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Ex RJD MP Prabhunath Gets life term: डबल मर्डर केस में RJD के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद - supreme court prabhunath singh double murder case

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई है. उन्हें दो लोगों की हत्या का दोषी पाया गया.

SC sentences life term to ex RJD MP Prabhunath Singh in double murder case
सुप्रीम कोर्ट ने RJD के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को सुनाई उम्रकैद की सजा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 1, 2023, 11:32 AM IST

Updated : Sep 1, 2023, 12:10 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार के राजनेता और लालू यादव की पार्टी राजद के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद की सजा सुनाई. 18 अगस्त को शीर्ष अदालत ने मामले में 2008 में पटना उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें बरी किये जाने के फैसले को पलट दिया.

23 अगस्त, 1995 को विधानसभा चुनाव के दौरान सिंह के आदेश के अनुसार मतदान नहीं कराने पर दो व्यक्तियों - राजेंद्र राय और दरोगा राय- की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

जस्टिस कौल ने कहा, 'केवल दो विकल्प हैं. उम्रकैद या मौत की सजा.' न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा कि अदालत सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाते और मुआवजा देने का आदेश दिया जाता है. राज्य सरकार को मुआवजा देने का आदेश दिया गया. न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि सिंह को धारा 307 के लिए भी 7 साल कैद की सजा सुनाई गई है और उन्होंने कहा, 'इस तरह का मामला कभी नहीं देखा.'

18 अगस्त को सिंह को दोषी ठहराते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि उन्होंने मार्च 1995 में छपरा में एक मतदान केंद्र के पास 18 वर्षीय राजेंद्र राय और 47 वर्षीय दरोगा राय की हत्या कर दी थी. दिसंबर 2008 में पटना की एक अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए सिंह को बरी कर दिया और 2012 में पटना उच्च न्यायालय ने उनकी बरी को बरकरार रखा. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया. राजेंद्र राय के भाई ने सिंह को बरी किए जाने को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

ये भी पढ़ें- Bihar News : 'मैं प्रभुनाथ सिंह की रिहाई की मांग करता हूं' आनंद मोहन ने झारखंड सरकार से की अपील

शीर्ष अदालत ने सिंह को दोषी ठहराते हुए कहा अपने फैसले में कहा था कि सब कुछ मुख्य दोषी तत्कालीन सांसद सदस्य प्रभुनाथ सिंह की योजना और इच्छा के अनुसार चल रहा था क्योंकि उन्हें प्रशासन और जांच एजेंसी का पूरा समर्थन प्राप्त था. कोर्ट ने अपने फैसले में आरोप पत्र में उल्लिखित तथ्यों को शामिल किया. जिसमें कहा गया कि लगभग सभी गवाहों (जिन्हें शत्रुतापूर्ण घोषित किया गया था) को प्रभावित किया था और अपने पक्ष में कर लिया था. अभियोजन पक्ष द्वारा जांच अधिकारी सहित संबंधित औपचारिक गवाहों को मुकदमे में पेश नहीं किया गया था. मामले की पैरवी कर रहे सरकारी वकील बचाव पक्ष का समर्थन कर रहे थे. पीठासीन अधिकारी अपने पवित्र कर्तव्य के प्रति पूर्णतया असंवेदनशील थे.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार के राजनेता और लालू यादव की पार्टी राजद के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद की सजा सुनाई. 18 अगस्त को शीर्ष अदालत ने मामले में 2008 में पटना उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें बरी किये जाने के फैसले को पलट दिया.

23 अगस्त, 1995 को विधानसभा चुनाव के दौरान सिंह के आदेश के अनुसार मतदान नहीं कराने पर दो व्यक्तियों - राजेंद्र राय और दरोगा राय- की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

जस्टिस कौल ने कहा, 'केवल दो विकल्प हैं. उम्रकैद या मौत की सजा.' न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा कि अदालत सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाते और मुआवजा देने का आदेश दिया जाता है. राज्य सरकार को मुआवजा देने का आदेश दिया गया. न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि सिंह को धारा 307 के लिए भी 7 साल कैद की सजा सुनाई गई है और उन्होंने कहा, 'इस तरह का मामला कभी नहीं देखा.'

18 अगस्त को सिंह को दोषी ठहराते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि उन्होंने मार्च 1995 में छपरा में एक मतदान केंद्र के पास 18 वर्षीय राजेंद्र राय और 47 वर्षीय दरोगा राय की हत्या कर दी थी. दिसंबर 2008 में पटना की एक अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए सिंह को बरी कर दिया और 2012 में पटना उच्च न्यायालय ने उनकी बरी को बरकरार रखा. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया. राजेंद्र राय के भाई ने सिंह को बरी किए जाने को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

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शीर्ष अदालत ने सिंह को दोषी ठहराते हुए कहा अपने फैसले में कहा था कि सब कुछ मुख्य दोषी तत्कालीन सांसद सदस्य प्रभुनाथ सिंह की योजना और इच्छा के अनुसार चल रहा था क्योंकि उन्हें प्रशासन और जांच एजेंसी का पूरा समर्थन प्राप्त था. कोर्ट ने अपने फैसले में आरोप पत्र में उल्लिखित तथ्यों को शामिल किया. जिसमें कहा गया कि लगभग सभी गवाहों (जिन्हें शत्रुतापूर्ण घोषित किया गया था) को प्रभावित किया था और अपने पक्ष में कर लिया था. अभियोजन पक्ष द्वारा जांच अधिकारी सहित संबंधित औपचारिक गवाहों को मुकदमे में पेश नहीं किया गया था. मामले की पैरवी कर रहे सरकारी वकील बचाव पक्ष का समर्थन कर रहे थे. पीठासीन अधिकारी अपने पवित्र कर्तव्य के प्रति पूर्णतया असंवेदनशील थे.

Last Updated : Sep 1, 2023, 12:10 PM IST
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