डिंडीगुल: तमिलनाडु राज्य के डिंडीगुल इलाके में मंथा मुथलम्मन मंदिर नट्टम के पास वट्टीपट्टी के बगल में कवारयापट्टी में स्थित है. इस मंदिर के लिए पिछले 20 वर्षों से ग्रामीणों की ओर से बैलों का पालन किया जाता है. कवारयापट्टी मंदिर के बैल को ग्रामीणों ने पालतू जानवर के रूप में रखा हुआ था. मंथा मुथलम्मन कोविल मदु एक अपराजित सांड था, जिसने अलंगनल्लूर, पलामेडु, सिरवायल, थवसीमदाई, कोसावपट्टी, सहित सौ से अधिक वादीवसलों में भाग लिया है.
इन वादीवसलों में भाग लेकर उसने कई प्रसिद्ध जल्लीकट्टू में सोना, चांदी, ट्रॉफी और मेडल के कई पुरस्कार जीते और शहर और मंदिर का गौरव बढ़ाया. इस बैल को कोई नहीं बांधता था. यह सांड आमतौर पर घर-घर जाकर ग्रामीणों द्वारा दिए गए फल और भूसे को खाता था और लोग इस सांड को दूर नहीं भगाते भले ही यह खेत में चरने के लिए चले जाता हो. सांड पास से गुजरने वाले को मारता भी नहीं था. ग्रामीणों से इतना स्नेह रखने वाला सांड सोमवार (17 अप्रैल) को तबीयत खराब होने के चलते मर गया.
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मंदिर के सांड की मौत से ग्रामीणों में शोक की लहर दौड़ गई. मृत बैल के शरीर को सजाया गया और मंदिर के सामने रखा गया. क्षेत्र के ग्रामीणों ने मृत मंदिर के सांड को माला पहनाकर, चंदन, जावद, वेस्ती और तौलिये आदि पहनाकर उनका सम्मान किया गया. बड़ी संख्या में आसपास के गांवों के लोगों ने भी सांड को माला पहनाकर उसकी पूजा की. बाद में, अथिरवेदु बजाया गया और तराई पटपटों को पीटा गया और सांड को जुलूस में ले जाकर मंदिर के पास दफन कर दिया गया.