नई दिल्ली: सरकार ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लागू पाबंदियो के दौरान बिजली की निरंतर-आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये वितरण कंपनियों को उत्पाक कंपनियों के भुगातान में तीन माह की मोहलत देने समेत उनकी मदद करने के लिए कई कदम उठाये है.
वितरण कंपनियों द्वारा बिजली खरीद के लिए अनिवार्य भुगतान सुरक्षा राशि घटाकर 50 प्रतिशत कर दी गयी है. उल्लेखनीय है कि बिजली मंत्रालय ने पिछले साल अगस्त से उत्पादक कंपनियों से विद्युत लेने के लिये साख पत्र देने को अनिवार्य कर दिया है.
बिजली वितरण कंपनियों के ऊपर उत्पादक कंपनियों के बढ़ते बकाये को देखते हुए ये कदम उठाये गये हैं ताकि बिजली की आपूर्ति में व्यवधान न हो.
बिजली मंत्रालय के बयान के अनुसार बिजली नियामक सीईआरसी को बिजली वितरण कंपनियों को उत्पादक तथा पारेषण इकाइयों के भुगतान को लेकर तीन महीने की मोहलत देने को कहा गया है. देरी से भुगतान को लेकर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा.
इसके अलावा राज्यों से इसी प्रकार का निर्देश राज्य विद्युत नियामक आयोग (एसईआरसी) को देने को कहा गया है.
बिजली मंत्री आर के सिंह ने बयान में कहा, "कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये जारी बंद के बावजूद बिजली क्षेत्र (उत्पादक, पारेषण और वितरण तथा प्रणाली परिचालन) के सभी कर्मचारी 24 घंटे काम कर रहे हैं. घेरलू कोयला कंपनियों से कोयले की आपूर्ति तथा रेलवे से ढुलाई को बनाये रखने के लिये मंत्रालय दोनों विभागों के संपर्क में है."
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सिंह ने कहा कि निकलने बढ़ने पर रोक के कारण उपभोक्ता अपना बकाया वितरण कंपनियों के देने की स्थिति में नहीं है. इससे वितरण कंपनियों की नकदी पर असर पड़ रहा है जिसके कारण उन्हें उत्पादक और पारेषण कंपनियों को वे भुगतान करने में समस्या होगी.
उन्होंने कहा कि इसीलिए वितरण कंपनियों को राहत देने के लिये उत्पादक और पारेषण कंपनियों के भुगतान पर तीन महीने की रोक लगायी गयी है. वितरण कंपनियों की नकदी की समस्या को कम करने के ये कदम उठाये गये हैं.
बयान के अनुसार इस आपात स्थिति में केंद्रीय बिजली उत्पादक कंपनियां/पारेषण कंपनियां बिजली की आपूर्ति ओर पारेषण वितरण कंपनियों को करती रहेंगी. वितरण कंपनियों के लिये बिजली देने को लेकर उत्पादक कंपनियों के साथ भुगतन सुरक्षा व्यवस्था को कम कर 30 जून 2020 तक 50 प्रतिशत किया जाएगा.
(पीटीआई-भाषा)