नई दिल्ली : पीएम मोदी ने विशेष गुणों वाली 35 फसलों की किस्में राष्ट्र को समर्पित करते हुए राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस टॉलरेंस) रायपुर के नवनिर्मित परिसर का उद्घाटन किया.
इस दौरान किसानों से संवाद करते हुए पीएम मोदी ने कहा, कृषि और विज्ञान के तालमेल का निरंतर बढ़ते रहना 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत जरूरी है. आज इसी से जुड़ा एक और अहम कदम उठाया जा रहा है. देश के आधुनिक सोच वाले किसानों को समर्पित किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, छोटे-छोटे किसानों की जिंदगी में बदलाव की आशा का साथ ये सौगात में आज कोटि-कोटि किसानों के चरणों में समर्पित कर रहा हूं.
पीएम मोदी ने कहा, बीते 6-7 सालों में साइंस और टेक्नॉलॉजी को खेती से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया जा रहा है. विशेष रूप से बदलते हुए मौसम में, नई परिस्थितियों के अनुकूल, अधिक पोषण युक्त बीजों पर हमारा फोकस बहुत अधिक है.
उन्होंने कहा, हमारे यहां उत्तर भारत मं घाघ और बटुरी की कृषि संबंधी कहावतें बहुत लोकप्रिय रही है. घाघ ने आज से कई शताब्दि पहले कहा था- जेते गहिरा जोतै खेत, परे बीज फल तेतै देत. यानि खेत की जुताई जितनी गहरी की जाती है, बीज बोने पर उपज भी उतनी ही अधिक होती है.
आज 35 और नई फसलों की वैरायटी देश के किसानों के चरणों में समर्पित की जा रही हैं. ये बीज जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से खेती की सुरक्षा करने और कुपोषण मुक्त भारत के अभियान में बहुत सहायक होने वाला हमारे वैज्ञानिकों की खोज का परिणाम है.
छत्तीसगढ़ के National Institute of Biotic Stress Management के तौर पर देश को वैज्ञानिक काम के लिए नया संस्थान मिला है. ये संस्थान मौसम और अन्य परिस्थितियों के बदलाव से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में देश के प्रयासों को वैज्ञानिक सहायता देगा. यहां से जो वैज्ञानिक तैयार होंगे, जो समाधान तैयार होंगे, वो देश की कृषि और किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होंगे.
पिछले वर्ष ही कोरोना से लड़ाई के बीच में हमने देखा है कि कैसे टिड्डी दल ने भी अनेक राज्यों में बड़ा हमला कर दिया था. भारत ने बहुत प्रयास करके तब इस हमले को रोका था, किसानों का ज्यादा नुकसान होने से बचाया था.
पीएम मोदी ने कहा, नई फसलों की वैरायटी मौसम की कई तरह की चुनौतियों से निपटने में सक्षम तो है ही, इनमें पौष्टिक तत्व भी ज्यादा है. इनमें से कुछ वैरायटी कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए औ कुछ फसल गंभीर रोगों से सुरक्षित है. कुछ जल्दी तैयार हो जाने वाली है, कुछ खारे पानी में भी हो सकती है. यानि देश की अलग-अलग परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इन्हें तैयार किया गया है.
उन्होंने कहा, किसानों को पानी की सुरक्षा देने के लिए, हमने सिंचाई परियोजनाएं शुरू कीं, दशकों से लटकी करीब-करीब 100 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का अभियान चलाया. फसलों को रोगों से बचाने के लिए, ज्यादा उपज के लिए किसानों को नई वैरायटी के बीज दिए गए. खेती-किसानी को जब संरक्षण मिलता है, सुरक्षा कवच मिलता है, तो उसका और तेजी से विकास होता है. किसानों की जमीन को सुरक्षा देने के लिए, उन्हें अलग-अलग चरणों में 11 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं.
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किसानों को टेक्नोलॉजी से जोड़ने के लिए हमने उन्हें बैंकों से मदद को और आसान बनाया गया है. आज किसानों को और बेहतर तरीके से मौसम की जानकारी मिल रही है. हाल ही में अभियान चलाकर 2 करोड़ से ज्यादा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं. पीएम फसल बीमा योजना से किसानों को लाभ हो और सुरक्षा मिले, इसकी चिंता की गई. इसकी वजह से किसानों को करीब 1 लाख करोड़ रुपये की क्लेम राशि का भुगतान किया गया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कोविड के दौरान गेहूं खरीद केंद्रों की संख्या तीन गुना तक बढ़ाई गई है. साथ ही दलहन-तिलहन खरीद केंद्रों की संख्या भी तीन गुना बढ़ाई गई है. किसानों की छोटी से छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान सम्मान निधि के तहत 11 करोड़ से अधिक किसान को करीब-करीब 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा रुपये उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए हैं.
जलवायु परिवर्तन के कारण जो नए प्रकार के कीट, नई बीमारियां, महामारियां आ रही हैं, इससे इंसान और पशुधन के स्वास्थ्य पर भी बहुत बड़ा संकट आ रहा है और फसलें भी प्रभावित हो रही है. इन पहलुओं पर गहन रिसर्च निरंतर जरूरी है. जब साइंस, सरकार और सोसायटी मिलकर काम करेंगे तो उसके नतीजे और बेहतर आएंगे. किसानों और वैज्ञानिकों का ऐसा गठजोड़, नई चुनौतियों से निपटने में देश की ताकत बढ़ाएगा. किसान को सिर्फ फसल आधारित सिस्टम से बाहर निकालकर उन्हें वैल्यू एडिशन और खेती के अन्य विकल्पों के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. छोटे किसानों को इसकी बहुत ज्यादा जरूरत है, इसलिए हमें पूरा ध्यान छोटे किसानों पर लगाना ही है.