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मनीष गुप्ता हत्याकांड : पुलिस की बर्बरता का वीडियो आया सामने, जानिए हत्या वाली रात की पूरी कहानी

कारोबारी मनीष गुप्ता को 27 सितंबर की रात जब पुलिसकर्मियों द्वारा कमरा नंबर 512 से बाहर लाया गया तो उनका पूरा शरीर बेजान पड़ा हुआ था. आरोपी इंस्पेक्टर और अन्य पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे.

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Published : Oct 7, 2021, 7:08 PM IST

गोरखपुर : मनीष गुप्ता कथित हत्याकांड से जुड़ा एक CCTV फुटेज सामने आया है. फुटेज गोरखपुर के उसी होटल का है, जहां मनीष गुप्ता अपने दो दोस्तों के साथ रुके थे. इसमें पुलिसवाले मनीष गुप्ता को होटल में उनके कमरे से बाहर लाते दिख रहे हैं. इस दौरान मनीष गुप्ता बेजान हालत में थे.

CCTV फुटेज में साफ दिख रहा है कि मनीष को होटल के कमरा नंबर 512 से जब लाउंज में लाया गया, तब मौके पर आरोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह भी मौजूद थे. उन्होंने ही बेजान से पड़े मनीष को दूसरे दरोगा और अन्य पुलिसकर्मियों की मदद से लिफ्ट से नीचे भिजवाया.

रामगढ़ताल चौकी के तत्कालीन इंचार्ज अक्षय मिश्रा रूम नंबर 512 से मनीष को बाहर लेकर आए थे. उस समय उनके शरीर में कोई हरकत नहीं थी. अक्षय मिश्रा के साथ मौजूद दूसरे दरोगा ने अन्य पुलिसकर्मियों और होटल के दो स्टाफ की मदद से मनीष के हाथ-पैर पकड़े और उन्हें होटल की लिफ्ट से नीचे उतारा. यह फुटेज खूब वायरल हो रहा है. फिलहाल जांच कर रही एसआईटी ने अज्ञात पुलिसकर्मियों को एफआईआर में नामजद किया है.

पुलिस की बर्बरता का वीडियो आया सामने

27 सितंबर की देर रात गोरखपुर के कृष्णा होटल में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता अपने दोस्तों के साथ ठहरे हुए थे. आरोप है कि पुलिस कमरे में घुसी और पूछताछ करने लगी. इस दौरान मनीष की उनसे बहस हो गई थी. इस पर पुलिसवालों ने कथित तौर पर मारपीट की जिससे मनीष की मौत हो गई. राज्य सरकार ने इस मामले की CBI जांच की भी सिफारिश की है, लेकिन अब तक केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले जांच शुरू नहीं की है.

इस सीसीटीवी फुटेज के आने से मनीष गुप्ता हत्याकांड में गोरखपुर पुलिस के खेल का पर्दाफाश हो गया है. प्रशासन ने उन तीन पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास किया था. एसआईटी ने उनको अब आरोपी बना दिया है. इसमें दरोगा राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव और कांस्टेबल प्रशांत कुमार के नाम शामिल हैं.

चश्मदीद ने किया अहम खुलासा

प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की हत्या के मामले में चश्मदीद हरवीर सिंह ने बताया कि होटल में कमरा खुलवाने पर मारपीट की शुरुआत पहले दरोगा अक्षय और जेएन सिंह ने की थी, अक्षय ने पहले मुझे थप्पड़ मारा, फिर जेएन सिंह ने मनीष को थप्पड़ मारा था.

कानपुर में एसआईटी को बयान देने पहुंचे हत्याकांड के चश्मदीद मनीष गुप्ता के दोस्त हरवीर सिंह ने कहा कि मारपीट पहले दरोगा अक्षय मिश्रा और थानेदार जेएन सिंह ने शुरू की थी. दरोगा अक्षय ने पहले मुझे थप्पड़ मारा फिर जेएन सिंह ने मनीष को थप्पड़ मारा, इसके बाद और पुलिसवाले कमरे में घुस आये और मारने लगे. हरवीर ने यह भी बताया कि मनीष का कमरा मैंने खुलवाया था. हरवीर का कहना है कि सरकार जांच कर रही है, लेकिन अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

इसे भी पढ़ें- मनीष गुप्ता हत्याकांड : व्यापारी के घर पहुंची एसआईटी, दोस्तों और परिजनों के दर्ज किए बयान

जानिए क्या हुआ था उस रात

कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता (35) अपने दोस्त हरवीर सिंह और प्रदीप चौहान के साथ 27 सितंबर को गोरखपुर घूमने गए थे. मनीष अपने दोस्तों के साथ गोरखपुर के रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस के कमरा नंबर 512 में रुके थे. 27 सिंतबर की रात करीब 12 बजे रामगढ़ताल थाने की पुलिस होटल पहुंची. इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्र के साथ कुछ सिपाही भी थे. पुलिस होटल के रिसेप्सनिस्ट को साथ लेकर कमरा चेक करने लगी.

पुलिस ने 512 नंबर का कमरा खुलवाया और कहा कि चेकिंग हो रही है, आईडी दिखाओ. हरवीर और प्रदीप ने अपनी आईडी दिखा दी. उस समय मनीष सो रहे थे. पुलिस के उठाए जाने पर मनीष ने पूछा कि ये कौन सा समय है चेकिंग करने का? क्या हम लोग आतंकवादी हैं? आरोप है कि इतनी सी बात पर पुलिस वालों ने मनीष के साथ मारपीट शुरू कर दी. पहले दोनों दोस्तों को मारा और कमरे से बाहर निकाल दिया. आरोप है कि कमरे के अंदर पुलिसवालों ने मनीष की खुब पिटाई की. पुलिसवालों ने जब मनीष को कमरे से बाहर लाया तो वह लहुलुहान और बेसुध थे. आरोप है कि पुलिसवाले गाड़ी से पहले किसी अस्पताल ले गए और कुछ देर बाद वापस होटल लेकर चले आए और बताया कि मनीष की मौत हो गई है.

वहीं गोरखपुर के एसएसपी ने शुरुआती जांच में इसे बिस्तर से गिरकर हुई मौत का मामला बताया था. जब मनीष गुप्ता की पत्नी कार्रवाई करने पर अड़ी रहीं और इस मामले को लेकर विवाद गहराया, तब कहीं जाकर 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. धारा 302 के तहत यानी हत्या का मामला. एफआईआर में 3 लोग नामजद और 3 अज्ञात. रामगढ़ताल SO जगत नारायण सिंह, सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्र और सब इंस्पेक्टर विजय यादव का नाम लिखा गया है. बाकी तीन आरोपी हैं, सब इंस्पेक्टर राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव और हेड कांस्टेबल प्रशांत कुमार. ये 6 लोग सस्पेंड किए जा चुके हैं. किसी की गिरफ्तारी की जानकारी नहीं आई है. फरार बताए जा रहे हैं.

बता दें कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चोट की पुष्टि हुई है. मनीष के शरीर पर 4 गंभीर चोटों की जानकारी मिली है. उनके सिर में 5 सेंटीमीटर बाइ 4 सेंटीमीटर का घाव मिला. इसके अलावा दाहिने हाथ में डंडा मारने के निशान, बाईं आंख और कई जगह पर हल्के चोट के निशान मिले.

गोरखपुर : मनीष गुप्ता कथित हत्याकांड से जुड़ा एक CCTV फुटेज सामने आया है. फुटेज गोरखपुर के उसी होटल का है, जहां मनीष गुप्ता अपने दो दोस्तों के साथ रुके थे. इसमें पुलिसवाले मनीष गुप्ता को होटल में उनके कमरे से बाहर लाते दिख रहे हैं. इस दौरान मनीष गुप्ता बेजान हालत में थे.

CCTV फुटेज में साफ दिख रहा है कि मनीष को होटल के कमरा नंबर 512 से जब लाउंज में लाया गया, तब मौके पर आरोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह भी मौजूद थे. उन्होंने ही बेजान से पड़े मनीष को दूसरे दरोगा और अन्य पुलिसकर्मियों की मदद से लिफ्ट से नीचे भिजवाया.

रामगढ़ताल चौकी के तत्कालीन इंचार्ज अक्षय मिश्रा रूम नंबर 512 से मनीष को बाहर लेकर आए थे. उस समय उनके शरीर में कोई हरकत नहीं थी. अक्षय मिश्रा के साथ मौजूद दूसरे दरोगा ने अन्य पुलिसकर्मियों और होटल के दो स्टाफ की मदद से मनीष के हाथ-पैर पकड़े और उन्हें होटल की लिफ्ट से नीचे उतारा. यह फुटेज खूब वायरल हो रहा है. फिलहाल जांच कर रही एसआईटी ने अज्ञात पुलिसकर्मियों को एफआईआर में नामजद किया है.

पुलिस की बर्बरता का वीडियो आया सामने

27 सितंबर की देर रात गोरखपुर के कृष्णा होटल में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता अपने दोस्तों के साथ ठहरे हुए थे. आरोप है कि पुलिस कमरे में घुसी और पूछताछ करने लगी. इस दौरान मनीष की उनसे बहस हो गई थी. इस पर पुलिसवालों ने कथित तौर पर मारपीट की जिससे मनीष की मौत हो गई. राज्य सरकार ने इस मामले की CBI जांच की भी सिफारिश की है, लेकिन अब तक केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले जांच शुरू नहीं की है.

इस सीसीटीवी फुटेज के आने से मनीष गुप्ता हत्याकांड में गोरखपुर पुलिस के खेल का पर्दाफाश हो गया है. प्रशासन ने उन तीन पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास किया था. एसआईटी ने उनको अब आरोपी बना दिया है. इसमें दरोगा राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव और कांस्टेबल प्रशांत कुमार के नाम शामिल हैं.

चश्मदीद ने किया अहम खुलासा

प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की हत्या के मामले में चश्मदीद हरवीर सिंह ने बताया कि होटल में कमरा खुलवाने पर मारपीट की शुरुआत पहले दरोगा अक्षय और जेएन सिंह ने की थी, अक्षय ने पहले मुझे थप्पड़ मारा, फिर जेएन सिंह ने मनीष को थप्पड़ मारा था.

कानपुर में एसआईटी को बयान देने पहुंचे हत्याकांड के चश्मदीद मनीष गुप्ता के दोस्त हरवीर सिंह ने कहा कि मारपीट पहले दरोगा अक्षय मिश्रा और थानेदार जेएन सिंह ने शुरू की थी. दरोगा अक्षय ने पहले मुझे थप्पड़ मारा फिर जेएन सिंह ने मनीष को थप्पड़ मारा, इसके बाद और पुलिसवाले कमरे में घुस आये और मारने लगे. हरवीर ने यह भी बताया कि मनीष का कमरा मैंने खुलवाया था. हरवीर का कहना है कि सरकार जांच कर रही है, लेकिन अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

इसे भी पढ़ें- मनीष गुप्ता हत्याकांड : व्यापारी के घर पहुंची एसआईटी, दोस्तों और परिजनों के दर्ज किए बयान

जानिए क्या हुआ था उस रात

कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता (35) अपने दोस्त हरवीर सिंह और प्रदीप चौहान के साथ 27 सितंबर को गोरखपुर घूमने गए थे. मनीष अपने दोस्तों के साथ गोरखपुर के रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस के कमरा नंबर 512 में रुके थे. 27 सिंतबर की रात करीब 12 बजे रामगढ़ताल थाने की पुलिस होटल पहुंची. इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्र के साथ कुछ सिपाही भी थे. पुलिस होटल के रिसेप्सनिस्ट को साथ लेकर कमरा चेक करने लगी.

पुलिस ने 512 नंबर का कमरा खुलवाया और कहा कि चेकिंग हो रही है, आईडी दिखाओ. हरवीर और प्रदीप ने अपनी आईडी दिखा दी. उस समय मनीष सो रहे थे. पुलिस के उठाए जाने पर मनीष ने पूछा कि ये कौन सा समय है चेकिंग करने का? क्या हम लोग आतंकवादी हैं? आरोप है कि इतनी सी बात पर पुलिस वालों ने मनीष के साथ मारपीट शुरू कर दी. पहले दोनों दोस्तों को मारा और कमरे से बाहर निकाल दिया. आरोप है कि कमरे के अंदर पुलिसवालों ने मनीष की खुब पिटाई की. पुलिसवालों ने जब मनीष को कमरे से बाहर लाया तो वह लहुलुहान और बेसुध थे. आरोप है कि पुलिसवाले गाड़ी से पहले किसी अस्पताल ले गए और कुछ देर बाद वापस होटल लेकर चले आए और बताया कि मनीष की मौत हो गई है.

वहीं गोरखपुर के एसएसपी ने शुरुआती जांच में इसे बिस्तर से गिरकर हुई मौत का मामला बताया था. जब मनीष गुप्ता की पत्नी कार्रवाई करने पर अड़ी रहीं और इस मामले को लेकर विवाद गहराया, तब कहीं जाकर 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. धारा 302 के तहत यानी हत्या का मामला. एफआईआर में 3 लोग नामजद और 3 अज्ञात. रामगढ़ताल SO जगत नारायण सिंह, सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्र और सब इंस्पेक्टर विजय यादव का नाम लिखा गया है. बाकी तीन आरोपी हैं, सब इंस्पेक्टर राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव और हेड कांस्टेबल प्रशांत कुमार. ये 6 लोग सस्पेंड किए जा चुके हैं. किसी की गिरफ्तारी की जानकारी नहीं आई है. फरार बताए जा रहे हैं.

बता दें कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चोट की पुष्टि हुई है. मनीष के शरीर पर 4 गंभीर चोटों की जानकारी मिली है. उनके सिर में 5 सेंटीमीटर बाइ 4 सेंटीमीटर का घाव मिला. इसके अलावा दाहिने हाथ में डंडा मारने के निशान, बाईं आंख और कई जगह पर हल्के चोट के निशान मिले.

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