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मुलायम सिंह यादव के इस फैसले से हर शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचता है घर

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Published : Oct 10, 2022, 5:01 PM IST

समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव नहीं रहे. मुलायम सिंह यादव से जुड़ी तमाम यादें और अनकही बातें पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने ईटीवी भारत से साझा की. उन्होंने बताया कि मुलायम सिंह यादव का आगरा से गहरा नाता था.

मुलायम सिंह का निधन.
मुलायम सिंह का निधन.

आगराः सपा संरक्षक व पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का आगरा से गहरा नाता था. वे सैकड़ों बार आगरा आए. फिर चाहे समाजवादी पार्टी की पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सम्मेलन रहा हो या सीएम बनने और उसके बाद भी आगरा आए. पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव का दूसरा घर आगरा था. उन्होंने आगरा से एमए किया था. उन्हें आगरा से बेहद लगाव था. मुलायम सिंह यादव से जुड़ी तमाम यादें और अनकही बातें पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने ईटीवी भारत से साझा की. उन्होंने बताया कि, मुलायम सिंह नाम की तरह दिल से मुलायम थे लेकिन फैसले हमेशा जनहित से जुड़े और कठोर लेते थे.

पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय.

पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने बताया कि मुलायम सिंह यादव अक्सर कहा करते थे कि, आगरा में जब मैं कोई भी बात कहता हूं तो वह बात मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक जाती है. इलसिए, वे आगरा में मीडिया से बात किया करते थे. डॉ. सीपी राय ने बताया कि, यह वाकिया आगरा से जुड़ा हुआ है. मुलायम सिंह यादव आगरा आए थे और उस समय पार्टी की पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक थी, तभी अखबार पर उनकी नजर पड़ी और उन्होंने देखा कि, सदर क्षेत्र के नौलक्खा में पैसे के अभाव में एक ही परिवार की तीन बेटियों ने आत्महत्या कर ली थी. इस पर हम दोनों में चर्चा हुई और तय हुआ कि, हम गरीबों के लिए कुछ करेंगे.

मुलायम सिंह यादव जब सीएम बने तो उन्होंने सबसे पहले बेरोजगारी भत्ता युवाओं को दिया. इसके साथ ही कन्या धन देने की शुरुआत भी मुलायम सिंह यादव ने की थी. हर घर शौचालय का अभी शोर है लेकिन, सबसे पहले लोहिया जी ने इसकी चर्चा की थी. और लोहिया जी के इसी संदेश को लेकर मुलायम सिंह यादव जी ने अपने कार्यकाल में शौचालय पर तमाम कार्य कराए थे. शिक्षा के साथ ही चिकित्सा के क्षेत्र में भी मुलायम सिंह यादव ने काम किया.

पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने बताया कि जब मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री थे और उस समय वे जम्मू कश्मीर में बॉर्डर पर गए थे. वहां उन्होंने देखा कि, लगातार पाकिस्तानी सेना की ओर से गोलाबारी की जा रही थी. इस पर उन्होंने जवानों से और तत्कालीन थलसेना अध्यक्ष से पूछा यह क्या है ? इस पर उन्होंने कहा कि, पाकिस्तानी सेना आए दिन लगातार इसी तरह से फायरिंग करती है, जिसमें जनहानि भी होती है. तमाम सैनिक शहीद भी होते हैं और गांव के लोगों को भी नुकसान होता है. इस पर रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव ने थल सेना अध्यक्ष से पूछा क्या करते हैं ? हम भी इसी तरह से जवाब देते हैं. इस पर उन्होंने तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए. कहा था कि आप मेरे सामने जवाब दें. इस पर तत्कालीन थल सेना अध्यक्ष सकपका गए थे, तब मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि, जितनी अहम एक रक्षा मंत्री की जान है, उतनी ही अहम एक सैनिक जान है.

पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने बताया कि, पहले जब कोई सैनिक शहीद होता था तो उसका कैप शहीद के घर पहुंचता था, लेकिन नेताजी मुलायम सिंह यादव ने इस व्यवस्था को बदला और शहीद के पार्थिव शरीर को ससम्मान घर भेजने की व्यवस्था की. यही वजह है कि, तभी से शहीद के पार्थिव शरीर को सम्मान देने के लिए जनप्रतिनिधि और नेता भी पहुंचते हैं.

पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने बताया कि 'मेरी धर्मपत्नी मुलायम सिंह जी को राखी बांधती थी. इसीलिए जब मेरी धर्मपत्नी को कैंसर हुआ तो नेताजी घर पर उनसे राखी बंधवाने आए थे. उनका निधन हुआ तो उनके अर्थी को कंधा भी मुलायम सिंह यादव ने दिया था. भले ही मैं उस समय पार्टी में नहीं था फिर, भी नेताजी मेरे यहां आए थे. जब भी किसी भी जगह उनकी जरूरत हुई और उनसे संपर्क किया गया, तब मदद मिली. आज उनके निधन से हमने एक परिवार का बड़ा मुखिया खो दिया है.'

ताजनगरी बनी थी 'नेताजी' और 'बाबूजी' की गहरी दोस्ती की साक्षी
मुलायम सिंह यादव ने आगरा के बीआर कॉलेज (आरबीएस कॉलेज) से एमए किया था, जब सपा के गठन हुआ तो पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी आगरा में ही हुई थी. भाजपा से पूर्व राज्यपाल व यूपी के पूर्व सीएम रहे कल्याण सिंह (बाबूजी) अलग हो गए और जनक्रांति पार्टी बना ली, फिर 2009 में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन आगरा में हुआ था. आगरा के जीआईसी मैदान पर 'नेताजी' और 'बाबूजी' एक साथ मंच पर आए. 'नेताजी' और 'बाबूजी' की दोस्ती का गवाह आगरा बना था. 'नेताजी' ने अपने हाथ से 'बाबूजी' को लाल टोपी पहनाई थी. आगरा में हुई 'नेताजी' और 'बाबूजी' की दोस्ती खूब सुर्खियां बनीं थी.

आगरा में भी तमाम परिवार हैं, जिनसे मुलायम सिंह यादव की पारिवारिक नजदीकियां हैं. आगरा में तमाम ऐसे कार्यकर्ता हैं, जिन्हें नाम से पुकारते और पहचानते थे. इतना ही नहीं, जब भी पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव का स्वास्थ्य गड़बड़ होता था, तो वे आगरा के मशहूर होम्याेपैथी चिकित्सक डॉ. आरएस पारीक से परामर्श लेने आते थे और उनसे ही अपना उपचार कराते थे.

अपनी रणनीति से दे दी भाजपा को पटखनी
मुलायम सिंह यादव ने 1994 में आगरा में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकरिणी की बैठक की थी. इसके बाद चार बार राष्ट्रीय अधिवेशन हुए. सन 2001, 2008, 2011 और 2017 में दो बार पार्टी की सरकार भी बनी. मुलायम सिंह की ही रणनीति थी कि, उन्होंने आगरा में भाजपा के किले को 1999 में ध्वस्त कर दिया था. आगरा लोकसभा सीट से चुनाव में मैदान में अभिनेता राज बब्बर को उतारा था, जहां से अभिनेता राज बब्बर ने भगवान शंकर रावत भाजपा को हराया था. इसके बाद सपा के टिकट पर राजबब्बर 2004 में भी आगरा से चुनाव जीते थे. सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामजीलाल सुमन ने बताया कि, नेताजी जमीन से जुड़े नेता थे. इसलिए उन्हें धरती पुत्र कहा जाता था. उन्होंने संघर्ष और गरीबी देखी थी.

पढ़ेंः सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने मेदांता में ली अंतिम सांस, अखिलेश ने कहा- नेता जी नहीं रहे

आगराः सपा संरक्षक व पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का आगरा से गहरा नाता था. वे सैकड़ों बार आगरा आए. फिर चाहे समाजवादी पार्टी की पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सम्मेलन रहा हो या सीएम बनने और उसके बाद भी आगरा आए. पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव का दूसरा घर आगरा था. उन्होंने आगरा से एमए किया था. उन्हें आगरा से बेहद लगाव था. मुलायम सिंह यादव से जुड़ी तमाम यादें और अनकही बातें पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने ईटीवी भारत से साझा की. उन्होंने बताया कि, मुलायम सिंह नाम की तरह दिल से मुलायम थे लेकिन फैसले हमेशा जनहित से जुड़े और कठोर लेते थे.

पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय.

पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने बताया कि मुलायम सिंह यादव अक्सर कहा करते थे कि, आगरा में जब मैं कोई भी बात कहता हूं तो वह बात मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक जाती है. इलसिए, वे आगरा में मीडिया से बात किया करते थे. डॉ. सीपी राय ने बताया कि, यह वाकिया आगरा से जुड़ा हुआ है. मुलायम सिंह यादव आगरा आए थे और उस समय पार्टी की पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक थी, तभी अखबार पर उनकी नजर पड़ी और उन्होंने देखा कि, सदर क्षेत्र के नौलक्खा में पैसे के अभाव में एक ही परिवार की तीन बेटियों ने आत्महत्या कर ली थी. इस पर हम दोनों में चर्चा हुई और तय हुआ कि, हम गरीबों के लिए कुछ करेंगे.

मुलायम सिंह यादव जब सीएम बने तो उन्होंने सबसे पहले बेरोजगारी भत्ता युवाओं को दिया. इसके साथ ही कन्या धन देने की शुरुआत भी मुलायम सिंह यादव ने की थी. हर घर शौचालय का अभी शोर है लेकिन, सबसे पहले लोहिया जी ने इसकी चर्चा की थी. और लोहिया जी के इसी संदेश को लेकर मुलायम सिंह यादव जी ने अपने कार्यकाल में शौचालय पर तमाम कार्य कराए थे. शिक्षा के साथ ही चिकित्सा के क्षेत्र में भी मुलायम सिंह यादव ने काम किया.

पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने बताया कि जब मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री थे और उस समय वे जम्मू कश्मीर में बॉर्डर पर गए थे. वहां उन्होंने देखा कि, लगातार पाकिस्तानी सेना की ओर से गोलाबारी की जा रही थी. इस पर उन्होंने जवानों से और तत्कालीन थलसेना अध्यक्ष से पूछा यह क्या है ? इस पर उन्होंने कहा कि, पाकिस्तानी सेना आए दिन लगातार इसी तरह से फायरिंग करती है, जिसमें जनहानि भी होती है. तमाम सैनिक शहीद भी होते हैं और गांव के लोगों को भी नुकसान होता है. इस पर रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव ने थल सेना अध्यक्ष से पूछा क्या करते हैं ? हम भी इसी तरह से जवाब देते हैं. इस पर उन्होंने तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए. कहा था कि आप मेरे सामने जवाब दें. इस पर तत्कालीन थल सेना अध्यक्ष सकपका गए थे, तब मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि, जितनी अहम एक रक्षा मंत्री की जान है, उतनी ही अहम एक सैनिक जान है.

पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने बताया कि, पहले जब कोई सैनिक शहीद होता था तो उसका कैप शहीद के घर पहुंचता था, लेकिन नेताजी मुलायम सिंह यादव ने इस व्यवस्था को बदला और शहीद के पार्थिव शरीर को ससम्मान घर भेजने की व्यवस्था की. यही वजह है कि, तभी से शहीद के पार्थिव शरीर को सम्मान देने के लिए जनप्रतिनिधि और नेता भी पहुंचते हैं.

पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने बताया कि 'मेरी धर्मपत्नी मुलायम सिंह जी को राखी बांधती थी. इसीलिए जब मेरी धर्मपत्नी को कैंसर हुआ तो नेताजी घर पर उनसे राखी बंधवाने आए थे. उनका निधन हुआ तो उनके अर्थी को कंधा भी मुलायम सिंह यादव ने दिया था. भले ही मैं उस समय पार्टी में नहीं था फिर, भी नेताजी मेरे यहां आए थे. जब भी किसी भी जगह उनकी जरूरत हुई और उनसे संपर्क किया गया, तब मदद मिली. आज उनके निधन से हमने एक परिवार का बड़ा मुखिया खो दिया है.'

ताजनगरी बनी थी 'नेताजी' और 'बाबूजी' की गहरी दोस्ती की साक्षी
मुलायम सिंह यादव ने आगरा के बीआर कॉलेज (आरबीएस कॉलेज) से एमए किया था, जब सपा के गठन हुआ तो पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी आगरा में ही हुई थी. भाजपा से पूर्व राज्यपाल व यूपी के पूर्व सीएम रहे कल्याण सिंह (बाबूजी) अलग हो गए और जनक्रांति पार्टी बना ली, फिर 2009 में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन आगरा में हुआ था. आगरा के जीआईसी मैदान पर 'नेताजी' और 'बाबूजी' एक साथ मंच पर आए. 'नेताजी' और 'बाबूजी' की दोस्ती का गवाह आगरा बना था. 'नेताजी' ने अपने हाथ से 'बाबूजी' को लाल टोपी पहनाई थी. आगरा में हुई 'नेताजी' और 'बाबूजी' की दोस्ती खूब सुर्खियां बनीं थी.

आगरा में भी तमाम परिवार हैं, जिनसे मुलायम सिंह यादव की पारिवारिक नजदीकियां हैं. आगरा में तमाम ऐसे कार्यकर्ता हैं, जिन्हें नाम से पुकारते और पहचानते थे. इतना ही नहीं, जब भी पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव का स्वास्थ्य गड़बड़ होता था, तो वे आगरा के मशहूर होम्याेपैथी चिकित्सक डॉ. आरएस पारीक से परामर्श लेने आते थे और उनसे ही अपना उपचार कराते थे.

अपनी रणनीति से दे दी भाजपा को पटखनी
मुलायम सिंह यादव ने 1994 में आगरा में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकरिणी की बैठक की थी. इसके बाद चार बार राष्ट्रीय अधिवेशन हुए. सन 2001, 2008, 2011 और 2017 में दो बार पार्टी की सरकार भी बनी. मुलायम सिंह की ही रणनीति थी कि, उन्होंने आगरा में भाजपा के किले को 1999 में ध्वस्त कर दिया था. आगरा लोकसभा सीट से चुनाव में मैदान में अभिनेता राज बब्बर को उतारा था, जहां से अभिनेता राज बब्बर ने भगवान शंकर रावत भाजपा को हराया था. इसके बाद सपा के टिकट पर राजबब्बर 2004 में भी आगरा से चुनाव जीते थे. सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामजीलाल सुमन ने बताया कि, नेताजी जमीन से जुड़े नेता थे. इसलिए उन्हें धरती पुत्र कहा जाता था. उन्होंने संघर्ष और गरीबी देखी थी.

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