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रिजर्व बैंक बोर्ड की अगली बैठक में उठ सकता है अंतरिम लाभांश का मुद्दा

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Published : Jan 19, 2020, 7:04 PM IST

राजस्व संग्रह में कमी और सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि दर को पटरी पर लाने के लिये किये गये प्रोत्साहन उपायों से सरकार की वित्तीय स्थिति दबाव में है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई जो इसका छह साल का निचला स्तर है.

रिजर्व बैंक बोर्ड की अगली बैठक में उठ सकता है अंतरिम लाभांश का मुद्दा
रिजर्व बैंक बोर्ड की अगली बैठक में उठ सकता है अंतरिम लाभांश का मुद्दा

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की अगली बैठक में अंतरिम लाभांश के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है. सूत्रों ने यह उम्मीद जताई है. सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे के 3.3 प्रतिशत के तय लक्ष्य पर खरा उतरने के लिये कड़ी मशक्कत कर रही है, रिजर्व बैंक से अंतरिम लाभांश मिलने पर उसे मदद मिल सकती है.

राजस्व संग्रह में कमी और सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि दर को पटरी पर लाने के लिये किये गये प्रोत्साहन उपायों से सरकार की वित्तीय स्थिति दबाव में है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई जो इसका छह साल का निचला स्तर है.

ये भी पढ़ें- एयरटेल ने जीवन बीमा कवर के साथ पेश किया 179 रुपये का प्रीपेड पैक

सरकार के अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर करीब 11 साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर रह सकती है. इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में यह 6.8 प्रतिशत रही थी.

सूत्रों ने बताया कि चालू वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की कम से कम एक बैठक होगी. समझा जाता है कि इसमें सरकार की ओर से मनोनीत निदेशकों द्वारा अंतरिम लाभांश का मुद्दा उठाया जा सकता है.

हालांकि, आरबीआई निदेशक मंडल की बैठक से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तय परंपरा के तहत निदेशक मंडल को संबोधित करते हुए बजट दृष्टिकोण के बारे में बताएंगी. परंपरागत रूप से हर साल बजट से कुछ दिन पहले यह बैठक होती है.

सूत्रों ने कहा कि यह काफी खास साल रहा है. इस दौरान कई असाधारण उपाय किए गए. मसलन बजट के बाद अलग कदम उठाते हुये कॉरपोरेट कर की दर में बड़ी कटौती की गई जिससे सरकार की वित्तीय स्थिति दबाव में आ गई.

रिजर्व बैंक निदेशक मंडल छह माह के प्रदर्शन के आधार पर यदि अंतरिम लाभांश देने पर सहमत हो जाता है तो इससे सरकार को कुछ वित्तीय राहत मिल सकती है. रिजर्व बैंक जुलाई से जून के वित्त वर्ष के मुताबिक हिसाब किताब करता है.

सरकार इससे पहले भी रिजर्व बैंक से अंतरिम लाभांश लेती रही है. पिछले वित्त वर्ष में केन्द्रीय बैंक ने सरकार को 28,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश दिया. इससे पहले 2017-18 में सरकार को दस हजार करोड़ रुपये अंतरिम लाभांश के तौर पर रिजर्व बैंक से मिले.

रिजर्व बैंक ने पिछले साल अगस्त में सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपये दिये हैं. इसमें 2018- 19 का 1,23,414 करोड़ रुपये की अधिशेष राशि और संशोधित आर्थिक पूंजी रूपरेखा के तहत पहचान की गई 52,637 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि शामिल है. वर्ष 2018-19 की 1,23,414 करोड़ रुपये की अधिशेष राशि में से रिजर्व बैंक पहले ही 28,000 करोड़ रुपये अंतरिम लाभांश के तौर पर जारी कर चुका है.

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की अगली बैठक में अंतरिम लाभांश के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है. सूत्रों ने यह उम्मीद जताई है. सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे के 3.3 प्रतिशत के तय लक्ष्य पर खरा उतरने के लिये कड़ी मशक्कत कर रही है, रिजर्व बैंक से अंतरिम लाभांश मिलने पर उसे मदद मिल सकती है.

राजस्व संग्रह में कमी और सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि दर को पटरी पर लाने के लिये किये गये प्रोत्साहन उपायों से सरकार की वित्तीय स्थिति दबाव में है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई जो इसका छह साल का निचला स्तर है.

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सरकार के अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर करीब 11 साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर रह सकती है. इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में यह 6.8 प्रतिशत रही थी.

सूत्रों ने बताया कि चालू वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की कम से कम एक बैठक होगी. समझा जाता है कि इसमें सरकार की ओर से मनोनीत निदेशकों द्वारा अंतरिम लाभांश का मुद्दा उठाया जा सकता है.

हालांकि, आरबीआई निदेशक मंडल की बैठक से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तय परंपरा के तहत निदेशक मंडल को संबोधित करते हुए बजट दृष्टिकोण के बारे में बताएंगी. परंपरागत रूप से हर साल बजट से कुछ दिन पहले यह बैठक होती है.

सूत्रों ने कहा कि यह काफी खास साल रहा है. इस दौरान कई असाधारण उपाय किए गए. मसलन बजट के बाद अलग कदम उठाते हुये कॉरपोरेट कर की दर में बड़ी कटौती की गई जिससे सरकार की वित्तीय स्थिति दबाव में आ गई.

रिजर्व बैंक निदेशक मंडल छह माह के प्रदर्शन के आधार पर यदि अंतरिम लाभांश देने पर सहमत हो जाता है तो इससे सरकार को कुछ वित्तीय राहत मिल सकती है. रिजर्व बैंक जुलाई से जून के वित्त वर्ष के मुताबिक हिसाब किताब करता है.

सरकार इससे पहले भी रिजर्व बैंक से अंतरिम लाभांश लेती रही है. पिछले वित्त वर्ष में केन्द्रीय बैंक ने सरकार को 28,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश दिया. इससे पहले 2017-18 में सरकार को दस हजार करोड़ रुपये अंतरिम लाभांश के तौर पर रिजर्व बैंक से मिले.

रिजर्व बैंक ने पिछले साल अगस्त में सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपये दिये हैं. इसमें 2018- 19 का 1,23,414 करोड़ रुपये की अधिशेष राशि और संशोधित आर्थिक पूंजी रूपरेखा के तहत पहचान की गई 52,637 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि शामिल है. वर्ष 2018-19 की 1,23,414 करोड़ रुपये की अधिशेष राशि में से रिजर्व बैंक पहले ही 28,000 करोड़ रुपये अंतरिम लाभांश के तौर पर जारी कर चुका है.

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रिजर्व बैंक बोर्ड की अगली बैठक में उठ सकता है अंतरिम लाभांश का मुद्दा

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की अगली बैठक में अंतरिम लाभांश के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है. सूत्रों ने यह उम्मीद जताई है. सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे के 3.3 प्रतिशत के तय लक्ष्य पर खरा उतरने के लिये कड़ी मशक्कत कर रही है, रिजर्व बैंक से अंतरिम लाभांश मिलने पर उसे मदद मिल सकती है.



राजस्व संग्रह में कमी और सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि दर को पटरी पर लाने के लिये किये गये प्रोत्साहन उपायों से सरकार की वित्तीय स्थिति दबाव में है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई जो इसका छह साल का निचला स्तर है.

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सरकार के अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर करीब 11 साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर रह सकती है. इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में यह 6.8 प्रतिशत रही थी.



सूत्रों ने बताया कि चालू वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की कम से कम एक बैठक होगी. समझा जाता है कि इसमें सरकार की ओर से मनोनीत निदेशकों द्वारा अंतरिम लाभांश का मुद्दा उठाया जा सकता है.



हालांकि, आरबीआई निदेशक मंडल की बैठक से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तय परंपरा के तहत निदेशक मंडल को संबोधित करते हुए बजट दृष्टिकोण के बारे में बताएंगी. परंपरागत रूप से हर साल बजट से कुछ दिन पहले यह बैठक होती है.



सूत्रों ने कहा कि यह काफी खास साल रहा है. इस दौरान कई असाधारण उपाय किए गए. मसलन बजट के बाद अलग कदम उठाते हुये कॉरपोरेट कर की दर में बड़ी कटौती की गई जिससे सरकार की वित्तीय स्थिति दबाव में आ गई.



रिजर्व बैंक निदेशक मंडल छह माह के प्रदर्शन के आधार पर यदि अंतरिम लाभांश देने पर सहमत हो जाता है तो इससे सरकार को कुछ वित्तीय राहत मिल सकती है. रिजर्व बैंक जुलाई से जून के वित्त वर्ष के मुताबिक हिसाब किताब करता है.



सरकार इससे पहले भी रिजर्व बैंक से अंतरिम लाभांश लेती रही है. पिछले वित्त वर्ष में केन्द्रीय बैंक ने सरकार को 28,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश दिया. इससे पहले 2017-18 में सरकार को दस हजार करोड़ रुपये अंतरिम लाभांश के तौर पर रिजर्व बैंक से मिले. 

रिजर्व बैंक ने पिछले साल अगस्त में सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपये दिये हैं. इसमें 2018- 19 का 1,23,414 करोड़ रुपये की अधिशेष राशि और संशोधित आर्थिक पूंजी रूपरेखा के तहत पहचान की गई 52,637 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि शामिल है. वर्ष 2018-19 की 1,23,414 करोड़ रुपये की अधिशेष राशि में से रिजर्व बैंक पहले ही 28,000 करोड़ रुपये अंतरिम लाभांश के तौर पर जारी कर चुका है.


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