हैदराबाद : 1988 में शुरू किया गया विश्व एड्स दिवस पहला वैश्विक स्वास्थ्य दिवस (World aids day first global health day) था. अगर वर्तमान की बात करें तो दुनियाभर में करीब 4 करोड़ लोगों में यह विनाशकारी वायरस मौजूद है. एड्स पीड़ित लोगों के लिए दुनिया जिएं और जीने दो का मंत्र देती है.
विश्व एड्स दिवस का महत्व
ब्रिटेन में 105200 से अधिक लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं. वहीं विश्व स्तर पर करीब 38 मिलियन यानि 3 करोड़ 80 लाख से ज्यादा लोग हैं जिनमें यह वायरस मौजूद है. 1984 में वायरस की पहचान होने के बावजूद 35 मिलियन से अधिक लोग एचआईवी या एड्स से संबंधित बीमारियों से मर चुके हैं. जिससे यह इतिहास में सबसे विनाशकारी महामारियों में से एक बन गया है.
आज एचआईवी उपचार में वैज्ञानिक प्रगति हुई है. एचआईवी के साथ रहने वाले लोगों की रक्षा के लिए कानून हैं और हम स्थिति के बारे में बहुत कुछ समझते हैं. इसके बावजूद यूके में हर साल 4139 से अधिक लोगों में एचआईवी का निदान किया जाता है. लोग खुद की और दूसरों की रक्षा करने के बारे में तथ्यों को नहीं जानते और इस स्थिति के साथ रहने वाले कई लोगों के लिए कलंक और भेदभाव एक वास्तविकता है.
विश्व एड्स दिवस इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता और सरकार को याद दिलाता है कि एचआईवी समाप्त नहीं हुआ है. अभी भी धन जुटाने, जागरूकता बढ़ाने, पूर्वाग्रह से लड़ने और शिक्षा में सुधार करने की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है.
विश्व एड्स दिवस की थीम
इस वर्ष विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day ) की थीम 'असमानता समाप्त : एड्स महामारी का अंत' है. यूएन विश्व एड्स दिवस पर दुनिया भर में एड्स और अन्य महामारियों को बढ़ावा देने वाली असमानताओं को दूर करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दे रहा है. हालांकि आपको यह जानने की जरूरत है कि एचआईवी और एड्स दुनिया को कैसे प्रभावित कर रहे हैं.
एड्स क्या है
एड्स (Acquired Immune Deficiency Syndrome) एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है जिसका इलाज अभी तक नहीं ढूंढा जा सका है. यह एचआईवी (Human immunodeficiency virus) के कारण होता है. जिस व्यक्ति को यह बीमारी होती है वह कई अंगों की विफलता और अत्यधिक संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील होता है. बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण एचआईवी संक्रमण अधिक प्रबंधनीय हो गया है जिससे एचआईवी वाले लोग लंबे समय तक जीवन जी सकते हैं.
नए एचआईवी संक्रमण
यूएन एड्स का कहना है कि 1997 में दुनिया भर में चरम पर पहुंचने के बाद से नए एचआईवी संक्रमण में 52 प्रतिशत की कमी आई है. इसमें आगे कहा गया है कि 1997 में 3.0 मिलियन लोगों की तुलना में 2020 में लगभग 1.5 मिलियन लोग एचआईवी से संक्रमित हुए थे.
यूएन एड्स कहता है कि 2010 के बाद से नए एचआईवी संक्रमणों में 31% की गिरावट आई है. जो कि 2020 में 2.1 मिलियन से 1.5 मिलियन हो गई है. इसमें कहा गया है कि 2010 के बाद से बच्चों में भी नए एचआईवी संक्रमणों में 53% की गिरावट आई है. जो कि 2010 में 320,000 से 2020 में 50000 हो गई है.
वैश्विक सांख्यिकी
यूएन एड्स के अनुसार एचआईवी वाले लोगों की संख्या 2020 में दुनिया भर में एचआईवी के साथ लगभग 37.6 मिलियन लोग थे. इनमें से 35.9 मिलियन वयस्क थे और 1.7 मिलियन 15 वर्ष तक के बच्चे थे. नए एचआईवी संक्रमण 2020 में दुनिया भर में अनुमानित 1.5 मिलियन व्यक्तियों को एचआईवी हुआ.
2010 के बाद से नए एचआईवी संक्रमणों में 30% की गिरावट दर्ज की गई. यह उन लोगों की अनुमानित संख्या को संदर्भित करता है जिन्होंने एचआईवी प्राप्त किया है. दी गई अवधि के दौरान वायरस, जैसे कि एक वर्ष, जो एक वर्ष के दौरान एचआईवी से पीड़ित लोगों की संख्या से अलग है.
एचआईवी/एड्स पर कोविड प्रभाव
UNAIDS के अनुसार COVID-19 महामारी ने कई देशों में स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक रूप से बाधित किया है. कुछ देशों में एचआईवी सेवाओं में 75 प्रतिशत तक व्यवधान की सूचना मिली है. डब्ल्यूएचओ ने पाया था कि एचआईवी संक्रमण वाले लोगों की तुलना में एचआईवी के साथ रहने वाले लोगों में गंभीर या घातक कोविड-19 विकसित होने का जोखिम 30 प्रतिशत अधिक था.
2020 में WHO ने COVID के प्रभाव को जानने के लिए एक सर्वेक्षण भी किया कि यह कैसे एचआईवी के साथ रहने वाले लोगों को प्रभावित करता है. सर्वेक्षण में पाया गया कि COVID-19 के चरम के दौरान 73 देशों ने चेतावनी दी थी कि COVID-19 महामारी के परिणामस्वरूप उन्हें एंटीरेट्रोवाइरल (ARV) दवाओं के स्टॉक-आउट का खतरा था. वहीं 24 देशों ने या तो गंभीर रूप से कम स्टॉक होने की सूचना दी या एआरवी या इन जीवन रक्षक दवाओं की आपूर्ति में व्यवधान की जानकारी दी.
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एड्स : संख्या में भारत की स्थिति
एड्स सोसाइटी ऑफ इंडिया (AIDS Society of India) के अनुसार 2019 के अंत तक भारत में 2.35 मिलियन लोग एचआईवी के साथ जी रहे थे. इसमें से 1.345 मिलियन लोग एआरटी प्राप्त कर रहे थे. पिछले साल के अंत में भारत में 69,220 नए एचआईवी संक्रमण और 58,960 एड्स से संबंधित मौतें हुईं.
नाको (National AIDS Control Organization) ने यह भी खुलासा किया है कि भारत में प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर एड्स से संबंधित मृत्यु दर मणिपुर (36.86) में सबसे अधिक है. इसके बाद मिजोरम (28.34), नागालैंड (26.20), आंध्र प्रदेश (21.76), पुडुचेरी (15.33) मेघालय (11.08) और तेलंगाना (10.79) हैं.
2019 में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (National AIDS Control Organization) की रिपोर्ट से पता चला कि मेघालय (0.76%) में एचआईवी महामारी बहुत अधिक थी, जो मिजोरम (1.19%) और नागालैंड (0.82%) के बाद देश में तीसरा सबसे अधिक है.