पटना : केंद्र सरकार ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि जातीय जनगणना (Caste Census) वर्ष 2021 में कराना संभव नहीं है, क्योंकि यह काफी मुश्किल भरा काम है. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने देश के 33 प्रमुख समान विचारधारा वाले नेताओं को पत्र लिखा है. बीजेपी (BJP) को छोड़कर बाकी सभी दलों के नेताओं को चिट्ठी लिखकर उन्होंने ने जातिगत जनगणना पर समर्थन मांगा है और साथ ही कहा कि मोदी सरकार का रुख इसको लेकर सही नहीं है.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने यह भी कहा है कि उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की प्रतिक्रिया का इंतजार है, जिसके बाद वे आगे के एक्शन प्लान के बारे में बात करेंगे. कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्र ने कहा कि अगर केंद्र सरकार तैयार नहीं होती है तो सीएम को कड़ा फैसला लेना चाहिए और बिहार को अपने स्तर से चाहे जो भी खर्च हो, जातीय जनगणना करानी चाहिए. कांग्रेस नेता ने तो ये भी कहा कि अगर प्रधानमंत्री ने जातीय जनगणना की बिहार की मांग को ठुकरा दिया तो नीतीश कुमार को एनडीए (NDA) से अलग हो जाना चाहिए.
जातीय जनगणना प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया का इंतजार
जेडीयू (JDU) ने तो साफ कहा है कि वह प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया के इंतजार में है. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि हमें पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सकारात्मक प्रतिक्रिया का इंतजार है. हालांकि जेडीयू सांसद सुनील कुमार ने कहा है कि इस मुद्दे पर हम लोग समझौता नहीं कर सकते हैं. हर हाल में जातीय जनगणना होगी, सत्ता से ज्यादा हम लोगों के लिए जनता का हित जरूरी है.
दरअसल इस मामले में काफी पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी संकेत दिए थे कि अगर केंद्र सरकार से सहयोग नहीं मिला तो हम अपने स्तर से जातीय जनगणना के बारे में विचार करेंगे. इस बात को लेकर कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्र ने भी सवाल उठाए हैं कि जब नीतीश कुमार पहले यह कहते रहे हैं कि हम अपने स्तर से जनगणना करा सकते हैं तो फिर पीछे क्यों हट रहे हैं.
इधर बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि अगर कोई राज्य अपने स्तर से जातीय जनगणना कराना चाहे तो इसके लिए कहीं कोई रोक नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रधानमंत्री से बिहार के राजनीतिक दलों ने मुलाकात की है तो उन्हें पीएम की प्रतिक्रिया का भी इंतजार करना चाहिए.
वहीं, इस बारे में बिहार की राजनीति को नजदीक से देखने समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि यह समझना जरूरी है कि आखिर कर्नाटक ने जब जातीय जनगणना कराई तो उसका नतीजा क्या हुआ. वे कहते हैं कि बिहार पहले से ही गरीब राज्य है. जातीय जनगणना के लिए जितनी बड़ी राशि की जरूरत पड़ेगी और जितना बड़ा मानव बल चाहिए, वह उपलब्ध कराना बिहार के लिए आसान नहीं होगा. उन्होंने यह भी कहा कि जातीय जनगणना के लिए जो तर्क राजनीतिक दल दे रहे हैं, क्योंकि जितनी भी योजनाएं चलती हैं, उनका लाभ जाति के आधार पर नहीं बल्कि सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक आधार पर दिया जाता है.
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