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नामीबिया से लाए गए आठ चीतों में से सात जीवित हैं : सरकार - INC MP Kumar Ketkar

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे (Minister of State for Environment, Forest and Climate Change Ashwini Kumar Choubey ) ने राज्यसभा में बताया कि नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीतों में से सात जिंदा हैं. पढ़िए पूरी खबर...

Minister of State Ashwini Kumar Choubey
राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे
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Published : Aug 3, 2023, 9:20 PM IST

नई दिल्ली : सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीतों में से सात जीवित हैं. यह जानकारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे (Minister of State for Environment, Forest and Climate Change Ashwini Kumar Choubey ) ने लिखित जवाब में दी. इस बारे में कांग्रेस सांसद कुमार केतकर द्वारा नामीबिया से भारत लाए गए चीतों की स्थिति, चीतों की संख्या कितनी है और कितने जीवित हैं के बारे में सवाल पूछा गया था. वहीं चीतों को लाने के लिए सरकार द्वारा खर्च की राशि के बारे में राज्य मंत्री ने बताया कि भारत में चीता लाने की कार्य योजना के मुताबिक पहले चरण में (5 वर्ष) के लिए परियोजना की अनुमानित लागत 91.65 करोड़ रुपये है.

उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने भारत में चीता की शुरूआत के लिए आईयूसीएन दिशानिर्देशों के अनुसार एक विस्तृत वैज्ञानिक कार्य योजना तैयार की है. भारतीय जंगलों में चीतों के जीवित न रहने के कारणों पर टिप्पणी करने के लिए कहे जाने पर कहा कि भारत में चीतों के संरक्षण और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए, वैज्ञानिक कार्य योजना के अनुसार कार्रवाई की जाती है जिसे अग्रणी की विशेषज्ञता के बाद तैयार किया गया है. इसमें जीवविज्ञानी, पारिस्थितिकीविज्ञानी, संरक्षणवादियों और प्रबंधकों सहित चीता विशेषज्ञ शामिल होते हैं.

यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि धात्री (त्बिलिसी) नामक मादा चीता की हाल ही में मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मृत्यु हो गई थी. इससे मरने वालों की कुल संख्या नौ हो गई है, जिसमें इस साल मार्च से नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से स्थानांतरित छह वयस्क चीतों के साथ-साथ भारत में पैदा हुए तीन शावक भी शामिल हैं. हालांकि प्रोजेक्ट चीता, भारत का महत्वाकांक्षी अंतरमहाद्वीपीय चीता स्थानांतरण कार्यक्रम है. इसका उद्देश्य देश में प्रजातियों को फिर से स्थापित करने के प्रयास में अफ्रीकी चीतों को भारत के चुनिंदा स्थानों पर रखना है.

इससे पहले इस परियोजना का हिस्सा दक्षिण अफ्रीका के चार चीता विशेषज्ञ ने दावा किया था कि उन्हें अंधेरे में रखा जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट को लिखे एक पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि यादवेंद्रदेव झाला, जिन्होंने इस परियोजना की परिकल्पना की थी और इसका नेतृत्व किया था, बाद से उनकी भागीदारी कम कर दी गई है. वहीं देश में लाए गए नौ चीतों की मौत की मीडिया में बहुत ज्यादा चर्चा रही, जिसकी संरक्षणवादियों और विपक्ष ने तीखी आलोचना की है.

ये भी पढ़ें - Delhi Service Bill : लोकसभा से पारित हुआ दिल्ली सेवा बिल, INDIA के सदस्यों ने किया बहिष्कार

नई दिल्ली : सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीतों में से सात जीवित हैं. यह जानकारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे (Minister of State for Environment, Forest and Climate Change Ashwini Kumar Choubey ) ने लिखित जवाब में दी. इस बारे में कांग्रेस सांसद कुमार केतकर द्वारा नामीबिया से भारत लाए गए चीतों की स्थिति, चीतों की संख्या कितनी है और कितने जीवित हैं के बारे में सवाल पूछा गया था. वहीं चीतों को लाने के लिए सरकार द्वारा खर्च की राशि के बारे में राज्य मंत्री ने बताया कि भारत में चीता लाने की कार्य योजना के मुताबिक पहले चरण में (5 वर्ष) के लिए परियोजना की अनुमानित लागत 91.65 करोड़ रुपये है.

उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने भारत में चीता की शुरूआत के लिए आईयूसीएन दिशानिर्देशों के अनुसार एक विस्तृत वैज्ञानिक कार्य योजना तैयार की है. भारतीय जंगलों में चीतों के जीवित न रहने के कारणों पर टिप्पणी करने के लिए कहे जाने पर कहा कि भारत में चीतों के संरक्षण और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए, वैज्ञानिक कार्य योजना के अनुसार कार्रवाई की जाती है जिसे अग्रणी की विशेषज्ञता के बाद तैयार किया गया है. इसमें जीवविज्ञानी, पारिस्थितिकीविज्ञानी, संरक्षणवादियों और प्रबंधकों सहित चीता विशेषज्ञ शामिल होते हैं.

यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि धात्री (त्बिलिसी) नामक मादा चीता की हाल ही में मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मृत्यु हो गई थी. इससे मरने वालों की कुल संख्या नौ हो गई है, जिसमें इस साल मार्च से नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से स्थानांतरित छह वयस्क चीतों के साथ-साथ भारत में पैदा हुए तीन शावक भी शामिल हैं. हालांकि प्रोजेक्ट चीता, भारत का महत्वाकांक्षी अंतरमहाद्वीपीय चीता स्थानांतरण कार्यक्रम है. इसका उद्देश्य देश में प्रजातियों को फिर से स्थापित करने के प्रयास में अफ्रीकी चीतों को भारत के चुनिंदा स्थानों पर रखना है.

इससे पहले इस परियोजना का हिस्सा दक्षिण अफ्रीका के चार चीता विशेषज्ञ ने दावा किया था कि उन्हें अंधेरे में रखा जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट को लिखे एक पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि यादवेंद्रदेव झाला, जिन्होंने इस परियोजना की परिकल्पना की थी और इसका नेतृत्व किया था, बाद से उनकी भागीदारी कम कर दी गई है. वहीं देश में लाए गए नौ चीतों की मौत की मीडिया में बहुत ज्यादा चर्चा रही, जिसकी संरक्षणवादियों और विपक्ष ने तीखी आलोचना की है.

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