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प्रतिबंधों के बावजूद आज रात लाठी लड़ाई का उत्साह होगा चरम पर

कुरनूल जिले के अलुरु निर्वाचन क्षेत्र के देवरगट्टू माला मल्लेश्वरस्वामी मंदिर में दशहरा के अवसर पर लाठी लड़ाई का आयोजन किया जाएगा. हालांकि अधिकारियों ने कोरोना के मद्देनजर त्योहार पर प्रतिबंध लगा दिया है.

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Published : Oct 15, 2021, 6:29 PM IST

कुरनूल : मल्लेश्वरस्वामी मंदिर में दशहरा के अवसर पर लाठी लड़ाई का आयोजन किया जाएगा. हालांकि अधिकारियों ने प्रतिबंध लगाए हैं. वायरस को फैलने से रोकने के लिए यह फैसला लिया गया है. इससे पहले पुलिस और अधिकारियों ने लाठी-डंडों के मुद्दे पर कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए हैं. हिंसा पर लगाम लगाने की कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला है.

दरअसल, तीर्थयात्रा पर निकलते हुए दो समुदायों के लोग मल्लेश्वर स्वामी की उत्सव की मूर्तियों को पकड़ने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं और लाठियों से लड़ते हैं. इस दौरान जिनका हाथ पहुंचता है, वे स्वामीवारु को अपने गांव ले जाएंगे.

यहां नेरानी, ​​नेरानिकी टांडा और कोट्टापेटा गांव के लोग एक टीम बनाते हैं और अलुरु, सुलुवई, एलारथी, अरीकेरा, निद्रावट्टी और बिलेहाल गांव के लोग एक और टीम बनाते हैं और लाठियों से लड़ते हैं. हर साल दोनों पक्ष गंभीर रूप से घायल होते हैं. यह लाठियों की लड़ाई को देखने के लिए कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के हजारों भक्त इकट्ठा होते हैं.

केवल 150 लोगों को मिली अनुमति

अधिकारियों और पुलिस ने 18 गांवों में कोरोना को लेकर जागरुकता फैलाई. यह स्पष्ट किया गया कि प्रत्येक गांव से केवल 150 लोगों को अनुमति दी जाएगी. उन्होंने किसी भी रिश्तेदार को गांवों में नहीं बुलाने और उन्हें देवरगट्टू नहीं लाने की चेतावनी दी.

यह भी पढ़ें-राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की हो समीक्षा, सीमा पार घुसपैठ पर लगे लगाम : सरसंघचालक

पुलिस को उम्मीद है कि इससे कोरोना नियमों का पालन करने सहित पारंपरिक रूप से उत्सव का आयोजन संभव हो सकेगा. लोगों को आश्वासन दिया गया है कि कोविड नियमों के अनुसार त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाया जाएगा. पुलिस अब तक एक हजार से अधिक लाठियां जब्त कर चुकी है.

कुरनूल : मल्लेश्वरस्वामी मंदिर में दशहरा के अवसर पर लाठी लड़ाई का आयोजन किया जाएगा. हालांकि अधिकारियों ने प्रतिबंध लगाए हैं. वायरस को फैलने से रोकने के लिए यह फैसला लिया गया है. इससे पहले पुलिस और अधिकारियों ने लाठी-डंडों के मुद्दे पर कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए हैं. हिंसा पर लगाम लगाने की कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला है.

दरअसल, तीर्थयात्रा पर निकलते हुए दो समुदायों के लोग मल्लेश्वर स्वामी की उत्सव की मूर्तियों को पकड़ने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं और लाठियों से लड़ते हैं. इस दौरान जिनका हाथ पहुंचता है, वे स्वामीवारु को अपने गांव ले जाएंगे.

यहां नेरानी, ​​नेरानिकी टांडा और कोट्टापेटा गांव के लोग एक टीम बनाते हैं और अलुरु, सुलुवई, एलारथी, अरीकेरा, निद्रावट्टी और बिलेहाल गांव के लोग एक और टीम बनाते हैं और लाठियों से लड़ते हैं. हर साल दोनों पक्ष गंभीर रूप से घायल होते हैं. यह लाठियों की लड़ाई को देखने के लिए कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के हजारों भक्त इकट्ठा होते हैं.

केवल 150 लोगों को मिली अनुमति

अधिकारियों और पुलिस ने 18 गांवों में कोरोना को लेकर जागरुकता फैलाई. यह स्पष्ट किया गया कि प्रत्येक गांव से केवल 150 लोगों को अनुमति दी जाएगी. उन्होंने किसी भी रिश्तेदार को गांवों में नहीं बुलाने और उन्हें देवरगट्टू नहीं लाने की चेतावनी दी.

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पुलिस को उम्मीद है कि इससे कोरोना नियमों का पालन करने सहित पारंपरिक रूप से उत्सव का आयोजन संभव हो सकेगा. लोगों को आश्वासन दिया गया है कि कोविड नियमों के अनुसार त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाया जाएगा. पुलिस अब तक एक हजार से अधिक लाठियां जब्त कर चुकी है.

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