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केरल पिंक पुलिस मामला : हाई कोर्ट ने पुलिस को बताया असंवेदनशील

केरल की पिंक पुलिस (Kerala's Pink Police) ने एक बच्चे और उसके पिता को सेल फोन चोरी का आरोप लगाते हुए सार्वजनिक रूप से शर्मसार (publicly shamed) करने के लिए माफी मांगी है.

Kerala Pink Police case
केरल पिंक पुलिस मामला
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Published : Dec 6, 2021, 8:21 PM IST

एर्नाकुलम : केरल पिंक पुलिस (Kerala's Pink Police) मामले में हाई कोर्ट ने पुलिस को असंवेदनशील बताया है. उच्च न्यायालय ने माफी के बाद भी पुलिस को असंवेदनशील बताया और पिता व उसके बच्चे को सार्वजनिक रूप से धमकाने के लिए कड़ी आलोचना की.

हाईकोर्ट ने पिंक पुलिस और उसकी महिला इंस्पेक्टर के खिलाफ (Against the Pink Police and its lady inspector) बच्ची और पिता की मानहानि याचिका पर विचार करते हुए कहा कि पब्लिक शेमिंग से बच्ची को मानसिक आघात पहुंचा है. अदालत ने पूछा कि महिला निरीक्षक के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज कराया गया. कोर्ट ने बच्चे की जांच करने वाले डॉक्टर के साथ ऑनलाइन सुनवाई करने का भी फैसला किया है.

हाईकोर्ट ने कहा कि वे दृढ़ता से आश्वस्त हैं कि बच्चे ने अपने बयानों को पढ़ने के बाद जो कहा वह झूठ नहीं है और अधिकारियों से बच्चे के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा. कोर्ट ने यह भी कहा कि जनता को शर्मसार करने वाले वीडियो में और सरकारी रिपोर्ट में जो कहा गया, उसमें काफी विरोधाभास है.

यह भी पढ़ें- Maharashtra Honor Killing: लव मैरिज कर चुकी बहन की भाई ने की गला रेतकर हत्या

इसने यह जानने की मांग की है कि सरकार ने बच्चे का विश्वास हासिल करने में मदद करने के लिए क्या किया है. अदालत ने यह भी कहा कि वर्दी में होने से किसी को वह करने का लाइसेंस नहीं मिलता जो वे चाहते हैं. इस बीच लड़की के पिता ने कहा कि वे पुलिस की माफी को स्वीकार नहीं करेंगे और जनता की बदनामी के लिए मुआवजे की मांग करेंगे.

एर्नाकुलम : केरल पिंक पुलिस (Kerala's Pink Police) मामले में हाई कोर्ट ने पुलिस को असंवेदनशील बताया है. उच्च न्यायालय ने माफी के बाद भी पुलिस को असंवेदनशील बताया और पिता व उसके बच्चे को सार्वजनिक रूप से धमकाने के लिए कड़ी आलोचना की.

हाईकोर्ट ने पिंक पुलिस और उसकी महिला इंस्पेक्टर के खिलाफ (Against the Pink Police and its lady inspector) बच्ची और पिता की मानहानि याचिका पर विचार करते हुए कहा कि पब्लिक शेमिंग से बच्ची को मानसिक आघात पहुंचा है. अदालत ने पूछा कि महिला निरीक्षक के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज कराया गया. कोर्ट ने बच्चे की जांच करने वाले डॉक्टर के साथ ऑनलाइन सुनवाई करने का भी फैसला किया है.

हाईकोर्ट ने कहा कि वे दृढ़ता से आश्वस्त हैं कि बच्चे ने अपने बयानों को पढ़ने के बाद जो कहा वह झूठ नहीं है और अधिकारियों से बच्चे के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा. कोर्ट ने यह भी कहा कि जनता को शर्मसार करने वाले वीडियो में और सरकारी रिपोर्ट में जो कहा गया, उसमें काफी विरोधाभास है.

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इसने यह जानने की मांग की है कि सरकार ने बच्चे का विश्वास हासिल करने में मदद करने के लिए क्या किया है. अदालत ने यह भी कहा कि वर्दी में होने से किसी को वह करने का लाइसेंस नहीं मिलता जो वे चाहते हैं. इस बीच लड़की के पिता ने कहा कि वे पुलिस की माफी को स्वीकार नहीं करेंगे और जनता की बदनामी के लिए मुआवजे की मांग करेंगे.

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