मुंबई : आवाज को डेसीबल में मापा जाता है. महाराष्ट्र में मस्जिदों से अजान पर लाउड स्पीकर से कितने डेसिबल की आवाज आनी चाहिए, इस पर राज्य का गृह मंत्रालय नोटिस जारी कर चुका है. अजान में लाउडस्पीकर की आवाज के मुद्दे पर शिवसेना नेता संजय राउत ने यह बात कही है. उन्होंने कहा कि मस्जिद की लाउडस्पीकर से अजान के समय डेसिबल का स्तर कितना होना चाहिए, यह पहले से निर्धारित है.
ताजा घटनाक्रम में नागपुर की जामा मस्जिद के अध्यक्ष मोहम्मद हाफिजुर रहमान ने कहा, अजान अधिकतम 2 से 2.5 मिनट तक होती है. उन्होंने कहा कि मस्जिद से अजान के समय ध्वनि की मात्रा सीमा के भीतर रहती है और यह ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में नहीं आती. बकौल मोहम्मद हाफिजुर रहमान, मस्जिद की अजान से अधिक अन्य कार्यक्रम अधिक शोर पैदा करते हैं. अजान में लाउडस्पीकर की आवाज से शोर या ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मस्जिद एक धार्मिक स्थल है और अजान एक तरह की घोषणा है. इससे ध्वनि प्रदूषण की बात ठीक नहीं.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के अलावा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी लाउडस्पीकर से अजान पर बातें हो चुकी हैं. नवंबर, 2021 में मध्य प्रदेश की भोपाल लोक सभा सीट से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अजान को लेकर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा कि सुबह होने वाली नमाज से बहुत परेशानी होती है. इससे साधना भी भंग हो जाती है. इस आवाज से सबकी नींद खराब हो जाती है. कुछ मरीज बीमार होते हैं, तो उनको और भी तकलीफ होती है.
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मार्च, 2021 में योगी आदित्यनाथ सरकार के संसदीय कार्य और ग्राम्य विकास राज्य मंत्री आनंद शुक्ला ने लाउडस्पीकर से अजान पर ऐतराज जताया था. मंत्री ने बलिया के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अधिक संख्या में लगे लाउडस्पीकरों को हटाने की मांग की थी. इसके अलावा मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने जून, 2020 में अजान विवाद के संबंध में कहा था कि जब उन्होंने लाउडस्पीकरों पर अज़ान को लेकर टिप्पणी करते हुए प्रतिबंध की बात कही थी तो मुस्लिम समाज के बड़े लोगों ने मुझे शाप देना शुरू कर दिया. दूसरी तरफ हिंदू बड़े लोग मुझे जेहादी और राष्ट्रद्रोही कहते हैं. बकौल जावेद वे एक समान अवसरवादी नास्तिक हैं जो सभी तरह की आस्थाओं के खिलाफ है.
लाउडस्पीकर से अजान पर हाईकोर्ट : इससे पहले मई, 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने कहा था, मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दिया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि बिना ध्वनि प्रदूषण नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकार में शामिल है. गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी की अजान पर रोक के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है. किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है. न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की थी.
अजान के कारण विवाद में घिरे सितारे : बता दें कि बॉलीवुड के प्लेबैक सिंगर सोनू निगम भी अजान को लेकर विवादों में घिर चुके हैं. बता दें कि साल 2017 में अजान पर सोनू निगम एक ट्वीट कर विवादों में घिर गए थे. सोनू ने अज़ान को 'जबरन थोपी गई धार्मिकता' करार दिया था. इस विवादास्पद ट्वीट के बाद, एक मौलवी ने सोनू निगम का सिर मुंडवाने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान किया था. फतवा जारी होने के बाद, सोनू निगम ने अपने सारे बाल मुंडवा लिए थे.
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सोनू निगम ने कहा- धार्मिक नहीं सामाजिक मुद्दा : विवाद बढ़ने के बाद सोनू ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने एक 'सामाजिक' मुद्दा उठाया था, धार्मिक नहीं. उन्होंने कहा था, वे एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं. उन्होंने अज़ान के बारे में बात नहीं की. उन्होंने जो बात कही वह लाउडस्पीकर से आने वाली तेज़ आवाज़ के बारे में थी. सोनू ने कहा कि उन्होंने मंदिरों और गुरुद्वारों का भी उल्लेख किया, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं गया. गायक सोनू निगम के ट्वीट को कई लोगों ने असंवेदनशील बताया था. सोनू ने कहा था, वह मुस्लिम नहीं हैं, लेकिन अज़ान (नमाज के पहले मस्जिद से होने वाली घोषणा) की आवाज़ के कारण नींद खुल जाती है. उन्होंने इसे 'जबरन थोपी गई धार्मिकता' बताते हुए सवालिया लहजे में लिखा था, भगवान सब पर कृपा करें. भारत में यह जबरन धार्मिकता कब खत्म होगी ? बता दें कि विवाद बढ़ने और ट्रोलिंग के कारण सोनू निगम ने ट्विटर छोड़ दिया.