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कटिहार: अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही, SNCU के बाहर लगा गंदगी का अंबार - Drainage

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एसएनसीयू में बच्चों का बेहतर इलाज होता है. लेकिन बाहर बह रहे गंदे नाले का पानी इलाजरत नवजातों के स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है.

SNCU के बाहर लगा गंदगी का अंबार
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Published : Jun 10, 2019, 8:11 AM IST

कटिहार: एक ओर जहां सदर अस्पताल का एसएनसीयू नवजात बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. वहीं, दूसरी ओर बाहर बह रहे गंदे नाले का पानी उनके स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है और अस्पताल प्रबंधन इससे बेपरवाह है.

नवजातों के लिये वरदान साबित हो रहा SNCU
कटिहार सदर अस्पताल में बनाए गए एसएनसीयू बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां 100 में से 90 फ़ीसदी बच्चों का सफल इलाज किया जाता है. नवजातों की बेहतर देखभाल एवं उनके इलाज के लिए वार्ड में समुचित व्यवस्था की गई है. एसएनसीयू के अंदर वैसे नवजात इलाज कराते हैं जो जन्म के बाद घातक बीमारी से जूझ रहे होते हैं.

अत्याधुनिक सुविधाओं से है लैस
इस अस्पताल में आईसीयू, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन आदि की अत्याधुनिक सुविधा है. 24 घंटे विशेषज्ञ डॉक्टर और नर्स तैनात रहते हैं. हालांकि यहां पर कुछ डॉक्टरों की कमी है. अगर जल्द ही कुछ डॉक्टरों की बहाली हो जाती है तो इस एसएनसीयू की स्थिति राज्य में और बेहतर हो जाएगी.

जानकारी देते चिकित्सक

अस्पताल के बाहर लगा गंदगी का अंबार
यहां नवजातों का बेहतर इलाज तो हो रहा है लेकिन एसएनसीयू वार्ड के मुख्य द्वार पर ही गंदगी का अंबार लगा हुआ है. शौचालय का गंदा पानी यहां पर जमा रहता है. ऐसे में यह गंदगी इलाजरत बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है.

गंदगी के नाम पर महज खानापूर्ति
अस्पताल प्रबंधन की ओर से अस्पताल परिसर की सफाई के लिए हर महीने 2-3 लाख रुपए खर्च किये जाते हैं. लेकिन सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. ऐसे में ये लापरवाही इलाजरत नवजातों के स्वास्थ्य के लिये घातक साबित हो सकती है.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
कटिहार सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर मुर्तुजा अली अस्पताल परिसर की साफ-सफाई को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त दिख रहे हैं. इनकी मानें तो एसएनसीयू के बाहर गड्ढे होने के कारण बारिश का पानी जमा हो जाता है. सफाई कर्मियों के द्वारा लगातार सफाई की जाती है. हालांकि एसएनसीयू के बाहर बह रहा ये गंदा पानी बारिश का पानी नहीं बल्कि शौचालय का गंदा पानी है.

कटिहार: एक ओर जहां सदर अस्पताल का एसएनसीयू नवजात बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. वहीं, दूसरी ओर बाहर बह रहे गंदे नाले का पानी उनके स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है और अस्पताल प्रबंधन इससे बेपरवाह है.

नवजातों के लिये वरदान साबित हो रहा SNCU
कटिहार सदर अस्पताल में बनाए गए एसएनसीयू बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां 100 में से 90 फ़ीसदी बच्चों का सफल इलाज किया जाता है. नवजातों की बेहतर देखभाल एवं उनके इलाज के लिए वार्ड में समुचित व्यवस्था की गई है. एसएनसीयू के अंदर वैसे नवजात इलाज कराते हैं जो जन्म के बाद घातक बीमारी से जूझ रहे होते हैं.

अत्याधुनिक सुविधाओं से है लैस
इस अस्पताल में आईसीयू, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन आदि की अत्याधुनिक सुविधा है. 24 घंटे विशेषज्ञ डॉक्टर और नर्स तैनात रहते हैं. हालांकि यहां पर कुछ डॉक्टरों की कमी है. अगर जल्द ही कुछ डॉक्टरों की बहाली हो जाती है तो इस एसएनसीयू की स्थिति राज्य में और बेहतर हो जाएगी.

जानकारी देते चिकित्सक

अस्पताल के बाहर लगा गंदगी का अंबार
यहां नवजातों का बेहतर इलाज तो हो रहा है लेकिन एसएनसीयू वार्ड के मुख्य द्वार पर ही गंदगी का अंबार लगा हुआ है. शौचालय का गंदा पानी यहां पर जमा रहता है. ऐसे में यह गंदगी इलाजरत बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है.

गंदगी के नाम पर महज खानापूर्ति
अस्पताल प्रबंधन की ओर से अस्पताल परिसर की सफाई के लिए हर महीने 2-3 लाख रुपए खर्च किये जाते हैं. लेकिन सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. ऐसे में ये लापरवाही इलाजरत नवजातों के स्वास्थ्य के लिये घातक साबित हो सकती है.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
कटिहार सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर मुर्तुजा अली अस्पताल परिसर की साफ-सफाई को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त दिख रहे हैं. इनकी मानें तो एसएनसीयू के बाहर गड्ढे होने के कारण बारिश का पानी जमा हो जाता है. सफाई कर्मियों के द्वारा लगातार सफाई की जाती है. हालांकि एसएनसीयू के बाहर बह रहा ये गंदा पानी बारिश का पानी नहीं बल्कि शौचालय का गंदा पानी है.

Intro:कटिहार

एक ओर सदर अस्पताल का एसएनसीयू नवजात बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है वहीं दूसरी ओर एसएनसीयू के बाहर बह रहे गंदे नालों का पानी उनके स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है। यहां 100 नवजात के इलाज में लगभग 90 फ़ीसदी नवजात स्वस्थ हो रहे हैं। नवजात शिशुओं के इलाज के लिए 24 घंटा मौजूद रहते हैं नर्स और विशेषज्ञ चिकित्सक।


Body:कटिहार सदर अस्पताल में बनाए गए एसएनसीयू बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहां 100 में 90 फ़ीसदी बच्चे का जीवन सुरक्षित हो जाता है। नवजात बच्चों की बेहतर देखभाल एवं उनका समुचित इलाज के लिए वार्ड में समुचित व्यवस्था की गई है। एसएनसीयू के अंदर वैसे नवजात इलाज कराते हैं जो जन्म के बाद घातक बीमारी से जूझ रहे होते हैं उनके इलाज में थोड़ा विलंब जान ले सकता है।

सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में एक साथ 10 से 12 बच्चों का इलाज करने के लिए समुचित व्यवस्था है।आईसीयू, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन आदि की अत्याधुनिक सुविधा है। 24 घंटे विशेषज्ञ डॉक्टर और नर्स तैनात रहते हैं। बस यहां पर कुछ डॉक्टरों की कमी है अगर जल्द ही दो-तीन डॉक्टर की बहाली हो जाती है तो इस एसएनसीयू की स्थिति राज्य में और बेहतर हो जाएगी।

एसएनसीयू के अंदर तो नवजातों के लिए बेहतरीन सुविधा है हीं समुचित इलाज भी हो रहा है और लगभग 100 में 90 फ़ीसदी बच्चे स्वस्थ भी हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एसएनसीयू वार्ड के ठीक मुख्य द्वार पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। शौचालय का गंदा पानी यहां पर जमा रहता है। ऐसे में है यह गंदगी इलाजरत बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। और इन शिशुओं में बीमारी का असर ज्यादा दिख सकता है।

अस्पताल प्रबंधन की ओर से अस्पताल परिसर की सफाई के लिए हर महीने 2-3 लाख रुपए खर्च करती है लेकिन इसमें भी सही से सफाई नहीं की जाती। सफाई के नाम पर सिर्फ सफाई कर्मियों के द्वारा खानापूर्ति की जाती है। ऐसे में यह लापरवाही इलाजरत नवजातों के स्वास्थ्य और उनके जीवन पर असर डाल सकता है।



Conclusion:कटिहार सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर मुर्तुजा अली अस्पताल परिसर की साफ-सफाई को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त दिख रहे हैं। इनकी मानें तो एसएनसीयू के बाहर गड्ढे होने के कारण बारिश की पानी जमा हो जाता है। सफाई कर्मियों के द्वारा लगातार सफाई की जाती है लेकिन ऐसा है तो हम उसे साफ करा देंगे।

सिविल सर्जन मुर्तुजा अली एसएनसीयू के बाहर बह रहे इस गंदे पानी को बारिश की पानी बता रहे हैं दरअसल वह अस्पताल परिसर में बह रहे शौचालय का गंदा पानी है।
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