हैदराबाद: क्या आप 4G के दौर में इंटरनेट की 2G या 3G स्पीड से परेशान हो गए हैं ? क्या दुर्गम क्षेत्र होने की वजह से आपके इलाके में इंटरनेट सेवा नहीं है ? तो तैयार हो जाइये हाइ स्पीड इंटरनेट के लिए. ये इंटरनेट सर्विस एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी आपतक पहुंचाएगी. इस कंपनी का इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए ना केबल की जरूरत होगी ना बड़े-बड़े टावर की, ये इंटरनेट सीधा उपग्रह यानि सैटेलाइट के जरिये आपतक पहुंचेगा. आखिर क्या है पूरा माजरा ? कौन सी कंपनी है और ये कैसे आपतक इंटरनेट सेवा पहुंचाएगी ? जानने के लिए पढ़िये ईटीवी भारत एक्सप्लेनर (etv bharat explainer)
सैटेलाइट से इंटरनेट देगी स्टारलिंक
दुनिया के सबसे अमीर शख्सियतों में शुमार एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक सैटेलाइट से इंटरनेट सर्विस देती है. ये सैटेलाइट लो-ऑर्बिट में लगातार चक्कर लगाते रहते हैं. जिसकी बदौलत कंपनी दुनिया के हर हिस्से में नेटवर्क उपलब्ध करवा सकती है. उन दुर्गम और वीरान क्षेत्रों में भी कंपनी इंटरनेट सेवा उपलब्ध होगी जहां केबल इंटरनेट या टेलीकॉम कंपनियों के टावर नहीं लग पाते. सैटेलाइट की मदद से जमीन से लेकर समुद्र और हवाई यात्रा के दौरान भी बिना रुकावट के इंटरनेट उपलब्ध होगा.
ये कोई नई तकनीक नहीं है, हम इसी तकनीक के जरिये सैटेलाइट टीवी (डीटूएच) देखने और GPS लोकेशन लेने में कर रहे हैं. लेकिन ये पारंपरिक सैटेलाइट बहुत दूर होते हैं इसलिये इनकी सेवाएं सीमित होती हैं. लेकिन एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक के सैटेलाइट लोअर ऑर्बिट में स्थापित हैं ताकि हाई-स्पीड इंटरनेट मिल सके. सेटेलाइट्स लेजर के जरिए डेटा ट्रांसमिट करते हैं। यह फाइबर ऑप्टिक ब्रॉडबैंड की तरह ही है, जिसमें लाइट की स्पीड से डेटा ट्रैवल करता है.
एलन मस्क की कंपनी अब तक करीब दो हजार छोटे सैटेलाइट लॉन्च कर चुकी है. सूटकेस के आकार के ये उपग्रह पृथ्वी के लो-ऑर्बिट में चक्कर लगा रहे हैं. आने वाले वक्त में कंपनी की योजना ऐसे 42 हजार सैटेलाइट लॉन्च करने की है.'
सैटेलाइट से कैसे मिलेगा इंटरनेट ?
सैटेलाइट लेजर बीम का इस्तेमाल कर डेटा ट्रांसफर करते हैं. इसके जरिये सैटेलाइट भी फाइबर ऑप्टिकल जितनी स्पीड दे सकते हैं. लेजर का सिग्नल अच्छा मिलना चाहिए, इसके लिए एक सैटेलाइट अपने पास के चार अन्य सैटेलाइट्स से जुड़कर एक नेटवर्क बनाता है. इस तरह आसमान में सैटेलाइट्स का नेटवर्क बन जाता है, जो हाई स्पीड इंटरनेट दे सकता है.
इसी तरह सैटेलाइट का बड़ा ग्रुप धरती के किसी भी कोने में हाई स्पीड इंटरनेट सेवा को मुमकिन बनाता है. स्टारलिंक किट में स्टारलिंक डिश, एक वाई-फाई राउटर, पॉवर सप्लाई केबल और माउंटिंग ट्राइपॉड मिलता है. हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए डिश को खुले आसमान के नीचे रखना होगा, iOS और एंड्रॉइड पर स्टारलिंक का ऐप मौजूद है, जो सेटअप से लेकर मॉनिटरिंग प्रक्रिया को पूरा करता है.
कितना खर्चा, कितनी स्पीड ?
स्टारलिंक कंपनी की वेबसाइट पर जाकर आप सैटेलाइट से इंटरनेट सेवा प्राप्त करने के लिए ऑर्डर कर सकते हैं. कंपनी ने 99 डॉलर यानी करीब 7000 रुपये में प्री बुकिंग शुरू कर दी है. ये रकम पूरी तरह से रिफंडेबल होगी. स्टारलिंक की तरफ से आपको एक किट मिलती है, जिसमें वाई-फाई राउटर, पावर सप्लाई, केबल, और माउंटिंग ट्राइपॉड जैसी चीजें शामिल होती हैं.
बीटा किट की कीमत 499 डॉलर यानि करीब 36 हजार रुपए है. 99 डॉलर यानि 7 हजार रुपए के मासिक सब्सक्रिप्शन पर इसे लिया जा सकता है. प्री-ऑर्डर के लिए भी कंपनी 99 डॉलर ले रही है. इंटरनेट आप तक पहुंचे, इसके लिए जरूरी है कि रेगुलेटर इसकी मंजूरी दे. भारत में दूरसंचार विभाग ने स्टारलिंक को आवश्यक लाइसेंस के लिए आवेदन करने को हरी झंडी दे दी है, ताकि जल्द से जल्द भारत में भी सैटेलाइट इंटरनेट उपलब्ध हो सके.
कंपनी फिलहाल 50 mbps से 150 mbps की इंटरनेट स्पीड की बात कह रही है. अमेरिका में स्पीडटेस्ट इंटेलिजेंस के आंकड़े बताते हैं कि स्टारलिंक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड 97.23 एमबीपीएस डाउनलोड स्पीड दे रहा है, जबकि 13.89 एमबीपीएस अपलोड स्पीड. अमेरिका में केबल ब्रॉडबैंड एवरेज डाउनलोड स्पीड 115.22 एमबीपीएस और अपलोड स्पीड 17.18 एमबीपीएस के आसपास है.
अगस्त में स्पीडटेस्ट ऐप बनाने वाली ऊकला (Ookla) ने कहा था कि स्टारलिंक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की स्पीड कई देशों में केबल ब्रॉडबैंड की स्पीड के बराबर पहुंच गई है. वहीं, कुछ देशों में तो इसने वायर्ड ब्रॉडबैंड को भी पीछे छोड़ दिया है.
भारत में कंपनी का लक्ष्य
एलन मस्क की स्टारलिंक कंपनी को भारत में ब्रॉडबैंड इंटरनेट के लिए 5000 से ज्यादा ऑर्डर मिल चुके हैं. भारत में कंपनी के निदेशक संजय भार्गव ने बताया है कि शुरुआत में कंपनी देश के 10 ग्रामीण लोकसभा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी. इसे लेकर कंपनी ग्रामीण इलाकों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट संपर्क के महत्व पर सांसदों से लेकर विधायकों और सरकार के शीर्ष अधिकारियों से बात करेगी. कंपनी का लक्ष्य सरकार की अनुमति से दो लाख सक्रिय टर्मिनल के साथ दिसंबर 2022 से भारत में ब्रॉडबैंड सेवा शुरू करने का है.
ग्रामीण इलाकों पर फोकस क्यों ?
स्टारलिंक कंपनी की तरफ से जानकारी दी गई है कि बीटा फेज में 50 से 150 एमबीपीएस स्पीड की इंटरनेट सेवा दी जाएगी. दरअसल देश और दुनिया के अधिकतर शहरों में इंटरनेट मुहैय्या करवाने वाली कंपनियां उपभोक्ताओं को इससे ज्यादा स्पीड देती हैं. ऐसे में कंपनी के लिए शहरों में गुंजाइश कम लगती है और शायद इसीलये कंपनी ग्रामीण और दूर दराज के दुर्गम इलाकों को टारगेट कर रही है जहां केबल इंटरनेट या टेलीकॉम कंपनी के टावर नहीं लगे हैं.
पारंपरिक और सैटेलाइट इंटरनेट में अंतर
मौजूदा वक्त में हम जिस इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. वो या तो मोबाइल ब्रॉडबैंड यानि मोबाइल टावर के जरिये हम तक पहुंचता है या केबल के जरिये. जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया, बीएसएनल ये सभी कंपनियां मोबाइल ब्रॉडबैंड की सर्विस देती है जिसे हम मोबाइल या अन्य डिवाइस में सिम लगाकर इस्तेमाल कर पाते हैं. केबल इंटरनेट में सेट टॉप बॉक्स से इंटरनेट चलता है, ये सेवा हैथवे, जियो फाइबर, एयरटेल एक्सट्रीम से मिलती है.
जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया के लिए मुश्किल बनेगा स्टारलिंक ?
भारत के टेलीकॉम सेक्टर में इस वक्त रिलायंस जियो का कब्जा है. इसके अलावा भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनी की भी भारत के टेलीकॉम बाजार में हिस्सेदारी है. स्टारलिंक की सैटेलाइट से इंटरनेट सर्विस देने की तकनीक को देखते हुए विशेषज्ञ इसे भारत की मोबाइल ब्रॉडबैंड सर्विस देने वाली कंपनियों के लिए चुनौती मान रहे हैं. अगर स्टारलिंक ने आने वाले समय में सस्ते इंटरनेट प्लान के साथ बेहतर स्पीड वाली सर्विस देती है तो इससे मोबाइल कंपनियों के साथ केबल इंटरनेट प्रोवाइडर के लिए भी खतरा हो सकता है. हालांकि भारत में 5जी आने के बाद मोबाइल ब्रॉडबैंड की स्पीड और नेटवर्क में कई गुना सुधार की उम्मीद स्टारलिंक के उम्मीदों पर पानी फेर सकती है.
कितने देशों में मिल रहा है स्टारलिंक का इंटरनेट ?
भारत में कंपनी प्री-ऑर्डर ले रही है, एलन मस्क के मुताबिक भारत में अप्रूवल की प्रक्रिया चल रही है. फिलहाल ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, न्यूजीलैंड, यूके, कनाडा, चिली, पुर्तगाल समेत 14 देशों में स्टारलिंक कंपनी का इंटरनेट इस्तेमाल हो रहा है और कंपनी के फिलाहाल करीब 1 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं.
सैटेलाइट इंटरनेट के और भी हैं खिलाड़ी
स्टारलिंक को टक्कर देने के लिए एयरबस और वनवेब कंपनी के ज्वाइंट वेंचर वनवेब सैटेलाइट्स ने 648 सैटेलाइट के ग्रुप के साथ सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस मुहैया करने की योजना बनाई है. 2022 तक ये नेटवर्क बन जाएगा, तब कंपनी सैटेलाइनट इंटरनेट सेवा देने की स्थिति में होगी.
अमेजन के ज्वाइंट वेंचर प्रोजेक्ट कुइपर ने भी 578 सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना बनाई है. जिससे लिमिटेड इंटरनेट नेटवर्क दिया जा सकेगा. कंपनी ने 2026 तक 3 हजार से अधिक सैटेलाइट लॉन्च की योजना बनाई है. हालांकि स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट की सर्विस सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाएगा जबकि वनवेब और अमेजन स्थानीय इंटरनेट कंपनियों के सहारे दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट सेवा मुहया करवाएगी.
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