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Chinese soldiers in Galwan : विदेश मंत्रालय ने कहा- गलवान पर मीडिया रिपोर्ट गलत, भारत चौकस - Chinese bridge on Pangong Lake

लद्दाख की गलवान घाटी में चीन का दावा (galwan valley chinese claim) एक बार फिर झूठा साबित हुआ है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों का कथित वीडियो (Galwan Valley alleged Chinese soldiers) भ्रामक है. इसके अलावा पैंगोंग त्सो झील पर चीन के पुल निर्माण और चीनी दूतावास की ओर से लिखे गए पत्र पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि गत 60 वर्षों से चीन का अवैध कब्जा है, भारत ने इस तरह के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया.

arindam
अरिंदम बागची
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Published : Jan 6, 2022, 6:56 PM IST

Updated : Jan 6, 2022, 7:48 PM IST

नई दिल्ली : एक जनवरी को सामने आए चीनी सैनिकों के वीडियो पर विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) ने कहा है कि इस पर मीडिया में आई खबरें तथ्यात्मक रूप से सही नहीं हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत में मीडिया घरानों ने चीनी दावे के विपरीत तस्वीरें जारी की हैं. बता दें कि विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के कथित वीडियो पर आई है. इस वीडियो में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों को झंडा लहराते देखा (Galwan Valley alleged Chinese soldiers) जा सकता है.

विदेश मंत्रालय ने पैंगोंग त्सो झील पर चीन द्वारा एक पुल (Chinese bridge on Pangong Lake) बनाए जाने की रिपोर्ट के संबंध में कहा, भारत सरकार इसकी बारीकी से निगरानी कर रही है.

विदेश मंत्रालय ने चीन द्वारा अरूणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों का पुन: नामकरण किये जाने के कदम की भी आलोचना की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि ऐसी हरकतें करने के बजाए चीन को पूर्वी लद्दाख में संघर्ष वाले क्षेत्रों से जुड़े लंबित मामलों को सुलझाने के लिये भारत के साथ रचनात्मक रूप से काम करना चाहिए. उन्होंने ऐसे कदमों को पुष्टि नहीं करने योग्य क्षेत्रीय दावों के समर्थन की 'हास्यास्पद कवायद' बताया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, इस ब्रिज का निर्माण उन इलाकों में किया जा रहा है जो करीब 60 साल से चीन के अवैध कब्जे में हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने इस तरह के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया.

बागची ने कहा, हमारे सुरक्षा हितों का पूरी तरह संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है. इन प्रयासों के तहत सरकार ने पिछले सात वर्ष के दौरान सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की है. इसके साथ ही पहले से अधिक सड़कों एवं पुलों का निर्माण पूरा किया गया है.' उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय आबादी को बेहद जरूरी सम्पर्क सुविधा प्राप्त हुई हैं, साथ ही सशस्त्र बलों को साजो-सामान संबंधी सुविधा मिली है. सरकार इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है.

एक कार्यक्रम में भारतीय सांसदों की भागीदारी पर चीनी दूतावास के पत्र पर विदेश मंत्रालय ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष भारतीय सांसदों द्वारा सामान्य गतिविधियों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने से परहेज करेगा. उन्होंने कहा कि चीन हमारे द्विपक्षीय संबंधों में स्थिति को और जटिल नहीं करेगा, ऐसी आशा है.

यह भी पढ़ें-

बता दें कि भारत के सांसदों को एक कार्यक्रम में भागीदारी के लिए चीनी दूतावास की ओर से पत्र लिखा गया. इस पर विदेश मंत्रालय ने कहा, पत्र का सार, इसकी भाषा और अवधि गलत (inappropriate tone tenor in letter) है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक चीनी पक्ष को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और लोगों के प्रतिनिधियों के रूप में भारतीय सांसद अपनी मान्यताओं के अनुसार गतिविधियां करते हैं.

तिब्बत के निर्वासन में संसद की मेजबानी में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले भारतीय सांसदों को चीनी दूतावास द्वारा पत्र लिखे जाने के करीब एक सप्ताह बीत चुके हैं. चीनी दूतावास ने तिब्बत के लिये अखिल भारतीय संसदीय मंच से संबंधित कुछ सांसदों को लिखे पत्र में समारोह में उनकी उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की थी और उनसे तिब्बत के संबंध में समर्थन नहीं देने को कहा था.

नई दिल्ली : एक जनवरी को सामने आए चीनी सैनिकों के वीडियो पर विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) ने कहा है कि इस पर मीडिया में आई खबरें तथ्यात्मक रूप से सही नहीं हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत में मीडिया घरानों ने चीनी दावे के विपरीत तस्वीरें जारी की हैं. बता दें कि विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के कथित वीडियो पर आई है. इस वीडियो में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों को झंडा लहराते देखा (Galwan Valley alleged Chinese soldiers) जा सकता है.

विदेश मंत्रालय ने पैंगोंग त्सो झील पर चीन द्वारा एक पुल (Chinese bridge on Pangong Lake) बनाए जाने की रिपोर्ट के संबंध में कहा, भारत सरकार इसकी बारीकी से निगरानी कर रही है.

विदेश मंत्रालय ने चीन द्वारा अरूणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों का पुन: नामकरण किये जाने के कदम की भी आलोचना की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि ऐसी हरकतें करने के बजाए चीन को पूर्वी लद्दाख में संघर्ष वाले क्षेत्रों से जुड़े लंबित मामलों को सुलझाने के लिये भारत के साथ रचनात्मक रूप से काम करना चाहिए. उन्होंने ऐसे कदमों को पुष्टि नहीं करने योग्य क्षेत्रीय दावों के समर्थन की 'हास्यास्पद कवायद' बताया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, इस ब्रिज का निर्माण उन इलाकों में किया जा रहा है जो करीब 60 साल से चीन के अवैध कब्जे में हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने इस तरह के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया.

बागची ने कहा, हमारे सुरक्षा हितों का पूरी तरह संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है. इन प्रयासों के तहत सरकार ने पिछले सात वर्ष के दौरान सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की है. इसके साथ ही पहले से अधिक सड़कों एवं पुलों का निर्माण पूरा किया गया है.' उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय आबादी को बेहद जरूरी सम्पर्क सुविधा प्राप्त हुई हैं, साथ ही सशस्त्र बलों को साजो-सामान संबंधी सुविधा मिली है. सरकार इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है.

एक कार्यक्रम में भारतीय सांसदों की भागीदारी पर चीनी दूतावास के पत्र पर विदेश मंत्रालय ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष भारतीय सांसदों द्वारा सामान्य गतिविधियों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने से परहेज करेगा. उन्होंने कहा कि चीन हमारे द्विपक्षीय संबंधों में स्थिति को और जटिल नहीं करेगा, ऐसी आशा है.

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बता दें कि भारत के सांसदों को एक कार्यक्रम में भागीदारी के लिए चीनी दूतावास की ओर से पत्र लिखा गया. इस पर विदेश मंत्रालय ने कहा, पत्र का सार, इसकी भाषा और अवधि गलत (inappropriate tone tenor in letter) है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक चीनी पक्ष को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और लोगों के प्रतिनिधियों के रूप में भारतीय सांसद अपनी मान्यताओं के अनुसार गतिविधियां करते हैं.

तिब्बत के निर्वासन में संसद की मेजबानी में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले भारतीय सांसदों को चीनी दूतावास द्वारा पत्र लिखे जाने के करीब एक सप्ताह बीत चुके हैं. चीनी दूतावास ने तिब्बत के लिये अखिल भारतीय संसदीय मंच से संबंधित कुछ सांसदों को लिखे पत्र में समारोह में उनकी उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की थी और उनसे तिब्बत के संबंध में समर्थन नहीं देने को कहा था.

Last Updated : Jan 6, 2022, 7:48 PM IST
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