हजारीबाग: पाकिस्तान में बैठे हैंडलर हजारीबाग जैसे छोटे शहर से साइबर क्राइम की घटना को अंजाम दे रहे हैं. इसका खुलासा तब हुआ जब हजारीबाग पुलिस कप्तान मनोज रतन चोथे ने चार साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया. ये साइबर अपराधी साइबर अपराध के पैसों को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करते थे. पैसा कहां भेजना है इसकी सहमति पाकिस्तान में बैठे साइबर अपराधी करते थे. कहा जा सकता है कि साइबर क्राइम अब पाकिस्तान से भी नियंत्रित होने लगा है. अब ये गंभीर मामला है. हालांकि, यह पैसा कहां इस्तेमाल किया गया और कैसे आया, इन सभी बातों की जांच हजारीबाग पुलिस कर रही है.
बता दें कि गिरफ्तार अपराधियों के पास से 10 मोबाइल फोन, 36 सिम कार्ड, 37 डेबिट कार्ड, 12 पासबुक और एक एयरटेल फाइबर राउटर जब्त किया गया है. गिरफ्तार साइबर अपराधियों में नीतीश, कुमार राजा, रमन कौशिक, अरविंद कुमार हंटरगंज चतरा के रहने वाले हैं, जबकि सैफ रियाज उर्फ सिबू बिहार के पश्चिमी चंपारण का रहने वाला है. हजारीबाग पुलिस ने बताया कि यह सफलता प्रतिबिंब ऐप की मदद से मिली है. जिसके चलते झारखंड पुलिस ने दो साइबर अपराधियों की उनकी घर से धरपकड़ की और उनकी निशानदेही पर दो अन्य साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया.
पंजाब में हुए फ्रॉड की जांच में हुआ खुलासा: हजारीबाग एसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर इन अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. 28 नवंबर को पंजाब में करीब 1 लाख 60 हजार रुपये की ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी की सूचना मिली थी. इस मामले में हजारीबाग पुलिस को अहम जानकारी मिली है. तकनीकी साक्ष्य के आधार पर दो आरोपियों को मुफस्सिल थाने से कुछ दूरी पर गिरफ्तार कर लिया गया. उनकी ही सूचना पर दो अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
10 महीने के अंदर ढाई लाख से ज्यादा ट्रांजैक्शन: जांच से पता चला है कि गिरफ्तार अपराधी 50 से अधिक बैंक खातों में पैसे मंगाते थे और फिर एटीएम से निकाल लेते थे. 10 महीने के अंदर ढाई लाख से ज्यादा ट्रांजैक्शन किए गए हैं. सिर्फ हजारीबाग में ही नहीं, अन्य क्षेत्रों में भी छोटे-मोटे लेनदेन किये गये हैं. लेन-देन बहुत अधिक था, इसलिए पैसे निकालने के लिए कई अन्य लड़कों का भी सहारा लिया गया. खास बात यह है कि इस मॉड्यूल के तहत जिस एटीएम से पैसे निकाले जाते थे, उसी एटीएम से दूसरे खाते में भी पैसे ट्रांसफर कर दिए जाते थे. ऐसे में इन लड़कों को भी कुछ दिलचस्पी हुई. बताया जाता है कि यह नेटवर्क कुछ महीनों से हजारीबाग में चल रहा था. जो पासबुक मिली हैं, वे अलग-अलग नाम वाले व्यक्तियों की हैं. यह भी जांच का विषय है कि जिनके नाम पर खाता खोला गया है, क्या उन्होंने जानबूझकर खाता खोला और अपना खाता साइबर अपराधियों को दिया है?
पाकिस्तानी हैंडलर के आदेश पर पैसा होता है बैंक खातों में जमा: इसके बाद अपने पाकिस्तानी हैंडलर के निर्देशानुसार सीडीएम के जरिए सारा पैसा देश के कई राज्यों के बैंक खातों में जमा करा दिया जाता है. गिरफ्तार अपराधी पिछले कुछ दिनों से हजारीबाग जिले के कोर्रा थाना क्षेत्र में रहकर ठगी का काम कर रहे थे. हजारीबाग पुलिस ने यह भी बताया कि वे हर लेनदेन से पहले हर दिन पाकिस्तान के नंबर पर बात करते थे. बात करने का तरीका बलूचिस्तान के आसपास की पठानी हिंदी जैसा लगता है. वे बातचीत के लिए व्हाट्सएप कॉल का सहारा लेते थे.
पाकिस्तान से साइबर अपराधी दे रहे अपराध को अंजाम: ऐसे में यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान में बैठे साइबर अपराधी हजारीबाग में अपराध को अंजाम दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है कि इस तरह का मॉड्यूल सिर्फ हजारीबाग में ही काम कर रहा है या अन्य इलाकों में भी. ऐसे में यह भी उम्मीद है कि इस जांच में कई अन्य एजेंसियों की भी मदद ली जाएगी. यह हजारीबाग में अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी मानी जा रही है, जहां साइबर क्राइम का लिंक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रहा है.
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