नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने मछुआरों की हिरासत का मुद्दा उठाया है. श्रीलंका सरकार से भारतीय मछुआरों को जल्द रिहाई और नौका छोड़ने के लिए कहा गया है.
मामले पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (MEA spokesperson Arindam Bagchi) ने कहा, 'हम 18-20 दिसंबर के बीच श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा तमिलनाडु से भारतीय मछुआरों को हिरासत में लिए जाने से चिंतित हैं. हमारी जानकारी के अनुसार 68 मछुआरे को हिरासत में लिया गया है. 10 नाव जब्त की गई हैं.'
उन्होंने कहा, 'कोलंबो में हमारे उच्चायोग ने श्रीलंका सरकार के साथ भारतीय मछुआरों और नौकाओं की जल्द रिहाई का मुद्दा उठाया है.' रिपोर्टों के अनुसार 19 दिसंबर को मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने गिरफ्तार किया था. उन्हें श्रीलंकाई अदालत में पेश किया गया और बाद में जाफना जेल में भेज दिया गया.
सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तार किए गए लोगों को 31 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. इस बीच विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर को इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं.
मछुआरों की सूची मांगी
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र के समक्ष यह मामला उठाया है. साथ ही उन्होंने सभी मौजूदा स्थितियों से अवगत कराया है. इस पर केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने तमिलनाडु सरकार को मछली पकड़ने के विवाद पर भारतीय पक्ष और श्रीलंकाई पक्ष के बीच बातचीत के लिए राज्य में मछुआरा संघों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों की एक सूची प्रदान करने का निर्देश दिया है.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत के महावाणिज्य दूतावास, जाफना के अधिकारियों ने हिरासत में लिए गए मछुआरों से मुलाकात की है. उन्हें सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जा रही है, इसमें रिश्तेदारों को फोन करने की सुविधा के अलावा कपड़े, प्रसाधन सामग्री, नाश्ता, आवश्यक वस्तुएं और मास्क शामिल हैं. वे कानूनी मदद की भी व्यवस्था कर रहे हैं.
बागची ने बताया कि एक मछुआरे के अस्वस्थ होने का पता चलने पर भारतीय अधिकारी उसे देखने अस्पताल भी गए. गौरतलब है कि नवंबर में रामनाथपुरम के एक मछुआरे को श्रीलंकाई नौसेना की कार्रवाई में यह कहते हुए मार दिया गया था कि उसने और उसके साथी मछुआरों ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री जल सीमा पार कर ली थी.