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Caste Census In Bihar: 'सरकार ने कोर्ट में ठीक से नहीं रखा अपना पक्ष'.. CM नीतीश पर BJP का हमला

बिहार में जातीय गणना पर पटना हाईकोर्ट के रोक लगाए जाने पर बीजेपी ने प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी की ओर से सीएम नीतीश पर निशाना साधा गया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष सही से नहीं रखा. नीतीश कुमार की गलती के कारण पटना हाईकोर्ट ने रोक लगाई है.

Caste Census In Bihar
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Published : May 4, 2023, 3:58 PM IST

Updated : May 4, 2023, 4:09 PM IST

नीतीश सरकार पर BJP का हमला

पटना: बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा है. जातिगत जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी. पटना हाईकोर्ट के फैसले पर सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार को आड़े हाथों लिया है. बीजेपी बिहार अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि 3 जुलाई का कोर्ट से समय मिला है. अपना पक्ष सही से रखना चाहिए. सही ढंग से पक्ष रखना चाहिए कि कैसे स्टोर करेंगे.

पढ़ें- Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना पर लगी रोक, पटना हाईकोर्ट का आदेश

जातीय गणना पर रोक पर बीजेपी ने नीतीश सरकार को घेरा: वहीं पटना हाईकोर्ट के फैसले पर पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि जाति आधारित जनगणना को लेकर बिहार सरकार की मंशा गलत थी. सरकार ने ठीक से हाईकोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा जिसके कारण रोक लगा दी गई. हम इसमें सहभागी थे. उस समय एनडीए सरकार की कैबिनेट ने जातीय गणना का फैसला लिया था.

"यह बात तो सही है कि आपको चिंता करनी पड़ेगी, हिंदुस्तान का डाटा लीक तो नहीं होगा. जिस समय जातीय गणना का फैसला हुआ था, भाजपा सरकार में थी. ये राजद वाले उस समय नहीं थे. राजद इसी तरह से क्रेडिट लेती है. उनसे पूछिए माता पिता 15 साल सत्ता में रहे एक आदमी को आरक्षण दिया क्या? जिनते माता पिता ने कभी आरक्षण नहीं दिया वो आरक्षण की बात करते हैं."- सम्राट चौधरी, बिहार बीजेपी अध्यक्ष

"दुर्भाग्य है कि बिहार सरकार ने बेहतर तरीके से पक्ष को नहीं रखा. इसी के चलते इस प्रकार का निर्णय आया है. माननीय उच्च अदालत का निर्णय है, मैं तो महागठबंधन सरकार पर आरोप लगाता हूं कि इनकी मंशा ही गलत थी. हम चाहते थे कि जनगणना हो."- तारकिशोर प्रसाद, पूर्व डिप्टी सीएम

सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट में क्या हुआ?: बता दें कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या जाति आधारित जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण कराना कानूनी बाध्यता है. साथ ही पूछा गया कि ये राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं. इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा करायी जा रही जातिगत जनगणना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. साथ ही उन्होंने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ही नियमों के तहत इस तरह का सर्वे करा सकती है. यह केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र का विषय है. अधिवक्ता ने कहा कि इस सर्वे में बिहार सरकार 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी.

अबतक जातिगत जनगणना में क्या-क्या हुआ?: बिहार में जाति आधारित गणना जनवरी 2023 में शुरू हुई थी. पहले चरण में मकानों की गिनती की गई थी. दूसरा चरण 15 अप्रैल को शुरू हुआ था, जिसके 15 मई तक पूरा होने की बात कही गई थी. दूसरे चरण में लोगों के घर-घर जाकर लोगों की जाति के साथ साथ उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति से जुड़े सवाल किए जा रहे थे, लेकिन अब पटना हाईकोर्ट ने सीएम नीतीश को बड़ा झटका देते हुए इसपर रोक लगा दी है.

नीतीश सरकार पर BJP का हमला

पटना: बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा है. जातिगत जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी. पटना हाईकोर्ट के फैसले पर सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार को आड़े हाथों लिया है. बीजेपी बिहार अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि 3 जुलाई का कोर्ट से समय मिला है. अपना पक्ष सही से रखना चाहिए. सही ढंग से पक्ष रखना चाहिए कि कैसे स्टोर करेंगे.

पढ़ें- Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना पर लगी रोक, पटना हाईकोर्ट का आदेश

जातीय गणना पर रोक पर बीजेपी ने नीतीश सरकार को घेरा: वहीं पटना हाईकोर्ट के फैसले पर पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि जाति आधारित जनगणना को लेकर बिहार सरकार की मंशा गलत थी. सरकार ने ठीक से हाईकोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा जिसके कारण रोक लगा दी गई. हम इसमें सहभागी थे. उस समय एनडीए सरकार की कैबिनेट ने जातीय गणना का फैसला लिया था.

"यह बात तो सही है कि आपको चिंता करनी पड़ेगी, हिंदुस्तान का डाटा लीक तो नहीं होगा. जिस समय जातीय गणना का फैसला हुआ था, भाजपा सरकार में थी. ये राजद वाले उस समय नहीं थे. राजद इसी तरह से क्रेडिट लेती है. उनसे पूछिए माता पिता 15 साल सत्ता में रहे एक आदमी को आरक्षण दिया क्या? जिनते माता पिता ने कभी आरक्षण नहीं दिया वो आरक्षण की बात करते हैं."- सम्राट चौधरी, बिहार बीजेपी अध्यक्ष

"दुर्भाग्य है कि बिहार सरकार ने बेहतर तरीके से पक्ष को नहीं रखा. इसी के चलते इस प्रकार का निर्णय आया है. माननीय उच्च अदालत का निर्णय है, मैं तो महागठबंधन सरकार पर आरोप लगाता हूं कि इनकी मंशा ही गलत थी. हम चाहते थे कि जनगणना हो."- तारकिशोर प्रसाद, पूर्व डिप्टी सीएम

सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट में क्या हुआ?: बता दें कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या जाति आधारित जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण कराना कानूनी बाध्यता है. साथ ही पूछा गया कि ये राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं. इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा करायी जा रही जातिगत जनगणना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. साथ ही उन्होंने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ही नियमों के तहत इस तरह का सर्वे करा सकती है. यह केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र का विषय है. अधिवक्ता ने कहा कि इस सर्वे में बिहार सरकार 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी.

अबतक जातिगत जनगणना में क्या-क्या हुआ?: बिहार में जाति आधारित गणना जनवरी 2023 में शुरू हुई थी. पहले चरण में मकानों की गिनती की गई थी. दूसरा चरण 15 अप्रैल को शुरू हुआ था, जिसके 15 मई तक पूरा होने की बात कही गई थी. दूसरे चरण में लोगों के घर-घर जाकर लोगों की जाति के साथ साथ उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति से जुड़े सवाल किए जा रहे थे, लेकिन अब पटना हाईकोर्ट ने सीएम नीतीश को बड़ा झटका देते हुए इसपर रोक लगा दी है.

Last Updated : May 4, 2023, 4:09 PM IST
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