नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को शिवसेना के एकनाथ शिंदे धड़े की उस याचिका पर हड़बड़ी में कोई फैसला न लेने का गुरुवार को निर्देश दिया, जिसमें कहा गया है कि उसे ही मूल शिवसेना माना जाए और पार्टी का चुनाव चिह्न दिया जाए. प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने कहा कि वह महाराष्ट्र के हाल के राजनीतिक संकट से संबंधित मामलों को संविधान पीठ के पास भेजने पर सोमवार तक फैसला लेगी.
शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग से यह भी कहा कि अगर उद्धव ठाकरे गुट शिंदे की याचिका पर भेजे नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगे, तो उनके अनुरोध पर गौर किया जाए और वाजिब समय देने पर विचार किया जाए. पीठ ने कहा कि वकीलों ने ऐसे मुद्दे उठाए हैं, जो काफी महत्वपूर्ण हैं और यह निर्णय करना जरूरी है कि इस मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष भेजा जाए या नहीं. शीर्ष अदालत ने कहा, 'हम इस पर फैसला लेंगे. वहीं याचिकाकर्ताओं (शिंदे गुट) द्वारा जवाब देने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित तारीख आठ अगस्त है. अगर उन्हें (उद्धव गुट को) मामला लंबित होने की वजह से जवाब दाखिल करने के लिए और अधिक समय चाहिए हो तो वे इसके लिए आवेदन दें. निर्वाचन आयोग वाजिब समय देने के लिए स्वतंत्र है.'
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उच्चतम न्यायालय महाराष्ट्र में हाल के राजनीतिक संकट के दौरान शिवसेना और उसके बागी विधायकों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. इस संकट से राजनीतिक दलों में विभाजन, विलय, दल-बदल और अयोग्य करार दिए जाने समेत कई संवैधानिक मुद्दे पैदा हुए हैं. गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग ने हाल ही में शिवसेना के दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों को पार्टी और उसके चुनाव चिह्न (धनुष और बाण) पर अपने-अपने दावों के समर्थन में आठ अगस्त तक दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया था. शिंदे गुट ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर उसे लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में दी गई मान्यता का हवाला देते हुए (मूल) शिवसेना का चुनाव चिह्न आवंटित करने की मांग की थी, तब ठाकरे समूह ने आयोग के समक्ष एक प्रतिवेदन दायर किया था.
(पीटीआई-भाषा)