पटना : बिहार से बाहर जनता दल यूनाइटेड (JDU) के विस्तार को लेकर पार्टी के दिग्गजों ने काम करना शुरू कर दिया है. लेकिन पार्टी को एक बड़ी चिंता भी इन दिनों सता रही है.
अगर जेडीयू (JDU) यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) में अकेले उतरती है तो क्या होगा, पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा तो कहीं अरुणाचल प्रदेश जैसा हाल न हो जाए. इन तमाम पहलुओं पर गंभीरता से विचार करने के बाद अब जेडीयू ने अपनी रणनीति बदल दी है.
बिहार में भाजपा (Bihar BJP) और जदयू के बीच मजबूत गठबंधन है. जदयू बिहार से बाहर भी भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ना चाहती है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में दोनों दल साथ ही लड़े उसके बाद पश्चिम बंगाल में राहें अलग हो गई. अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जदयू ने भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया है.
ललन सिंह (Lalan Singh) की ताजपोशी जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में हुई है. ललन सिंह के सामने जेडीयू को राष्ट्रीय पार्टी बनाने की सबसे बड़ी चुनौती है. जदयू को राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए भाजपा के सहयोग की दरकार है.
जदयू नेता चाहते हैं कि जिस तरीके से बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन है उसी तरीके से बिहार के बाहर भी भाजपा के साथ चुनाव लड़ा जाए. साथ ही जेडीयू ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर पार्टी की झोली में कुछ सीटें आ जाती हैं तो जल्द ही जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाएगा.
राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता पाने की शर्तें
कोई दल 4 अलग-अलग राज्यों में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम 6% मत पाये हों और लोकसभा में कम से कम 4 सीटें हासिल की हों. किसी भी दल को कम से कम चार या उससे अधिक राज्यों में राज्यीय दल की मान्यता प्राप्त हो.
ललन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. ललन सिंह ने दो टूक कह दिया कि अगर बीजेपी उत्तर प्रदेश में जदयू को गठबंधन में रखती है तो ठीक है. अगर गठबंधन में जगह नहीं मिली तो अकेले चुनाव लड़ने के लिए जेडीयू स्वतंत्र होगी.
जेडीयू राष्ट्रीय पार्टी बन जाएगी. दो राज्य बिहार और अरुणाचल प्रदेश में मान्यता प्राप्त है. दो और राज्य में मान्यता प्राप्त होते ही हमारी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बन जाएगी. हमारा लक्ष्य है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सपना पूरा करें. भाजपा हमें उत्तर प्रदेश और मणिपुर में भी भागीदार बनाना चाहती है तो ठीक है नहीं तो हम अपने बलबूते लड़ेंगे.- ललन सिंह,राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू
आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश में जदयू ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया था. विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 14 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे जिसमें 7 सीटों पर उन्हें जीत हासिल हुई थी. इसके बाद बीजेपी ने जेडीयू के पीठ में छुरा घोंपा और छह विधायकों ने पाला बदल लिया और बीजेपी का दामन थाम लिया.
आगामी टूट के खतरे को देखते हुए जदयू ने अपनी नीतियों में बदलाव किया है और पार्टी बिहार से बाहर भी भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ना चाहती है. ललन सिंह ने अध्यक्ष बनते ही भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया है. जातिगत जनगणना, मंडल कमीशन की रिपोर्ट, प्रमोशन में आरक्षण और प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को लेकर जदयू का स्टैंड विपक्षी खेमे की तरह ही है.
2016 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई थी लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में जदयू 219 सीटों पर चुनाव लड़ी थी सभी 219 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी. पार्टी को कुल 27 लाख 303 मत मिले थे वोटों का प्रतिशत 0.36 था.
जदयू एक बार फिर नए राष्ट्रीय अध्यक्ष में नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में दमखम दिखाना चाहती है. पार्टी ने 200 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने की योजना बनाई है. जदयू से पहले वीआईपी पार्टी ने भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने के संकेत दिए हैं.
फिलहाल भाजपा जदयू के दबाव में आने के लिए तैयार नहीं दिखती है. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि जदयू के साथ हमारा गठबंधन सिर्फ बिहार में है बिहार से बाहर जदयू के साथ हमारा गठबंधन होगा या नहीं इसे तो केंद्रीय नेतृत्व को तय करना है लेकिन उत्तर प्रदेश में हम अकेले सरकार बनाने की स्थिति में है.
उत्तर प्रदेश में हम चुनाव लड़ना चाहते हैं. अगर भाजपा के साथ गठबंधन हुआ तो ठीक है नहीं तो हम अकेले चुनाव में जाएंगे. बिहार से बाहर दिल्ली में हमारा भाजपा के साथ गठबंधन था उसी तर्ज पर भाजपा को आगे बढ़ना चाहिए- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू
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वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि जदयू दबाव की राजनीति कर रही है. ललन सिंह ने अपने तेवर दिखा दिए हैं. एक के बाद एक विवादास्पद मुद्दों पर जदयू नेता बेबाकी से अपनी राय रख रहे हैं. जदयू का स्टैंड भाजपा विरोधी स्टैंड है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा जदयू के दबाव में आती है या नहीं.