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मन की आंखों से जला रहे हैं ज्ञान की ज्योति: जानिए कौन हैं अर्जुन यादव

एक शिक्षक जो खुद देख नहीं पाते लेकिन समाज के पथ प्रदर्शक हैं. वो करीब 30 साल से अपनी मन की आंखों से बच्चों के बीच ज्ञान की ज्योति जला रहे हैं. ईटीवी भारत (Etv Bharat) की रिपोर्ट से जानिए कौन हैं वो दिव्यांग शिक्षक (Divyang Teacher)?

अर्जुन यादव
अर्जुन यादव
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Published : Nov 24, 2021, 2:58 AM IST

दुमकाः आमतौर पर दिव्यांग व्यक्ति अगर दोनों आंखों से देख नहीं पा रहे हो तो वह दूसरे पर आश्रित रहते हैं, लेकिन दुमका के दिव्यांग अर्जुन यादव (Divyang Arjun Yadav) जो दोनों आंखों से देख ना पाने के बावजूद वो दूसरों को राह दिखा रहे हैं. ये दिव्यांग शिक्षक ((Divyang Teacher) अपनी प्रबल इच्छाशक्ति और मजबूत इरादों के साथ अपने मन की आंखों से ज्ञान की ज्योति जला रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- Teacher's Day Special: दोनों पैर गंवाने के बाद भी बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे सिकंदर

लगभग तीस वर्षों से बच्चों को पढ़ा रहे अर्जुन यादव

झारखंड सरकार के कल्याण विभाग की ओर से संचालित दुमका के प्लस 2 पिछड़ी जाति बालिका आवासीय विद्यालय में अर्जुन यादव संस्कृत पढ़ाते हैं. अर्जुन यादव दिव्यांग हैं, वो दोनों आंखों से देख नहीं पाते. लेकिन इस विद्यालय की कक्षा 6 से 10 की लगभग 400 छात्राओं में वर्षों ज्ञान की ज्योति जला रहे हैं. दिव्यांग अर्जुन यादव ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से MA-B.Ed की डिग्री प्राप्त की है और 1994 से स्कूल में बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.

पढ़ाने का तरीका है बेहतर

अर्जुन यादव के पढ़ाने का तरीका इतना बेहतर है कि छात्राऐं इनका क्लास मिस नहीं करती हैं. संस्कृत के अतिरिक्त है ये हिंदी और अंग्रेजी भी पढ़ा लेते हैं. अर्जुन यादव कहते हैं कि मुझे इन बच्चियों को पढ़ाकर काफी खुशी होती है.

बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव
बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव

क्या कहती हैं छात्राएं

ईटीवी भारत ने अर्जुन यादव द्वारा शिक्षा प्राप्त कर रहीं कई छात्राओं से बात कर जाना कि वह कैसा पढ़ाते हैं. छात्राओं ने उनकी प्रशंसा की और कहा कि सर हमें काफी अच्छे ढंग से पढ़ाते हैं. इनके समझाने का तरीका काफी अच्छा है, हम लोगों को इनकी क्लास में काफी मन लगता है. छात्राओं ने बताया कि हमें उम्मीद है कि आने वाले मैट्रिक परीक्षा में हम संस्कृत विषय में अच्छा अंक प्राप्त करेंगे.

इसे भी पढ़ें- दिव्यांग शिक्षक ने समाज में बनाया अलग पहचान, बच्चों को शिक्षित करने का लिया निर्णय

झारखंड सरकार ने शिक्षक को कई बार किया है सम्मानित

अर्जुन यादव कल्याण विभाग के विद्यालय में संस्कृत पढ़ाते हैं. इनके सब्जेक्ट में छात्राओं ने मैट्रिक परीक्षा में उच्चतम अंक प्राप्त किया है. इसी वजह से झारखंड सरकार में इन्हें कई बार सम्मानित किया है. सरकार द्वारा सम्मान समारोह आयोजित कर इन्हें प्रमाण पत्र के साथ नकद राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया गया है.

बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव
बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव

क्या कहती हैं विद्यालय की प्रिंसिपल

कल्याण विभाग की ओर से संचालित प्लस टू पिछड़ी जाति बालिका आवासीय विद्यालय की प्रिंसिपल रीता सिंह कहती हैं कि दिव्यांग शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे, अर्जुन यादव नियमित तौर पर विद्यालय आते हैं, हमारे यहां संस्कृत के शिक्षक के तौर पर सिर्फ यहां पदस्थापित हैं. इसलिए कक्षा 6 से 10 तक इस विषय को पढ़ाने की जिम्मेदारी इन्हीं पर है. वह कहती हैं कि इनकी वजह से हमारे विद्यालय को काफी सम्मान प्राप्त हुआ है.

बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव
बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव

समाज के लिए अनुकरणीय

कहते हैं कि हौसला अगर बुलंद हो तो आंधियों में भी चिराग जलते हैं. अर्जुन यादव ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है. कई ऐसे दिव्यांग हैं जो अपने परिवार वालों पर आश्रित हो जाते हैं. उनकी लाचारगी और बेचारगी देख दूसरे भी दुखी हो जाते हैं. लेकिन अर्जुन यादव के बुलंद हौसलों को देख मन में काफी खुशी होती, सचमुच ये समाज के लिए अनुकरणीय है.

दुमकाः आमतौर पर दिव्यांग व्यक्ति अगर दोनों आंखों से देख नहीं पा रहे हो तो वह दूसरे पर आश्रित रहते हैं, लेकिन दुमका के दिव्यांग अर्जुन यादव (Divyang Arjun Yadav) जो दोनों आंखों से देख ना पाने के बावजूद वो दूसरों को राह दिखा रहे हैं. ये दिव्यांग शिक्षक ((Divyang Teacher) अपनी प्रबल इच्छाशक्ति और मजबूत इरादों के साथ अपने मन की आंखों से ज्ञान की ज्योति जला रहे हैं.

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लगभग तीस वर्षों से बच्चों को पढ़ा रहे अर्जुन यादव

झारखंड सरकार के कल्याण विभाग की ओर से संचालित दुमका के प्लस 2 पिछड़ी जाति बालिका आवासीय विद्यालय में अर्जुन यादव संस्कृत पढ़ाते हैं. अर्जुन यादव दिव्यांग हैं, वो दोनों आंखों से देख नहीं पाते. लेकिन इस विद्यालय की कक्षा 6 से 10 की लगभग 400 छात्राओं में वर्षों ज्ञान की ज्योति जला रहे हैं. दिव्यांग अर्जुन यादव ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से MA-B.Ed की डिग्री प्राप्त की है और 1994 से स्कूल में बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.

पढ़ाने का तरीका है बेहतर

अर्जुन यादव के पढ़ाने का तरीका इतना बेहतर है कि छात्राऐं इनका क्लास मिस नहीं करती हैं. संस्कृत के अतिरिक्त है ये हिंदी और अंग्रेजी भी पढ़ा लेते हैं. अर्जुन यादव कहते हैं कि मुझे इन बच्चियों को पढ़ाकर काफी खुशी होती है.

बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव
बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव

क्या कहती हैं छात्राएं

ईटीवी भारत ने अर्जुन यादव द्वारा शिक्षा प्राप्त कर रहीं कई छात्राओं से बात कर जाना कि वह कैसा पढ़ाते हैं. छात्राओं ने उनकी प्रशंसा की और कहा कि सर हमें काफी अच्छे ढंग से पढ़ाते हैं. इनके समझाने का तरीका काफी अच्छा है, हम लोगों को इनकी क्लास में काफी मन लगता है. छात्राओं ने बताया कि हमें उम्मीद है कि आने वाले मैट्रिक परीक्षा में हम संस्कृत विषय में अच्छा अंक प्राप्त करेंगे.

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झारखंड सरकार ने शिक्षक को कई बार किया है सम्मानित

अर्जुन यादव कल्याण विभाग के विद्यालय में संस्कृत पढ़ाते हैं. इनके सब्जेक्ट में छात्राओं ने मैट्रिक परीक्षा में उच्चतम अंक प्राप्त किया है. इसी वजह से झारखंड सरकार में इन्हें कई बार सम्मानित किया है. सरकार द्वारा सम्मान समारोह आयोजित कर इन्हें प्रमाण पत्र के साथ नकद राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया गया है.

बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव
बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव

क्या कहती हैं विद्यालय की प्रिंसिपल

कल्याण विभाग की ओर से संचालित प्लस टू पिछड़ी जाति बालिका आवासीय विद्यालय की प्रिंसिपल रीता सिंह कहती हैं कि दिव्यांग शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे, अर्जुन यादव नियमित तौर पर विद्यालय आते हैं, हमारे यहां संस्कृत के शिक्षक के तौर पर सिर्फ यहां पदस्थापित हैं. इसलिए कक्षा 6 से 10 तक इस विषय को पढ़ाने की जिम्मेदारी इन्हीं पर है. वह कहती हैं कि इनकी वजह से हमारे विद्यालय को काफी सम्मान प्राप्त हुआ है.

बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव
बच्चों को पढ़ाते दिव्यांग अर्जुन यादव

समाज के लिए अनुकरणीय

कहते हैं कि हौसला अगर बुलंद हो तो आंधियों में भी चिराग जलते हैं. अर्जुन यादव ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है. कई ऐसे दिव्यांग हैं जो अपने परिवार वालों पर आश्रित हो जाते हैं. उनकी लाचारगी और बेचारगी देख दूसरे भी दुखी हो जाते हैं. लेकिन अर्जुन यादव के बुलंद हौसलों को देख मन में काफी खुशी होती, सचमुच ये समाज के लिए अनुकरणीय है.

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