शहडोल। वैसे देखा जाए तो महंगाई से इन दिनों देश की जनता पूरी तरह से त्रस्त है, हर चीज के दाम बढ़े हुए हैं और घरेलू गैस के दाम तो लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. आज के समय में एक एलपीजी सिलेंडर खरीदने के लिए लोगों को 1126 रुपये चुकाने पड़ते हैं, तब जाकर उन्हें एक घरेलू गैस का सिलेंडर मिल पाता है. तब जाकर उनका खाना बन पाता है, घरेलू गैस के बढ़े हुए दाम ने लोगों के घरों का बजट बिगाड़ दिया है, ऐसे में आज ETV Bharat एक ऐसे आदिवासी गांव के बारे में आपको बताने जा रहा है जहां महंगी गैस से निजात दिलाने का आदिवासियों ने गजब फार्मूला निकाला है.
इस गांव के हर घर में गोबर गैस: शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 12 से 15 किलोमीटर दूर है खेतौली गांव. यह गांव आदिवासी बाहुल्य गांव है, इस गांव की जनसंख्या लगभग हज़ार से 1200 है, लेकिन इस गांव में एक बड़ी ही खास बात है, गांव के घर-घर में आपको गोबर गैस सयंत्र मिल जाएगा और उसका इस्तेमाल करने वाले लोग भी मिल जाएंगे. जिस दौर में एलपीजी सिलेंडर के दाम आसमान छू रहे हैं, ऐसे समय में गोबर गैस का इस्तेमाल कर रहे यह लोग काफी खुश भी हैं. इनका कहना है कि इतना महंगा गैस सिलेंडर कौन भरा पाएगा, इससे अच्छा है कि गोबर गैस में फ्री में वो खाना बनाने के लिए ईंधन भी पा जाते हैं साथ ही जैविक खेती के लिए खाद भी मिल जाता है और इसके लिए कोई बहुत ज्यादा मशक्कत भी नहीं करनी पड़ती है और घर में गोबर गैस तो दशकों से बना ही हुआ है जो बराबर चल ही रहा है.
काफी महंगा है एलपीजी सिलेंडर: देखा जाए तो साल दर साल लगातार घरेलू गैस के दाम बढ़ते ही रहे हैं, वर्तमान में एलपीजी सिलेंडर के दाम पर नजर डालें तो 11 सौ से भी ज्यादा रुपए एक सिलेंडर खरीदने के लिए खर्च करने पड़ रहे हैं, मतलब अगर आपको एक सिलेंडर लेना है तो 1126 रुपये देने होंगे, तब जाकर आपको एक एलपीजी घरेलू गैस सिलेंडर मिल पाएगा अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि खाना बनाने के लिए अगर एक गैस सिलेंडर में 1100 सौ से ऊपर खर्च करने पड़ रहे हैं तो फिर घर का बजट कैसे चलेगा घरेलू गैस के बढ़े हुए दाम ने आम लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है. ऐसे समय में शहडोल जिले के खेतौली गांव के आदिवासी ग्रामीणों के लिए गोबर गैस एक बड़ा वरदान साबित हो रहा है क्योंकि उन पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ रहा है, और वो खाना बनाने के लिए आसानी से गोबर गैस से गैस बनाकर खाना बना रहे हैं और कोई परेशानी भी नहीं हो रही हैं साथ उनका महीने का बजट भी नहीं बिगड़ रहा है.
खेतौली गांव की महिलाएं खुश: खेतौली गांव की करिश्मा सिंह जो अपने घर में नई बहू हैं और घर का खाना वही बनाती है, करिश्मा सिंह बताती हैं कि वह गोबर गैस से ही अपने घर में खाना बनाती है और उन्हें कोई भी दिक्कत नहीं आती है ना ही किसी तरह की तकलीफ होती है और जितने समय में घरेलू एलपीजी सिलेंडर से खाना बनता है उतने ही समय में गोबर गैस से बनने वाले गैस से भी खाना बन जाता है क्योंकि इसमें भी उन्हें किसी भी तरह की कोई तकलीफ नहीं होती है करिश्मा सिंह कहती हैं कि इतना महंगा गैस भरा कर महीने का बजट कौन बिगड़ेगा.
खतौली गांव की दूसरी आदिवासी महिला कौशल्या सिंह के घर जब हम पहुंचे तो उन्होंने बताया कि उनके घर में पूरा खाना गोबर गैस से ही बनता है, लगभग एक दशक से घर में गोबर गैस का इस्तेमाल हो रहा है, कौशल्या सिंह बताती है कि वह इसी गोबर गैस से घर में तीन समय का खाना बनाती है दाल चावल सब्जी रोटी सब कुछ बनाते हैं लेकिन कभी भी उन्हें गैस की कमी नहीं हुई कौशल्या सिंह कहती हैं कि वही बस गोबर गैस से खाना नहीं बनाती बल्कि उनके गांव में लगभग हर घर में लोग गोबर गैस का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इस गांव में घर-घर आपको गोबर गैस मिल जाएगा, कौशल्या सिंह कहती हैं कि इतना महंगा गैस कौन भराएगा एलपीजी सिलेंडर 11 सौ 12 सौ के बीच में मिल रहा है इतना पैसा कहां से आएगा कौशल्या सिंह बताती है कि वो आदिवासी किसान हैं उनके पास इतना बजट नहीं रहता है कि वो लोग इतना महंगा गैस नहीं भरा पाएंगे, इसलिए उनके लिए गोबर गैस सबसे बेस्ट है क्योंकि इससे गैस बनाने के लिए जो कुछ भी चाहिए वह उनके यहां सब कुछ है और इसमें ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है.
आसानी से बनता है गैस: इंद्रजीत कुशवाहा जो कि खेतौली गांव के ही रहने वाले हैं उनके घर में भी कई सालों से गोबर गैस लगा हुआ है, और आज भी वह गोबर गैस का इस्तेमाल करते हैं, इंद्रजीत कुशवाहा बताते हैं कि उनके घर में 7 से 8 लोगों का खाना बनता है, और गोबर गैस से ही बनता है, वो बताते हैं कि गोबर से गैस बनाने के लिए अगर आपके यहां प्लांट लगा हुआ है तो बड़ी आसानी से बनाया जा सकता है इसमें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है, आपके घर में गोबर तो होता ही होगा उसे लेकर के जो प्लांट बना हुआ है उसकी टंकी में डालना होता है और पानी से बस घोलना होता है और फिर क्या अपने आप उसमें गैस जनरेट होने लग जाएगी और वह पाइप के माध्यम से आपके किचन तक पहुंच जाएगी इसमें ज्यादा कुछ मेहनत नहीं करना पड़ता ना ही ज्यादा समय लगता है.
गौरतलब है एक ओर जहां इन दिनों आपको सड़कों पर लावारिस मवेशी आवारा मवेशी मिल जाएंगे जिनके कोई मालिक ही नहीं है. पहले ये स्थिति शहरों पर ही देखने को मिलती थी, इन दिनों अब गांव में भी देखने को मिलती है लेकिन .अगर इस तरह के प्रयोग गांव-गांव में किए जाएं, एलपीजी घरेलू गैस सिलेंडर की महंगाई से निजात पाने के लिए अगर और गांवों में भी गोबर गैस संयत्र बनाए जाएं, और गैस सिलेंडर से निर्भरता लोगों की कम की जाए तो इससे कई फायदे भी हो सकते हैं एक तो जो मवेशी सड़कों पर बैठे रहते हैं जिनके कोई मालिक ही नहीं है उनका भी एक अच्छा उपयोग होगा साथ ही जैविक खेती के लिए जिस ओर शासन प्रशासन आगे बढ़ रही है और लोगों को प्रोत्साहित कर रही है उसमें भी एक बड़ा योगदान होगा.