कश्मीर में निवेश के लिए उत्सुक हैं अमेरिकी कंपनियां: यूएसआईएसपीएफ

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Published : Oct 22, 2019, 11:15 PM IST

Updated : Oct 22, 2019, 11:43 PM IST

यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और सीईओ मुकेश अघी से ईटीवी भारत की वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा ने कई पहलुओं पर बातचीत की. इस दौरान अघी ने अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से लेकर जम्मू-कश्मीर में निवेश तक पर चर्चा की. देखिए मुकेश अघी से ईटीवी भारत की खास बातचीत.

जम्मू-कश्मीर में निवेश के लिए उत्सुक हैं अमेरिकी कंपनियां: यूएसआईएसपीएफ

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के सदस्यों से मुलाकात की. पीएम मोदी से मुलाकात करने वालों में यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और सीईओ मुकेश अघी भी शामिल थे.

अघी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि भारत और अमेरिका जल्द ही एक व्यापार सौदे को अंतिम रुप देंगे. वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा से बात करते हुए अघी ने कहा कि अमेरिकी कंपनियां कश्मीर में भी निवेश करने के लिए उत्सुक हैं. देखिए मुकेश अघी के साथ ईटीवी भारत की खास बातचीत.

देखिए, मुकेश अघी से ईटीवी भारत की खास बातचीत.

सवाल- वर्तमान समय में भारत-अमेरिका ट्रेड स्थिति के बारे में क्या कहना चाहेंगे और आगे इसमें क्या चुनौती है?
जवाब- आपको व्यापार समझौते और दोनों देशों के बीच के व्यापार को अलग करके देखना होगा. हम उम्मीद करते हैं कि भारत के साथ हमारा व्यापार इस साल के 142 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 160 बिलियन अमरीकी डॉलर हो जाएगा. पिछली तिमाही में भारत-अमेरिका का निर्यात 30 प्रतिशत बढ़ा था. कुल मिलाकर व्यापार में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जब आप भारत में अमेरिकी कंपनियों से बात करते हैं, तो उनमें से अधिकांश दोहरे अंकों में वृद्धि दिखा रहे हैं. कुल मिलाकर व्यापार अच्छा चल रहा है. हम नवंबर या दिसंबर महीने तक व्यापार समझौता कर लेगें.

सवाल- हमने यूएसआईएसपीएफ नेतृत्व मंच में केंद्रीय मंत्री गोयल और जयशंकर से व्यापार समझौते के बारे में आश्वासन सुना. एक व्यापार समझौते को अंतिम रुप देने में क्या बाधाएं आती हैं?
जवाब- व्यापार समझौते में हमेशा कुछ रुकावटें होती हैं. भारत में भी कारोबार करने के लिए कुछ रुकावटें हैं. सेब और बादाम निर्यात करने के समय ये रुकावटें देखने को मिलती है. हमें बस इसका सही संतुलन खोजने की जरूरत है. मेरा मानना है कि गोयल और जयशंकर दोनों के इरादे और दृष्टिकोण कारोबार को लेकर सकारात्मक है.

सवाल- यूएसआईएसपीएफ फोरम में गोयल ने कहा कि वे 30 मई तक ट्रेड का टी तक नहीं जानते थे और उनके समकक्ष लाइटहाइजर ने उनसे जटिल बातचीत की है. आलोचक कह रहे हैं कि यह विनम्रता नहीं बल्कि कूटनीतिक भोलापन है. इस पर आपके क्या विचार हैं?
जवाब- मुझे ऐसा नहीं लगता. जहां तक आपके प्रश्न की बात है तो गोयल, लाईटहाइजर की तरह ही स्मार्ट हैं. इसलिए ये कोई चिंता की बात नहीं है.

सवाल- क्या अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से भारत को कुछ लाभ हो रहा है?
जवाब- भारत ने करों में कमी करके कुछ बदलाव किए हैं. इस महीने के अंत में आने वाले नए विनिर्माण में 17 प्रतिशत कर छूट मिल सकता है. भारत को श्रम सुधारों और भूमि सुधारों में सुधार करने होंगे. लेकिन हम देख रहे हैं कि लगभग 200 अमेरिकी कंपनियों के सदस्य भारत की तरफ देखे रहें हैं. और अगर ये कंपनियां भारत आएंगी तो लगभग 21 बिलियन डॉलर का निवेश भारत आएगा. जो इन कंपनियों को भारत में अपने विनिर्माण को स्थानांतरित करने के लिए है. मुझे लगता है कि वे ऐसा करेंगे क्योंकि भारत में विनिर्माण वातावरण काफी बेहतर है. इसके साथ ही भारत एक बड़ा बाजार भी है.


सवाल- अमेरिकी कंपनियां इंडोनेशिया और वियतनाम क्यों जा रही हैं, भारत को उन्हें आकर्षित करने के लिए क्या करने की आवश्यकता है?
जवाब- वियतनाम, थाइलैंड या बांग्लादेश जो कंपनियां जा रही है उनकी संख्या काफी कम है और वे छोटी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां हैं. अमेरिकी कंपनियां कुशल इंजीनियरिंग बल और कुशल डिजाइनर खोज रहीं हैं और वे सिर्फ भारत में बड़े पैमाने पर मिल सकता है. भारत के सामने चुनौती यह है कि उसे कंपनियों को समझाना होगा और उनकी जरुरतों को समझना होगा. इसके साथ ही उन्हें अपने संसाधनों के बारे में भी बताना होगा. भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में 77 वें स्थान पर हैं, लेकिन चीन 26वें स्थान पर है और यही एक अंतर है जहां भारत को ध्यान देना होगा.

सवाल- आप अन्य अमेरिकी व्यापारिक नेताओं के साथ कल रात पीएम मोदी से मिले. आपने क्या विचार साझा किए?
जवाब- हमारी ओर से हमारे पास ऐसे कारोबारी लोग हैं जो अधिक निवेश करने के इच्छुक हैं. हमने प्रधानमंत्री मोदी से बताया कि भारत अभी भी बहुत आशाजनक बाजार है. हम भारत में अपने हर चीज को दोगुना करने जा रहे हैं. अब से 5 या 10 साल बाद भारत 5 बिलियन अमरीकी डॉलर का बाजार बन जाएगा और हम इस यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पास लोकतंत्र और दिमाग है जिसका आप लाभ उठा सकते हैं. उन्होंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि वह कैसे भारत में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना चाहते हैं. हमारे बीच एक शानदार बातचीत हुई और सदस्य कंपनियां भारत में अपने कारोबार को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की.

सवाल- क्या भारत सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद निवेश करने के लिए कोई विशेष छूट मिली है?
जवाब- कई अमेरिकी कंपनियों जम्मू और कश्मीर में निवेश करने के लिए रुचि दिखा चुकीं हैं. आपके पास एक ऐसा क्षेत्र है जो एक महान पर्यटन स्थल हो सकता है. आप जल्द ही जम्मू-कश्मीर में ही निवेश सेमिनार या शिखर सम्मेलन देखेंगे. हमें उम्मीद है कि चीजें निकट भविष्य में ही जल्द ही सुलझ जाएंगी क्योंकि और अमेरिकी कंपनियां वहां जाने और बाजार खोलने के लिए बहुत उत्सुक हैं.

सवाल- पीएम मोदी की हालिया अमेरिकी यात्रा के बाद, कुछ अमेरिकी सांसदों ने ट्रम्प प्रशासन को पत्र लिखकर भारत के लिए जीएसपी खत्म करने की मांग की थी. इसपर आप क्या कहना चाहेंगे और जीएसपी के निरस्त होने से भारत को कितना नुकसान हो रहा है?
जवाब- जहां तक भारत का अमेरिका को निर्यात करने का संबंध है, जीएसपी द्वारा निकाले जाने के बाद भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. अमेरिकी आयातक ट्रम्प प्रशासन पर दबाव डाल रहे हैं ताकि भारत जीएसपी तालिका में वापस आए. जीएसपी पर फिलहाल बातचीत जारी है. हम जल्द ही इसमें वृद्धि देखेंगे.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के सदस्यों से मुलाकात की. पीएम मोदी से मुलाकात करने वालों में यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और सीईओ मुकेश अघी भी शामिल थे.

अघी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि भारत और अमेरिका जल्द ही एक व्यापार सौदे को अंतिम रुप देंगे. वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा से बात करते हुए अघी ने कहा कि अमेरिकी कंपनियां कश्मीर में भी निवेश करने के लिए उत्सुक हैं. देखिए मुकेश अघी के साथ ईटीवी भारत की खास बातचीत.

देखिए, मुकेश अघी से ईटीवी भारत की खास बातचीत.

सवाल- वर्तमान समय में भारत-अमेरिका ट्रेड स्थिति के बारे में क्या कहना चाहेंगे और आगे इसमें क्या चुनौती है?
जवाब- आपको व्यापार समझौते और दोनों देशों के बीच के व्यापार को अलग करके देखना होगा. हम उम्मीद करते हैं कि भारत के साथ हमारा व्यापार इस साल के 142 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 160 बिलियन अमरीकी डॉलर हो जाएगा. पिछली तिमाही में भारत-अमेरिका का निर्यात 30 प्रतिशत बढ़ा था. कुल मिलाकर व्यापार में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जब आप भारत में अमेरिकी कंपनियों से बात करते हैं, तो उनमें से अधिकांश दोहरे अंकों में वृद्धि दिखा रहे हैं. कुल मिलाकर व्यापार अच्छा चल रहा है. हम नवंबर या दिसंबर महीने तक व्यापार समझौता कर लेगें.

सवाल- हमने यूएसआईएसपीएफ नेतृत्व मंच में केंद्रीय मंत्री गोयल और जयशंकर से व्यापार समझौते के बारे में आश्वासन सुना. एक व्यापार समझौते को अंतिम रुप देने में क्या बाधाएं आती हैं?
जवाब- व्यापार समझौते में हमेशा कुछ रुकावटें होती हैं. भारत में भी कारोबार करने के लिए कुछ रुकावटें हैं. सेब और बादाम निर्यात करने के समय ये रुकावटें देखने को मिलती है. हमें बस इसका सही संतुलन खोजने की जरूरत है. मेरा मानना है कि गोयल और जयशंकर दोनों के इरादे और दृष्टिकोण कारोबार को लेकर सकारात्मक है.

सवाल- यूएसआईएसपीएफ फोरम में गोयल ने कहा कि वे 30 मई तक ट्रेड का टी तक नहीं जानते थे और उनके समकक्ष लाइटहाइजर ने उनसे जटिल बातचीत की है. आलोचक कह रहे हैं कि यह विनम्रता नहीं बल्कि कूटनीतिक भोलापन है. इस पर आपके क्या विचार हैं?
जवाब- मुझे ऐसा नहीं लगता. जहां तक आपके प्रश्न की बात है तो गोयल, लाईटहाइजर की तरह ही स्मार्ट हैं. इसलिए ये कोई चिंता की बात नहीं है.

सवाल- क्या अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से भारत को कुछ लाभ हो रहा है?
जवाब- भारत ने करों में कमी करके कुछ बदलाव किए हैं. इस महीने के अंत में आने वाले नए विनिर्माण में 17 प्रतिशत कर छूट मिल सकता है. भारत को श्रम सुधारों और भूमि सुधारों में सुधार करने होंगे. लेकिन हम देख रहे हैं कि लगभग 200 अमेरिकी कंपनियों के सदस्य भारत की तरफ देखे रहें हैं. और अगर ये कंपनियां भारत आएंगी तो लगभग 21 बिलियन डॉलर का निवेश भारत आएगा. जो इन कंपनियों को भारत में अपने विनिर्माण को स्थानांतरित करने के लिए है. मुझे लगता है कि वे ऐसा करेंगे क्योंकि भारत में विनिर्माण वातावरण काफी बेहतर है. इसके साथ ही भारत एक बड़ा बाजार भी है.


सवाल- अमेरिकी कंपनियां इंडोनेशिया और वियतनाम क्यों जा रही हैं, भारत को उन्हें आकर्षित करने के लिए क्या करने की आवश्यकता है?
जवाब- वियतनाम, थाइलैंड या बांग्लादेश जो कंपनियां जा रही है उनकी संख्या काफी कम है और वे छोटी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां हैं. अमेरिकी कंपनियां कुशल इंजीनियरिंग बल और कुशल डिजाइनर खोज रहीं हैं और वे सिर्फ भारत में बड़े पैमाने पर मिल सकता है. भारत के सामने चुनौती यह है कि उसे कंपनियों को समझाना होगा और उनकी जरुरतों को समझना होगा. इसके साथ ही उन्हें अपने संसाधनों के बारे में भी बताना होगा. भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में 77 वें स्थान पर हैं, लेकिन चीन 26वें स्थान पर है और यही एक अंतर है जहां भारत को ध्यान देना होगा.

सवाल- आप अन्य अमेरिकी व्यापारिक नेताओं के साथ कल रात पीएम मोदी से मिले. आपने क्या विचार साझा किए?
जवाब- हमारी ओर से हमारे पास ऐसे कारोबारी लोग हैं जो अधिक निवेश करने के इच्छुक हैं. हमने प्रधानमंत्री मोदी से बताया कि भारत अभी भी बहुत आशाजनक बाजार है. हम भारत में अपने हर चीज को दोगुना करने जा रहे हैं. अब से 5 या 10 साल बाद भारत 5 बिलियन अमरीकी डॉलर का बाजार बन जाएगा और हम इस यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पास लोकतंत्र और दिमाग है जिसका आप लाभ उठा सकते हैं. उन्होंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि वह कैसे भारत में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना चाहते हैं. हमारे बीच एक शानदार बातचीत हुई और सदस्य कंपनियां भारत में अपने कारोबार को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की.

सवाल- क्या भारत सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद निवेश करने के लिए कोई विशेष छूट मिली है?
जवाब- कई अमेरिकी कंपनियों जम्मू और कश्मीर में निवेश करने के लिए रुचि दिखा चुकीं हैं. आपके पास एक ऐसा क्षेत्र है जो एक महान पर्यटन स्थल हो सकता है. आप जल्द ही जम्मू-कश्मीर में ही निवेश सेमिनार या शिखर सम्मेलन देखेंगे. हमें उम्मीद है कि चीजें निकट भविष्य में ही जल्द ही सुलझ जाएंगी क्योंकि और अमेरिकी कंपनियां वहां जाने और बाजार खोलने के लिए बहुत उत्सुक हैं.

सवाल- पीएम मोदी की हालिया अमेरिकी यात्रा के बाद, कुछ अमेरिकी सांसदों ने ट्रम्प प्रशासन को पत्र लिखकर भारत के लिए जीएसपी खत्म करने की मांग की थी. इसपर आप क्या कहना चाहेंगे और जीएसपी के निरस्त होने से भारत को कितना नुकसान हो रहा है?
जवाब- जहां तक भारत का अमेरिका को निर्यात करने का संबंध है, जीएसपी द्वारा निकाले जाने के बाद भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. अमेरिकी आयातक ट्रम्प प्रशासन पर दबाव डाल रहे हैं ताकि भारत जीएसपी तालिका में वापस आए. जीएसपी पर फिलहाल बातचीत जारी है. हम जल्द ही इसमें वृद्धि देखेंगे.

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जम्मू-कश्मीर में निवेश करने के लिए उत्सुक हैं अमेरिकी कंपनियां: यूएसआईएसपीएफ

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के सदस्यों से मुलाकात की. पीएम मोदी से मुलाकात करने वालों में यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और सीईओ मुकेश अघी भी शामिल थे.

अघी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि भारत और अमेरिका जल्द ही एक व्यापार सौदे को अंतिम रुप देंगे. वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा से बात करते हुए अघी ने कहा कि अमेरिकी कंपनियां कश्मीर में भी निवेश करने के लिए उत्सुक हैं. पढ़िए मुकेश अघी के साथ ईटीवी भारत की खास बातचीत.



सवाल- वर्तमान समय में भारत-अमेरिका ट्रेड स्थिति के बारे में क्या कहना चाहेंगे और आगे इसमें क्या चुनौती है?

जवाब- आपको व्यापार समझौते और दोनों देशों के बीच के व्यापार को अलग करके देखना होगा. हम उम्मीद करते हैं कि भारत के साथ हमारा व्यापार इस साल के 142 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 160 बिलियन अमरीकी डॉलर हो जाएगा. पिछली तिमाही में भारत-अमेरिका का निर्यात 30 प्रतिशत बढ़ा था. कुल मिलाकर व्यापार में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जब आप भारत में अमेरिकी कंपनियों से बात करते हैं, तो उनमें से अधिकांश दोहरे अंकों में वृद्धि दिखा रहे हैं. कुल मिलाकर व्यापार अच्छा चल रहा है. हम नवंबर या दिसंबर महीने तक व्यापार समझौता कर लेगें.





सवाल- हमने यूएसआईएसपीएफ नेतृत्व मंच में केंद्रीय मंत्री गोयल और जयशंकर से व्यापार समझौते के बारे में आश्वासन सुना. एक व्यापार समझौते को अंतिम रुप देने में क्या बाधाएं आती हैं?

जवाब- व्यापार समझौते में हमेशा कुछ रुकावटें होती हैं. भारत में भी कारोबार करने के लिए कुछ रुकावटें हैं. सेब और बादाम निर्यात करने के समय ये रुकावटें देखने को मिलती है. हमें बस इसका सही संतुलन खोजने की जरूरत है. मेरा मानना है कि गोयल और जयशंकर दोनों के इरादे और दृष्टिकोण कारोबार को लेकर सकारात्मक है.





सवाल- यूएसआईएसपीएफ फोरम में गोयल ने कहा कि वे 30 मई तक ट्रेड का टी तक नहीं जानते थे और उनके समकक्ष लाइटहाइजर ने उनसे जटिल बातचीत की है. आलोचक कह रहे हैं कि यह विनम्रता नहीं बल्कि कूटनीतिक भोलापन है. इस पर आपके क्या विचार हैं?

जवाब- मुझे ऐसा नहीं लगता. जहां तक आपके प्रश्न की बात है तो गोयल, लाईटहाइजर की तरह ही स्मार्ट हैं. इसलिए ये कोई चिंता की बात नहीं है.





सवाल- क्या अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से भारत को कुछ लाभ हो रहा है?

जवाब- भारत ने करों में कमी करके कुछ बदलाव किए हैं. इस महीने के अंत में आने वाले नए विनिर्माण में 17 प्रतिशत कर छूट मिल सकता है. भारत को श्रम सुधारों और भूमि सुधारों में सुधार करने होंगे. लेकिन हम देख रहे हैं कि लगभग 200 अमेरिकी कंपनियों के सदस्य भारत की तरफ देखे रहें हैं. और अगर ये कंपनियां भारत आएंगी तो लगभग 21 बिलियन डॉलर का निवेश भारत आएगा. जो इन कंपनियों को भारत में अपने विनिर्माण को स्थानांतरित करने के लिए है. मुझे लगता है कि वे ऐसा करेंगे क्योंकि भारत में विनिर्माण वातावरण काफी बेहतर है. इसके साथ ही भारत एक बड़ा बाजार भी है.





सवाल- अमेरिकी कंपनियां इंडोनेशिया और वियतनाम क्यों जा रही हैं, भारत को उन्हें आकर्षित करने के क्या करने की आवश्यकता है?

जवाब- वियतनाम, थाइलैंड या बांग्लादेश जो कंपनियां जा रही है उनकी संख्या काफी कम है और वे छोटी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां हैं. अमेरिकी कंपनियां कुशल इंजीनियरिंग बल और कुशल डिजाइनर खोज रहीं हैं और वे सिर्फ भारत में बड़े पैमाने पर मिल सकता है. भारत के सामने चुनौती यह है कि उसे कंपनियों को समझाना होगा और उनकी जरुरतों को समझना होगा. इसके साथ ही उन्हें अपने संसाधनों के बारे में भी बताना होगा. भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में 77 वें स्थान पर हैं, लेकिन चीन 26वें स्थान पर है और यही एक अंतर है जहां भारत को ध्यान देना होगा.





सवाल- आप अन्य अमेरिकी व्यापारिक नेताओं के साथ कल रात पीएम मोदी से मिले. आपने क्या विचार साझा किए?

जवाब- हमारी ओर से हमारे पास ऐसे कारोबारी लोग हैं जो अधिक निवेश करने के इच्छुक हैं. हमने प्रधानमंत्री मोदी से बताया कि भारत अभी भी बहुत आशाजनक बाजार है. हम भारत में अपने हर चीज को दोगुना करने जा रहे हैं. अब से 5 या 10 साल बाद भारत 5 बिलियन अमरीकी डॉलर का बाजार बन जाएगा और हम इस यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पास लोकतंत्र और दिमाग है जिसका आप लाभ उठा सकते हैं. उन्होंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि वह कैसे भारत में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना चाहते हैं. हमारे बीच एक शानदार बातचीत हुई और सदस्य कंपनियां भारत में अपने कारोबार को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की.





सवाल- क्या भारत सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद निवेश करने के लिए कोई विशेष छूट मिली है?

जवाब- कई अमेरिकी कंपनियों जम्मू और कश्मीर में निवेश करने के लिए रुचि दिखा चुकीं हैं. आपके पास एक ऐसा क्षेत्र है जो एक महान पर्यटन स्थल हो सकता है. आप जल्द ही जम्मू-कश्मीर में ही निवेश सेमिनार या शिखर सम्मेलन देखेंगे. हमें उम्मीद है कि चीजें निकट भविष्य में ही जल्द ही सुलझ जाएंगी क्योंकि और अमेरिकी कंपनियां वहां जाने और बाजार खोलने के लिए बहुत उत्सुक हैं.





सवाल- पीएम मोदी की हालिया अमेरिकी यात्रा के बाद, कुछ अमेरिकी सांसदों ने ट्रम्प प्रशासन को पत्र लिखकर भारत के लिए जीएसपी खत्म करने की मांग की थी. इसपर आप क्या कहना चाहेंगे और जीएसपी के निरस्त होने से भारत को कितना नुकसान हो रहा है?

 

जवाब- जहां तक भारत का अमेरिका को निर्यात करने का संबंध है, जीएसपी द्वारा निकाले जाने के बाद भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. अमेरिकी आयातक ट्रम्प प्रशासन पर दबाव डाल रहे हैं ताकि भारत जीएसपी तालिका में वापस आए. जीएसपी पर फिलहाल बातचीत जारी है. हम जल्द ही इसमें वृद्धि देखेंगे. 


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Last Updated : Oct 22, 2019, 11:43 PM IST
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