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लखीसराय में तालाबों का अस्तित्व खतरे में, अतिक्रमणकारियों ने किया कब्जा

तालाबों पर अतिक्रमणकारियों द्बारा कब्जा किये जान से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. पानी के लिये ग्रामीणों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.

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Published : Jun 10, 2019, 12:35 PM IST

तालाबों का अस्तित्व खतरे में

लखीसराय: जिले के ऐतिहासिक 52 तालाब और 53 कुएं का अस्तित्व खतरे में है. एक वक्त था जब लखीसराय को तालाबों के शहर से जाना जाता था. आज स्थिति विपरीत है. यहां के लोगों को पानी के लिये दर-दर भटकना पड़ रहा है.

अतिक्रमणकारियों ने तालाब पर किया कब्जा
लखीसराय जिलेभर में कुल 84 तालाब हैं, जिसमें शहरी क्षेत्रों में कुल 52 तालाब और 53 कुआँ है. लेकिन अतिक्रमणकारियों ने जबरन इन तालाबों पर अपना कब्जा जमा लिया है. इससे पानी के लिये चारों ओर हाहाकार मचा है.

पेश है रिपोर्ट

तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर
शहर के कई तालाब पर अतिक्रमणकारियों ने पूरी तरह से कब्जा कर अपना घर, गौशाला और मंदिर बना लिया है. यहाँ तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है. शहरी क्षेत्र और आसपास के छोटे-छोटे दर्जनों जलाशयों का तो नामोनिशान मिट चुका है.

तालाबों में गंदगी का अंबार
गायब हो रहे इन तालाबों की वजह से शहर का भूजल स्तर प्रतिबर्ष पाताल की ओर जा रहा है. बहुत बड़ी आबादी जलसंकट से घिरती जा रही हैं फिर भी तालाबों को बचाने का ध्यान किसी को भी नहीं है. जिले में काफी बड़े भूभाग पर फैले इन तालाबों का दायरा सिमटता जा रहा है. अतिक्रमण और रखरखाव के आभाव में इन तालाबों में गंदगी का अंबार लगा रहता है.

प्रशासन नदारद
स्थानीय लोगों के अनुसार जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण लखीसराय के दर्जनों तालाबों का अस्तित्व मिट रहा है. दबंग लोग तालाबों को मिट्टी और कचरों से धीरे-धीरे भरकर कब्जा कर लेते हैं और कुछ ही दिनों में मोटी कीमत लगाकर बेच देते हैं.

'मामले पर सभी को पहल करने की जरूरत'
लखीसराय लोक स्वास्थ्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता श्री हरे राम ने बताया कि लखीसराय तालाबों का शहर था. अगर इसमे बारिश का पानी संरक्षण किया जाय तो भूजल स्तर ठीक हो जायेगा. इसके लिए सभी को आगे आकर पहल करने की जरुरत है.

क्या है हाईकोर्ट का निर्देश
आपको बता दें कि हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि तालाबों पर किसी भी व्यक्ति का अतिक्रमण हो तो तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाये. अतिक्रमण कितना भी पुराना क्यों ना हो उसे हटाना हाईकोर्ट का निर्देश है. हाईकोर्ट की ओर से देशभर के डीएम को आदेश जारी किया गया है लेकिन लखीसराय प्रशासन बेसुध है.

लखीसराय: जिले के ऐतिहासिक 52 तालाब और 53 कुएं का अस्तित्व खतरे में है. एक वक्त था जब लखीसराय को तालाबों के शहर से जाना जाता था. आज स्थिति विपरीत है. यहां के लोगों को पानी के लिये दर-दर भटकना पड़ रहा है.

अतिक्रमणकारियों ने तालाब पर किया कब्जा
लखीसराय जिलेभर में कुल 84 तालाब हैं, जिसमें शहरी क्षेत्रों में कुल 52 तालाब और 53 कुआँ है. लेकिन अतिक्रमणकारियों ने जबरन इन तालाबों पर अपना कब्जा जमा लिया है. इससे पानी के लिये चारों ओर हाहाकार मचा है.

पेश है रिपोर्ट

तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर
शहर के कई तालाब पर अतिक्रमणकारियों ने पूरी तरह से कब्जा कर अपना घर, गौशाला और मंदिर बना लिया है. यहाँ तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है. शहरी क्षेत्र और आसपास के छोटे-छोटे दर्जनों जलाशयों का तो नामोनिशान मिट चुका है.

तालाबों में गंदगी का अंबार
गायब हो रहे इन तालाबों की वजह से शहर का भूजल स्तर प्रतिबर्ष पाताल की ओर जा रहा है. बहुत बड़ी आबादी जलसंकट से घिरती जा रही हैं फिर भी तालाबों को बचाने का ध्यान किसी को भी नहीं है. जिले में काफी बड़े भूभाग पर फैले इन तालाबों का दायरा सिमटता जा रहा है. अतिक्रमण और रखरखाव के आभाव में इन तालाबों में गंदगी का अंबार लगा रहता है.

प्रशासन नदारद
स्थानीय लोगों के अनुसार जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण लखीसराय के दर्जनों तालाबों का अस्तित्व मिट रहा है. दबंग लोग तालाबों को मिट्टी और कचरों से धीरे-धीरे भरकर कब्जा कर लेते हैं और कुछ ही दिनों में मोटी कीमत लगाकर बेच देते हैं.

'मामले पर सभी को पहल करने की जरूरत'
लखीसराय लोक स्वास्थ्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता श्री हरे राम ने बताया कि लखीसराय तालाबों का शहर था. अगर इसमे बारिश का पानी संरक्षण किया जाय तो भूजल स्तर ठीक हो जायेगा. इसके लिए सभी को आगे आकर पहल करने की जरुरत है.

क्या है हाईकोर्ट का निर्देश
आपको बता दें कि हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि तालाबों पर किसी भी व्यक्ति का अतिक्रमण हो तो तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाये. अतिक्रमण कितना भी पुराना क्यों ना हो उसे हटाना हाईकोर्ट का निर्देश है. हाईकोर्ट की ओर से देशभर के डीएम को आदेश जारी किया गया है लेकिन लखीसराय प्रशासन बेसुध है.

Intro:Lakhisarai l bihar

Slug...लखीसराय के ऐतिहासिक 52 तालाब और 53 कुआँ की अस्तित्व खतरे में, कभी तालाबों की शहर के नाम से जाना जाता था यह शहर, अब पानी पानी को तरस रहे हैं लोग,
दर्जनों तालाबों पर शहर के अतिक्रमणकारियों ने किया कब्जा, भूजल स्तर बहुत नीचे जाने से पीने की पानी का मचा हाहाकार

Cine.. अतिक्रमण के शिकार तालाब, तालाब के भूभागों पर कब्जा, कोई जानवर के गौशाला बनाया तो कोई घर एवं मंदिर

रिपोर्ट..रणजीत कुमार सम्राट

Date..05 June 2019

Anchor...लखीसराय बिहार के ऐतिहासिक धरोहरों एवं महत्वपूर्ण शहरों मे एक अलग शहर है।
इस जिले का गठन 3 जुलाई 1994 ईसवीं को किया गया था। इससे पहले यह मुंगेर जिला के अन्तर्गत आता था। मुंगेर गजेटियर एवं इतिहास कारो के अनुसार यहाँ पालवंश के समय मे अस्तित्व में आया था। और यक्ष दलिल यहाँ के ऐतिहासिक जयनगर लाली पहाड़ी व काली पहाड़ियों के आलावे महाराजा इन्द्रधूम्न के द्वारा 52 तालाब और 53.कुआँ खुदवाए गए थे। जिसका प्रमाण देखा जा रहा है।
लखीसराय जिलेभर में कुल 84 तालाब है जिसमें अकेले शहरी क्षेत्रों में कुल 52 तालाब और 53.कुआँ है। लेकिन जमीन की अप्रत्याशित कीमत बढ़ जाने से स्थानीय लोगों के द्वारा धीरे धीरे अतिक्रमण कर खरीद फरोख्त किया जाने लगा है। अतिक्रमण के कारण इन तालाबों का भविष्य मिट गया है।

क्या है हाईकोर्ट का निर्देश ः
उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि तालाबों पर किसी भी व्यक्ति का अतिक्रमण हो तो तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाये। यह अतिक्रमण कितना भी पुराना क्यों ना हो उसे हर ह हटाया जाएगा। इसके लिए हाईकोर्ट ने सभी देशभर के डीएम को आदेश जारी किया गया है। परन्तु लखीसराय प्रशासन सोई हुई है।

कभी तालाबों का शहर था लखीसराय ः

लखीसराय कभी तालाबों का शहर के नाम से जाना जाता था। लेकिन विगत पांच से छह दशकों के दौरान नगर परिषद क्षेत्र के अन्तर्गत आधा दर्जन से अधिक तालाबों का अस्तित्व खतरे में है।

तालाबों के अस्तित्व समाप्त होने के कगार परः

शहर के कई तालाब पर अतिक्रमणकारियों ने पूरी तरह से कब्जा कर अपना घर, गौशाला, मंदिर बना लिया है। यहाँ तालाबों के अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। शहरी क्षेत्र व आसपास के छोटे छोटे दर्जनों जलाशयों का तो नामोनिशान मिट चुका है। कई ऐसे छोटे जलाशय है जहाँ अब घर बन चुके हैं। लखीसराय वार्ड नं 26 मे पूर्व वार्ड पार्षद स्व. मथुरा साह ने तालाब पर मध्य विधालय बनाने के लिए डीएम को आवेदन दिया था। परन्तु तालाब पर स्कूल का निर्माण नहीं हो सका लेकिन स्थानीय लोगों ने उसे धीरे धीरे अतिक्रमण कर गौशाला, घर बना लिया है। वहीं गोपाल भंडार गली स्थित दुर्गेश्वरी स्थान स्थित तालाब को भी स्थानीय लोगों ने कब्जा कर लिया है। और यहाँ मंदिर और घर बन गए हैं। तालाब के कुछ अंश.नालों में तब्दील हो गया है। जिसे कोई देखने वाला नहीं है।
हालांकि सर्वे सेटलमेंट पंजी मे यह तालाब अंकित नहीं है।ऐसा कहा जाता है कि यहाँ का तालाब कभी भूजल स्तर को बरकरार रखने में अहम भूमिका निभाती थी।

आज गायब हो रहे इन तालाबों की वजह से ही.शहर का भूजल स्तर प्रतिबर्ष पाताल की ओर जा रहा है।और एक बहुत बड़ी आबादी जलसंकट से घिरती जा रही हैं। फिर भी तालाबों को बचाने की ध्यान किसी को भी नहीं है। जबकि वृहद तालाबों की वर्तमान स्थिति भी दयनीय है।
लखीसराय मे काफी बड़े भूभाग पर फैले इन तालाबों का दायरा सिमटता जा रहा है। वह भी अतिक्रमण एवं रखरखाव के आभाव में इन तालाबों मे गंदगी का अंबार लग रहे है। गंदगी बड़े तालाबों को निगल रहा है।

तालाबों के नक्शे व प्रमाणिक दस्तावेज के साक्ष्यः

लखीसराय अंचल कार्यालय में नगरपालिका क्षेत्र के अन्तर्गत तालाबों को लेकर सन 1932के नक्शे के आलावे ऐतिहासिक दस्तावेज है। ब्रिटिश शासन काल में यहाँ के तालाबों की सौन्दर्यीकरण के लिए प्रयास हुए परन्तु आजादी के बाद उसे सहेज कर नहीं रखा जा सका।फलस्वरूप तालाबों पर अतिक्रमण होने लगा। और धीरे धीरे इसके अस्तित्व मिटता चला गया।

शहरी तालाबों पर भू माफियाओं की नजर,कर रहे है अतिक्रमणः
लखीसराय के ऐतिहासिक अष्टघट्टी तालाब, संसार पोखर, सोनिया पोखर, कबैया पोखर, परिया पोखर, सोनिया पोखर,ओझवा पोखर,जिला अतिथि पोखर सहित अन्य पोखर व जलाशयों का अस्तित्व खतरे में है। भूमाफिया की दृष्टि इन्हीं तालाबों पर आशियाना बनाने के लिए नजर गड़ाये हुए है। तालाब किनारे रहने वाले लोग अपना सहुलियत के हिसाब से भरने लगे है। विडबंना यह है कि इस संदर्भ में कोई समाज सेवी , जन प्रतिनिधि का कोई भी बिरोध नहीं हो रहा है।यहाँ तक की नगर परिषद के अधिकारियों को भी कोई मतलब तक नहीं है। जिसका परिणाम है कि यहाँ के ऐतिहासिक महत्व रखने वाले तालाबों की अस्तित्व मिटता जा रहा है। जिससे भयंकर जल संकट उत्पन्न होने की खतरा बन रहा है। लोग अगर नहीं संभले तो पीने की पानी के लिए तरस जायेंगे।

V.O 1..लखीसराय लोक स्वास्थ्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ईंजिनियर श्री हरे राम ने बताया कि लखीसराय तालाबों
का.शहर था। अगर इसमे बर्षा के जल संरक्षण किया जाय तो भूजल स्तर ठीक हो जायेगा। तालाबों एवं.अन्य जलाशयों में जल संरक्षण से जल स्रोतों की स्तर ठीक ठाक रखा जा सकता है। इसके लिए सभी को आगे आकर पहल करने की जरुरत है।

बाइट... ई श्री हरेराम.. कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी विभाग

V.O 2..स्थानीय लोगों के अनुसार जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण लखीसराय के दर्जनों तालाबों का अस्तित्व मिट रहा है। दबंग टाईप के लोग तालाबों को मिट्टी और कचरों से धीरे धीरे भर कर कब्जा कर रहे है और इसे अपने इस्तेमाल के लिए उपयोग करने लगते है और फिर कुछ ही दिनों में मोटी कीमत लगाकर बेच देते हैं।

बाइट... पप्पू राम



Body:लखीसराय के ऐतिहासिक 52 तालाब और 53 कुआँ की अस्तित्व खतरे में, कभी तालाबों की शहर के नाम से जाना जाता था यह शहर, अब पानी पानी को तरस रहे हैं लोग,
दर्जनों तालाबों पर शहर के अतिक्रमणकारियों ने किया कब्जा, भूजल स्तर बहुत नीचे जाने से पीने की पानी का मचा हाहाकार



Conclusion:लखीसराय के ऐतिहासिक 52 तालाब और 53 कुआँ की अस्तित्व खतरे में, कभी तालाबों की शहर के नाम से जाना जाता था यह शहर, अब पानी पानी को तरस रहे हैं लोग,
दर्जनों तालाबों पर शहर के अतिक्रमणकारियों ने किया कब्जा, भूजल स्तर बहुत नीचे जाने से पीने की पानी का मचा हाहाकार
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