नई दिल्ली : हिंदू पंचांग अनुसार, हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं. मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं और जो प्रदोष शनिवार के दिन आता है, उसे शनि प्रदोष कहते हैं. इस माह प्रदोष व्रत 29 मार्च को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव के साथ हनुमान जी की भी कृपा भक्तों पर करते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. प्रदोष व्रत रखने से सुख-समृद्धि और विवाह में आने वाली अड़चनें भी दूर होती हैं. जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष हो उसे भौम प्रदोष का व्रत जरूर रखना चाहिए.
वही, 29 मार्च को प्रदोष के दिन साध्य योग दोपहर के 3:14 बजे तक है. इसके अलावा द्विपुष्कर योग 29 मार्च को सुबह 06:15 से शुरू हो रहा है, जो सुबह 11:28 बजे समाप्त होगा. इन खास और अहम योग को मांगलिक काम के लिए शुभ माना जाता है.
ज्योतिषाचार्य दीप कुमार का कहना है कि प्रदोष काल में 29 मार्च को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:37 बजे से शुरू हो रहा है और इस दिन रात 8:57 बजे तक ये मुहूर्त रहेगा इस समय भगवान शिव शंभू की पूजा अर्चना और अभिषेक करने को अति शुभ माना जाता है. माना जाता है कि भोलेनाथ को पसंद सभी चीजों को अर्पित कर पूजा करने से वो भक्त को आशीर्वाद देते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि चंद्र देव जब कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए थे, तब उन्होंने भगवान शंभू की पूजा की थी. भोलेनाथ की ही कृपा से उनका दोष दूर हो गया. तभी से प्रदोष व्रत रखा जाने लगा. भक्त प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान करें और फिर व्रत का संकल्प कर लें. समय के अभाव में आप सुबह ही पूजा करना चाहते हैं, तो कर लें. हालांकि प्रदोष व्रत की पूजा शाम के वक्त की जाती है।
प्रदोष व्रत कर इस दिन पूजा के शुभ मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ का गंगाजल और दूध से अभिषेक करना चाहिए. फिर उन्हें चंदन का लेप लगाना शुभ माना जाता है. इसके बाद भांग, धतूरा, अक्षत, बेलपत्र, शक्कर, शहद, फल, फूल, मिठाई और वस्त्र चढ़ाए जाते हैं. शिव की पूजा करते समय और सभी चीजों को अर्पित करते हुए आप ओम नमः: शिवाय मंत्र का उच्चारण जरूर करें इसके बाद आसन बिछा कर बैठें और शिव चालीसा का पाठ करें. उसके बाद प्रदोष व्रत कथा पढ़ें या सुनें. कथा के बाद भोलेनाथ शिव शंकर की आरती करें. माना जाता है कि पूरे विधि के साथ पूजा करने से भगवान शिव शंभू भक्तों का कल्याण करते हैं.