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Uttarakhand: शहीद कुलदीप सिंह भंडारी पंचतत्व में विलीन, मंदाकिनी तट पर सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार - martyr kuldeep singh bhandari cremation

35 असम राइफल शिलॉन्ग में तैनात रुद्रप्रयाग के फलई गांव निवासी कुलदीप सिंह भंडारी 10 मार्च को ऑपरेशन ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए. आज उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया गया. जहां हजारों लोगों ने उन्हें नम आखों से विदाई दी. मंदाकिनी के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.

Shaheed Kuldeep Singh Bhandari
शहीद कुलदीप सिंह भंडारी पंचतत्व में विलीन
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Published : Mar 12, 2023, 3:23 PM IST

Updated : Mar 12, 2023, 3:50 PM IST

शहीद कुलदीप सिंह भंडारी पंचतत्व में विलीन.

रुद्रप्रयाग: 10 मार्च को असम में ऑपरेशन ड्यूटी के दौरान अगस्त्यमुनि के फलई गांव निवासी कुलदीप सिंह भंडारी शहीद हो गए. आज शहीद का मंदाकिनी तट पर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. शहीद के अंतिम संस्कार में जन सैलाब उमड़ आया. सभी ने नम आंखों से शहीद कुलदीप को अंतिम विदाई दी. रुद्रप्रयाग स्थित ग्रेनेडियर बटालियन के सैनिकों ने 21 राउंड फायर कर शहीद को सलामी दी.

ड्यूटी के दौरान कुलदीप हुए शहीद: बता दें कि 35 असम राइफल शिलांग में तैनात हवलदार कुलदीप सिंह भंडारी (42 वर्ष) ऑपरेशन ड्यूटी के दौरान बीते शुक्रवार को शहीद हो गए थे. जहां से कुलदीप का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया गया. सुबह तकरीबन 7 बजे सेना की टुकड़ी शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर उनके पैतृक गांव फलई पहुंची. इस दौरान परिजनों, रिश्तेदार और स्थानीय लोगों की आंखें नम दिखाई दी.

कुलदीप की मां और पत्नी हुई बेसुध: जिस कलेजे को टुकड़े को बड़े जतन से पाला, आज उसी लाल का तिरंगे में लिपटा देख 80 वर्षीय मां शिवदेई देवी फफक-फफक कर रो पड़ी. शहीद की पत्नी रजनी (37 वर्ष) बेसुध हो गई. पिता के शरीर पर बिलखते अबोध बच्चों को इस घटना ने सभी झकझोर कर रख दिया. एक माह पूर्व शहीद कुलदीप गांव आए थे. मिलनसार प्रवृति के कुलदीप पूरे गांव के अजीज थे. फौजी का घर आना पहाड़ के गांवों में अक्सर खुशियां लेकर आता है.
ये भी पढ़ें: Major Durga Mall: डोईवाला चौक पर शहीद मेजर दुर्गामल्ल की मूर्ति हुई स्थापित, 100 फीट ऊंचे तिरंगे का अनावरण

कुलदीप अमर रहे के लगे नारे: फौजी भी अपनी छुट्टियां परिवार, रिश्तेदार और गांव के लोगों के साथ पूरी तन्मयता से बिताता है. शायद इसीलिए आज विजयनगर स्थित मंदाकिनी नदी के घाट पर सैकड़ों लोग उनकी अंतिम विदाई में शामिल हुए. 'वंदे मातरम', 'भारत माता की जय' और 'शहीद कुलदीप अमर रहे' के नारों के बीच उनके तिरंगे से लिपटे पार्थिव शरीर को विजयनगर स्थित श्मशान घाट ले जाया गया.

शहीद के पुत्र ने दी मुखाग्नि: फलई गांव स्थित उनके घर से उनकी पार्थिव शरीर को सेना की गाड़ी में यहां लाया गया था. अंतिम संस्कार से पहले, शहीद के पार्थिव शरीर पर भारतीय सेना, ग्रेनेडियर्स और असम राइफल की ओर से पुष्पांजलि अर्पित की गई. जवानों ने तीन राउंड फायरिंग कर शहीद को अंतिम श्रद्धांजलि दी. प्रशासन की ओर से तहसील बसुकेदार के प्रतिनिधि राजस्व उपनिरीक्षक भरत सिंह बर्त्वाल ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की. कुलदीप के पुत्र आयुष (15 वर्षीय) ने शहीद को मुखाग्नि दी.

कुलदीप के पुत्र को सौंपा तिरंगा: असम राइफल से आए जवान दिनेश सिंह, मनोज सिंह और महावीर सिंह और ग्रेनेडियर बटालियन के मेजर ने शहीद के पुत्र आयुष को तिरंगा सौंपा और शहीद को श्रद्धांजलि दी. जिसके बाद नम हुई हजारों आंखों से लोगों ने शहीद को अंतिम विदाई दी. इस दौरान परिजन, ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों ने भारत माता के जयकारे लगाकर शहीद को नमन किया और अंतिम दर्शन किए.

नहीं चल पाई सलामी वाली राइफल: शहीद कुलदीप को अंतिम सलामी देते समय 21 राउंड हवाई फायर होने थे, लेकिन कई जवानों की राइफल नहीं चल पाई. जिस पर वहां उपस्थित लोग हैरान रह गया. क्योंकि कम से कम सेना के हथियारों से ऐसी आशा किसी को नहीं थी.

शहीद कुलदीप सिंह भंडारी पंचतत्व में विलीन.

रुद्रप्रयाग: 10 मार्च को असम में ऑपरेशन ड्यूटी के दौरान अगस्त्यमुनि के फलई गांव निवासी कुलदीप सिंह भंडारी शहीद हो गए. आज शहीद का मंदाकिनी तट पर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. शहीद के अंतिम संस्कार में जन सैलाब उमड़ आया. सभी ने नम आंखों से शहीद कुलदीप को अंतिम विदाई दी. रुद्रप्रयाग स्थित ग्रेनेडियर बटालियन के सैनिकों ने 21 राउंड फायर कर शहीद को सलामी दी.

ड्यूटी के दौरान कुलदीप हुए शहीद: बता दें कि 35 असम राइफल शिलांग में तैनात हवलदार कुलदीप सिंह भंडारी (42 वर्ष) ऑपरेशन ड्यूटी के दौरान बीते शुक्रवार को शहीद हो गए थे. जहां से कुलदीप का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया गया. सुबह तकरीबन 7 बजे सेना की टुकड़ी शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर उनके पैतृक गांव फलई पहुंची. इस दौरान परिजनों, रिश्तेदार और स्थानीय लोगों की आंखें नम दिखाई दी.

कुलदीप की मां और पत्नी हुई बेसुध: जिस कलेजे को टुकड़े को बड़े जतन से पाला, आज उसी लाल का तिरंगे में लिपटा देख 80 वर्षीय मां शिवदेई देवी फफक-फफक कर रो पड़ी. शहीद की पत्नी रजनी (37 वर्ष) बेसुध हो गई. पिता के शरीर पर बिलखते अबोध बच्चों को इस घटना ने सभी झकझोर कर रख दिया. एक माह पूर्व शहीद कुलदीप गांव आए थे. मिलनसार प्रवृति के कुलदीप पूरे गांव के अजीज थे. फौजी का घर आना पहाड़ के गांवों में अक्सर खुशियां लेकर आता है.
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कुलदीप अमर रहे के लगे नारे: फौजी भी अपनी छुट्टियां परिवार, रिश्तेदार और गांव के लोगों के साथ पूरी तन्मयता से बिताता है. शायद इसीलिए आज विजयनगर स्थित मंदाकिनी नदी के घाट पर सैकड़ों लोग उनकी अंतिम विदाई में शामिल हुए. 'वंदे मातरम', 'भारत माता की जय' और 'शहीद कुलदीप अमर रहे' के नारों के बीच उनके तिरंगे से लिपटे पार्थिव शरीर को विजयनगर स्थित श्मशान घाट ले जाया गया.

शहीद के पुत्र ने दी मुखाग्नि: फलई गांव स्थित उनके घर से उनकी पार्थिव शरीर को सेना की गाड़ी में यहां लाया गया था. अंतिम संस्कार से पहले, शहीद के पार्थिव शरीर पर भारतीय सेना, ग्रेनेडियर्स और असम राइफल की ओर से पुष्पांजलि अर्पित की गई. जवानों ने तीन राउंड फायरिंग कर शहीद को अंतिम श्रद्धांजलि दी. प्रशासन की ओर से तहसील बसुकेदार के प्रतिनिधि राजस्व उपनिरीक्षक भरत सिंह बर्त्वाल ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की. कुलदीप के पुत्र आयुष (15 वर्षीय) ने शहीद को मुखाग्नि दी.

कुलदीप के पुत्र को सौंपा तिरंगा: असम राइफल से आए जवान दिनेश सिंह, मनोज सिंह और महावीर सिंह और ग्रेनेडियर बटालियन के मेजर ने शहीद के पुत्र आयुष को तिरंगा सौंपा और शहीद को श्रद्धांजलि दी. जिसके बाद नम हुई हजारों आंखों से लोगों ने शहीद को अंतिम विदाई दी. इस दौरान परिजन, ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों ने भारत माता के जयकारे लगाकर शहीद को नमन किया और अंतिम दर्शन किए.

नहीं चल पाई सलामी वाली राइफल: शहीद कुलदीप को अंतिम सलामी देते समय 21 राउंड हवाई फायर होने थे, लेकिन कई जवानों की राइफल नहीं चल पाई. जिस पर वहां उपस्थित लोग हैरान रह गया. क्योंकि कम से कम सेना के हथियारों से ऐसी आशा किसी को नहीं थी.

Last Updated : Mar 12, 2023, 3:50 PM IST
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