नई दिल्ली : कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विपक्षी दलों ने बुधवार को लोकसभा में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. 20 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के बाद से विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा और राज्यसभा में विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी की. जिससे दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी. लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने मंगलवार को बताया कि विपक्षी दल बुधवार को सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे.
उन्होंने कहा कि मंगलवार को यह निर्णय लिया गया है. हमारे पास अविश्वास प्रस्ताव का सहारा लेने के अलावा कोई अन्य विकल्प है. क्योंकि सरकार मणिपुर पर प्रधानमंत्री के साथ विस्तृत चर्चा करने की विपक्ष की मांग को स्वीकार नहीं कर रही है. उन्हें मणिपुर हिंसा पर बयान देना चाहिए क्योंकि वह संसद में हमारे नेता हैं. कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष की 'कठोर मांग' को अस्वीकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हमारी मांग पर विचार नहीं कर रहे हैं.
इसलिए हमने अविश्वास प्रस्ताव लाने के बारे में सोचा. मणिपुर की स्थिति पर विस्तृत चर्चा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की विपक्ष की मांग पर मंगलवार को भी लोकसभा और राज्यसभा को स्थगन का सामना करना पड़ा. सरकार ने कहा है कि वह मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन विपक्षी दल एक नियम के तहत चर्चा के लिए दबाव डाल रहे हैं जिसमें प्रधानमंत्री का बयान और मतदान भी शामिल है.
प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष की अवधारणा की लड़ाई जीतने की कोशिश
विपक्षी दलों के प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव का संख्याबल के लिहाज से विफल होना तय है लेकिन उनकी दलील है कि वे चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरकर 'अवधारणा' बनाने की लड़ाई जीत जाएंगे. विपक्षी दलों ने दलील दी कि यह मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संसद में बोलने के लिए विवश करने की रणनीति भी है. सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा का जवाब केवल केंद्रीय गृह मंत्री देंगे.
अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है क्योंकि संख्याबल स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में है और विपक्षी समूह के निचले सदन में 150 से कम सदस्य हैं. सूत्रों ने बताया कि मणिपुर हिंसा के मुद्दे को लेकर संसद में जारी गतिरोध के बीच विपक्षी गठबंधन 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (इंडिया) के घटक दल बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकते हैं.
बहरहाल, यह अध्यक्ष पर निर्भर करता है कि वह सदन में नोटिस पर कब चर्चा कराते हैं. सूत्रों ने बताया कि मणिपुर के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर संसद के भीतर बयान देने का दबाव बनाने के कई विकल्पों पर विचार करने के बाद यह फैसला किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव ही सबसे कारगर रास्ता होगा, जिसके जरिये सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विवश किया जा सकेगा.
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कांग्रेस ने अपने लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी करके कहा है कि वे बुधवार को संसद भवन स्थित संसदीय दल के कार्यालय में मौजूद रहें. पार्टी के एक नेता ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि अवधारणा बनाने के खेल में मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए यह एक अच्छा विचार है.
बहरहाल, सूत्रों ने बताया कि हो सकता है कि विपक्ष को लोकसभा में चर्चा के दौरान ज्यादा वक्त न मिले क्योंकि समय का आवंटन सदन में दलों के संख्या बल के हिसाब से किया जाता है. सूत्रों ने बताया कि पूरे देश का ध्यान मणिपुर पर 'अविश्वास प्रस्ताव' पर होगा और इससे अवधारणा के खेल में विपक्ष को मदद मिल सकती है.
(एजेंसियां)