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ममता ने मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी एकता का आह्वान किया

ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी एकता का आह्वान किया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 23, 2021, 7:49 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की शानदार जीत से उत्साहित तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी एकता का आह्वान किया है.

तृणमूल प्रमुख, जो अपने करियर के सबसे कठिन चुनावों में से एक को जीतने के बाद सबसे मजबूत विपक्षी चेहरे के रूप में उभरी हैं, जाहिर तौर पर राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाने की कोशिश करती नजर आ रही हैं. इस सप्ताह की शुरुआत में पार्टी की ‘शहीद दिवस रैली’ में उन्होंने अपना वार्षिक संबोधन हिंदी, अंग्रेजी और बंगाली में दिया था. इस दौरान बनर्जी ने विपक्षी नेताओं से मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के वास्ते एकजुट होने और 'गठबंधन' के गठन की दिशा में काम शुरू करने के लिए कहा था.

तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने कहा, 'कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि ममता बनर्जी विपक्षी राजनीति के केंद्र के रूप में उभरी हैं. यदि आप उनके भाषण को देखते हैं, तो आपको पता चलेगा कि वह भाजपा विरोधी वोटों को एकत्र करना चाहती हैं और भाजपा के खिलाफ लोगों का गठबंधन बनाना चाहती हैं.'

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बनर्जी ने 2014 और 2019 के अपने अनुभवों को देखते हुए विपक्षी एकता का आह्वान किया है, जब विपक्षी खेमे में नेतृत्व, एकता और समन्वय की कमी ने भाजपा को सत्ता में आने में मदद की थी. उन्होंने कहा, '2014 और 2019 के दौरान, एक संयुक्त मोर्चा बनाने के प्रयास कारगर नहीं हुए क्योंकि चुनाव से कुछ महीने पहले इसकी पहल की गई थी. इससे मतदाताओं में स्वीकृति की भावना पैदा नहीं हुई. इस बार, हम चाहते हैं सभी मतभेदों को दूर करें और प्रक्रिया को समय से पहले शुरू करें.'

हालांकि तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व एक मजबूत भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के लिए आशान्वित है लेकिन उनके खेमे के लिए सभी विपक्षी दलों को अपने राजनीतिक मतभेदों को दूर करने और साझा हित पर काम करने के लिए राजी करना एक कठिन काम होगा.

पढ़ें :- ममता बनर्जी को टीएमसी संसदीय दल का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित

हालांकि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी के पास चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर हैं, जो उनके लिए बहुत फायदेमंद हैं. किशोर ने हाल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा से मुलाकात की थी.

इस बीच राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस विभिन्न दलों के नेताओं के साथ किशोर के तालमेल का फायदा उठाकर उन्हें मेज पर ला सकती है. उन्होंने कहा, '2019 में विपक्षी दलों की सबसे बड़ी कमी जो निकली, वह थी भाजपा के अभियान का मुकाबला करने के लिए एक साझा रणनीति का अभाव. तृणमूल कांग्रेस की ओर से प्रशांत किशोर जैसे चुनावी रणनीतिकारों के साथ, बनर्जी के लिए उन सभी को एक मंच पर लाना तुलनात्मक रूप से आसान होगा.'

उन्होंने कहा, 'बंगाल चुनावों को लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा 'मोदी बनाम ममता की लड़ाई' के रूप में पेश करके देशव्यापी मीडिया प्रचार ने केवल तृणमूल कांग्रेस प्रमुख को खुद को ऐसे नेता के रूप में स्थापित करने में मदद की है जो 2014 से चले आ रहे भाजपा के विजयी रथ को रोक सकती है.'

राजनीतिक विश्लेषक सुमन भट्टाचार्य ने कहा कि 'मोदी सरकार की लोकप्रियता अब तक के सबसे निचले स्तर पर है' और विपक्षी खेमे को इस समय का अधिकतम लाभ उठाने की आवश्यकता है.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी लगता है कि अगर उनकी पार्टी ने उन्हें समर्थन नहीं दिया तो किसी भी गठबंधन की, भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीयता नहीं होगी. उन्होंने कहा, 'अगर कोई सोचता है कि वह कांग्रेस को विश्वास में लिए बिना भाजपा को हरा सकता है, तो वह व्यक्ति दिन में सपने देख रह रहा है.'

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की शानदार जीत से उत्साहित तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी एकता का आह्वान किया है.

तृणमूल प्रमुख, जो अपने करियर के सबसे कठिन चुनावों में से एक को जीतने के बाद सबसे मजबूत विपक्षी चेहरे के रूप में उभरी हैं, जाहिर तौर पर राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाने की कोशिश करती नजर आ रही हैं. इस सप्ताह की शुरुआत में पार्टी की ‘शहीद दिवस रैली’ में उन्होंने अपना वार्षिक संबोधन हिंदी, अंग्रेजी और बंगाली में दिया था. इस दौरान बनर्जी ने विपक्षी नेताओं से मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के वास्ते एकजुट होने और 'गठबंधन' के गठन की दिशा में काम शुरू करने के लिए कहा था.

तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने कहा, 'कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि ममता बनर्जी विपक्षी राजनीति के केंद्र के रूप में उभरी हैं. यदि आप उनके भाषण को देखते हैं, तो आपको पता चलेगा कि वह भाजपा विरोधी वोटों को एकत्र करना चाहती हैं और भाजपा के खिलाफ लोगों का गठबंधन बनाना चाहती हैं.'

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बनर्जी ने 2014 और 2019 के अपने अनुभवों को देखते हुए विपक्षी एकता का आह्वान किया है, जब विपक्षी खेमे में नेतृत्व, एकता और समन्वय की कमी ने भाजपा को सत्ता में आने में मदद की थी. उन्होंने कहा, '2014 और 2019 के दौरान, एक संयुक्त मोर्चा बनाने के प्रयास कारगर नहीं हुए क्योंकि चुनाव से कुछ महीने पहले इसकी पहल की गई थी. इससे मतदाताओं में स्वीकृति की भावना पैदा नहीं हुई. इस बार, हम चाहते हैं सभी मतभेदों को दूर करें और प्रक्रिया को समय से पहले शुरू करें.'

हालांकि तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व एक मजबूत भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के लिए आशान्वित है लेकिन उनके खेमे के लिए सभी विपक्षी दलों को अपने राजनीतिक मतभेदों को दूर करने और साझा हित पर काम करने के लिए राजी करना एक कठिन काम होगा.

पढ़ें :- ममता बनर्जी को टीएमसी संसदीय दल का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित

हालांकि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी के पास चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर हैं, जो उनके लिए बहुत फायदेमंद हैं. किशोर ने हाल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा से मुलाकात की थी.

इस बीच राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस विभिन्न दलों के नेताओं के साथ किशोर के तालमेल का फायदा उठाकर उन्हें मेज पर ला सकती है. उन्होंने कहा, '2019 में विपक्षी दलों की सबसे बड़ी कमी जो निकली, वह थी भाजपा के अभियान का मुकाबला करने के लिए एक साझा रणनीति का अभाव. तृणमूल कांग्रेस की ओर से प्रशांत किशोर जैसे चुनावी रणनीतिकारों के साथ, बनर्जी के लिए उन सभी को एक मंच पर लाना तुलनात्मक रूप से आसान होगा.'

उन्होंने कहा, 'बंगाल चुनावों को लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा 'मोदी बनाम ममता की लड़ाई' के रूप में पेश करके देशव्यापी मीडिया प्रचार ने केवल तृणमूल कांग्रेस प्रमुख को खुद को ऐसे नेता के रूप में स्थापित करने में मदद की है जो 2014 से चले आ रहे भाजपा के विजयी रथ को रोक सकती है.'

राजनीतिक विश्लेषक सुमन भट्टाचार्य ने कहा कि 'मोदी सरकार की लोकप्रियता अब तक के सबसे निचले स्तर पर है' और विपक्षी खेमे को इस समय का अधिकतम लाभ उठाने की आवश्यकता है.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी लगता है कि अगर उनकी पार्टी ने उन्हें समर्थन नहीं दिया तो किसी भी गठबंधन की, भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीयता नहीं होगी. उन्होंने कहा, 'अगर कोई सोचता है कि वह कांग्रेस को विश्वास में लिए बिना भाजपा को हरा सकता है, तो वह व्यक्ति दिन में सपने देख रह रहा है.'

(पीटीआई-भाषा)

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