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मगरमच्छ की तीनों प्रजातियां पाए जाने वाला देश का एकमात्र जिला बना केंद्रपाड़ा - Bhitarkanika National Park

ओडिशा का केंद्रपाड़ा जिला देश का एकमात्र ऐसा जिला बन गया है, जहां मगरमच्छ की तीनों प्रजातियां पाई जाती हैं. यह जिला पहले ही भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में खारे-पानी या नदियों के मुहाने पर आने वाले मगरमच्छों के सफलतापूर्ण संरक्षण की ख्याति प्राप्त कर चुका है.

मगरमच्छ की तीनों प्रजातियां
मगरमच्छ की तीनों प्रजातियां
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Published : Aug 31, 2021, 4:30 PM IST

भुवनेश्वर : ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले से होकर कई नदियां, छोटी खाड़ियां तथा जल धाराएं बहती हैं और इस प्राकृतिक खूबसूरती के साथ इस जिले को एक और उपलब्धि प्राप्त हुई है. यह देश का एकमात्र ऐसा जिला बन गया है, जहां मगरमच्छ की तीनों प्रजातियां- खारे पानी वाले, घड़ियाल, मगर पाई जाती हैं.

एक वन्य अधिकारी ने मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह जिला पहले ही भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान (Bhitarkanika National Park) में खारे-पानी या नदियों के मुहाने पर आने वाले मगरमच्छों के सफलतापूर्ण संरक्षण की ख्याति प्राप्त कर चुका है. राष्ट्रीय उद्यान में 1,768 मुहाने वाले मगरमच्छ हैं. यहां भारत के 70 फीसदी ऐसे मगरमच्छ पाये जाते हैं. यहां इनका संरक्षण 1975 में ही शुरू हो गया था.

राजनगर मैंग्रोव (वन्यजीव) वन के संभागीय वन अधिकारी जेडी पाटी ने बताया कि मगर और घड़ियाल के यहां पाए जाने के साथ जिले की नदियों में मगरमच्छों की तीनों प्रजातियां देखी गई हैं.

भीतरकनिका नदी खारे पानी वाले मगरमच्छों के लिए प्रसिद्ध है तो महानदी और ब्राह्मणी नदियों में मगर और घड़ियाल देखने को मिलते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

भुवनेश्वर : ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले से होकर कई नदियां, छोटी खाड़ियां तथा जल धाराएं बहती हैं और इस प्राकृतिक खूबसूरती के साथ इस जिले को एक और उपलब्धि प्राप्त हुई है. यह देश का एकमात्र ऐसा जिला बन गया है, जहां मगरमच्छ की तीनों प्रजातियां- खारे पानी वाले, घड़ियाल, मगर पाई जाती हैं.

एक वन्य अधिकारी ने मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह जिला पहले ही भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान (Bhitarkanika National Park) में खारे-पानी या नदियों के मुहाने पर आने वाले मगरमच्छों के सफलतापूर्ण संरक्षण की ख्याति प्राप्त कर चुका है. राष्ट्रीय उद्यान में 1,768 मुहाने वाले मगरमच्छ हैं. यहां भारत के 70 फीसदी ऐसे मगरमच्छ पाये जाते हैं. यहां इनका संरक्षण 1975 में ही शुरू हो गया था.

राजनगर मैंग्रोव (वन्यजीव) वन के संभागीय वन अधिकारी जेडी पाटी ने बताया कि मगर और घड़ियाल के यहां पाए जाने के साथ जिले की नदियों में मगरमच्छों की तीनों प्रजातियां देखी गई हैं.

भीतरकनिका नदी खारे पानी वाले मगरमच्छों के लिए प्रसिद्ध है तो महानदी और ब्राह्मणी नदियों में मगर और घड़ियाल देखने को मिलते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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