पटना: आरक्षण का जिन्न एक बार फिर से बिहार में सियासी माहौल गरमाने लगा है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण को लेकर नए बयान से महागठबंधन खेमे में बेचैनी बढ़ने लगी है. 2015 में मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा को लेकर जो बयान दिया था, उसमें लालू प्रसाद यादव ने मुद्दा बनाया था और विधानसभा चुनाव में आरक्षण के मुद्दे पर ही बीजेपी को पटखनी दी थी, लेकिन इस बार आरक्षण के समर्थन में जिस प्रकार से मोहन भागवत ने बयान दिया है, नरेंद्र मोदी के लिए बिहार में वह संजीवनी बन सकता है.
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बिहार में आरक्षण को लेकर राजनीति शुरू: 2015 विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने बिहार में कई सभाएं की थी, लेकिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान ने सब पर पानी फेर दिया. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की जोड़ी ने मोहन भागवत के बयान को लेकर बिहार में पूरा सिनेरियो बदल दिया और बीजेपी को आरक्षण विरोधी बताने में सफलता पायी. इसके कारण 2015 में बीजेपी की बुरी तरह से हार हुई. महागठबंधन को 2015 में 178 सीटें आई थी और एनडीए को महज 58 सीटें मिली थी.
2015 में एक बयान ने पलट दिया था पासा: वहीं आरजेडी को 80, जदयू को 71 , कांग्रेस को 27 और बीजेपी को 53 सीटों पर जीत मिली थी. आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आयी क्योंकि 1 साल पहले 2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बिहार में अच्छी सफलता मिली थी. आरजेडी को केवल चार सीट पर जीत मिली थी तो जदयू को केवल दो सीट मिली थी, लेकिन 1 साल बाद विधानसभा चुनाव में मोहन भागवत के बयान ने पूरी स्थिति बदल दी.
मोहन भागवत के बयान पर लालू यादव की प्रतिक्रिया: अब एक बार फिर से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का नया बयान आया है, लेकिन इस बार मोहन भागवत ने आरक्षण के समर्थन में बयान दिया है. लालू प्रसाद यादव ने मोहन भागवत के बयान पर सबसे पहले रिएक्ट किया.उन्होंने कहा कि "गुरु गोलवलकर ने जो बंच ऑफ थॉट्स में लिखा है, वही पीएम मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत भी कर रहे हैं. क्योंकि बंच ऑफ थॉट्स में रिजर्वेशन के खिलाफ लिखा गया है. बीजेपी ढोंगी है. पगलाया हुआ है."
शिवानंद तिवारी का बयान: वहीं आरजेडी के वरिष्ठ नेता व उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "हिंदू समाज की व्यवस्था जाति आधारित है. उसी व्यवस्था के तहत देश की बड़ी आबादी पीछे छूट गई. इतना ही नहीं उस आबादी के हिस्से को अस्पृश्य करार दे दिया गया. जब तक मोहन भागवत और आरएसएस देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के संकल्प को तिलांजलि नहीं देते हें तब तक मोहन भागवत के बयान पर विश्वास करना मुश्किल है."
'भागवत के बयान से आरजेडी-जेडीयू बेचैन'-सुशील मोदी: वहीं विपक्षों के हमलों का बीजेपी ने भी करारा जवाब दिया है. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आरजेडी-जेडीयू की बैचैनी बढ़ गई है. संघ को आरक्षण विरोधी साबित करने की सारी कोशिशें नाकाम होगी.
मोहन भागवत का आरक्षण पर बयान: आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवक ने बुधवार को कहा था कि जब तक समाज में भेजभाव है, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए. भेदभाव भले ही नजर नहीं आए लेकिन यह समाज में व्याप्त है. मोहन भागवत ने यह बयान महाराष्ट्र स्थित नागपुर में एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में दिया था. उन्होंने कहा कि सामाजिक व्यवस्था में हमने अपने बंधुओं को पीछे छोड़ दिया. हमने उनकी देखभाल नहीं की.
ऐसा दो हजार साल तक चला. जब तक हम उन्हें समानता प्रदान नहीं कर देते हैं. तब तक कुछ विशेष उपचार तो होना ही चाहिए. आरक्षण उन उपचारों में से एक है. जब तक भेदभाव है आरक्षण भी जारी रहना चाहिए. संविधान में प्रदत्त आरक्षण का हम संघ वाले पूरा समर्थन करते हैं. मोहन भागवत के इस बयान के बाद से सभी दलों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. बिहार के राजनीति में भी आरक्षण को लेकर खलबली मची है. इस बयान का कहीं महागठबंधन को नुकसान ना उठाना पड़ जाए और बीजेपी को फायदा ना हो जाए इसकी फिक्र नेताओं को सता रही है.
"आरएसएस प्रमुख के बयान का हम स्वागत करते हैं. उनके बयान से महागठबंधन खेमे में बेचैनी है क्योंकि महागठबंधन के घटक दल आरक्षण के विरोधी रहे हैं. ऐसा नहीं होता तो बिहार में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर नीतीश कुमार सुप्रीम कोर्ट तक जाते क्या?" - योगेंद्र पासवान, प्रवक्ता, बीजेपी
"पहले क्या राग अलाप रहे थे. अब आरएसएस प्रमुख को हकीकत समझ में आ गई है जो हमारे नेता लालू प्रसाद यादव कह रहे थे. उन्हीं की बातों का समर्थन कर रहे हैं. यह तो हम लोगों की जीत है."- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता आरजेडी
"कहीं कोई बेचैनी महागठबंधन में नहीं है. 2024 के लिए उन्होंने बयान दिया है तो जनता देख रही है और समझ रही है."- हिमराज राम, प्रवक्ता जदयू
"आरक्षण को लेकर अब बैकवर्ड और फॉरवर्ड के बीच लड़ाई नहीं है. यह पिछड़ा और अति पिछड़ा के बीच ही लड़ाई होनी है. आरएसएस प्रमुख ने जिस प्रकार से आरक्षण के समर्थन वाला बयान दिया है, इससे बीजेपी को तो कहीं से कोई नुकसान होने वाला नहीं है लेकिन महागठबंधन के लिए आरक्षण को भुनाना अब कठिन जरूर होगा."- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ
2015 में मोहन भागवत ने क्या कहा था?: आरक्षण को लेकर 2015 में जब गुजरात में पाटीदारों का आंदोलन चल रहा था, उस वक्त मोहन भागवत ने आरक्षण नीति की समीक्षा करने की बात कही थी. 2015 में ही कुल्लू में उन्होंने फिर से दोहराया था कि आरक्षण जाति नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर मिलना चाहिए. यदि इससे किसी को आपत्ति है तो होती रहे. उन्होंने भीमराव अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा था कि हर 10 साल में आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है.उसके बाद 2016 में भी मोहन भागवत ने कहा था कि आरक्षण से उम्मीद के मुताबिक फायदा नहीं हुआ. इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.
बिहार में आरक्षण बड़ा मुद्दा: बिहार में 60% के करीब आरक्षण है और इस आरक्षण पर 2015 में सियासत हुई और केवल आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान ने ही सब कुछ बदल कर रख दिया. आरएसएस प्रमुख का ताजा बयान पहले वाले बयानों से पूरी तरह से उलट है. ऐसे में जातीय गणना के बहाने आरक्षण को लेकर जिस प्रकार से बीजेपी पर महागठबंधन खेमा बिहार में हमला कर रहा है, आरएसएस प्रमुख का बयान महागठबंधन के लिए मुश्किल बढ़ाएगा.