हैदराबाद : 5 अक्टूबर को कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को लखीमपुर खीरी जाने के दौरान सीतापुर के हरगांव में गिरफ्तार किया गया. इससे पहले यूपी पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था. प्रियंका की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस के नेता सुपर एक्टिव मोड में आ गए. पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने इसकी आलोचना की. इस बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी लखनऊ पहुंच गए. जब उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोका गया तो बघेल ने वहीं फर्श पर बैठकर धरना शुरू कर दिया. पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इसकी तुलना 3 अक्टूबर 1977 को हुई इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी से की. प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस करीब 44 साल बाद उस इंदिरा मोमेंट की तलाश कर रही है, जिसके बलबूते जनता पार्टी के खिलाफ माहौल बनना शुरू हुआ था.
-
If arrest of Mrs Indira Gandhi on October 3,1977 proved to be the undoing of Janta Party’s govt , the arrest of Priyanka Gandhi on October 3,2021 marks the beginning of the end of BJP govt. @INCIndia #FarmerProtest pic.twitter.com/GT27FUVcuT
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) October 4, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">If arrest of Mrs Indira Gandhi on October 3,1977 proved to be the undoing of Janta Party’s govt , the arrest of Priyanka Gandhi on October 3,2021 marks the beginning of the end of BJP govt. @INCIndia #FarmerProtest pic.twitter.com/GT27FUVcuT
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) October 4, 2021If arrest of Mrs Indira Gandhi on October 3,1977 proved to be the undoing of Janta Party’s govt , the arrest of Priyanka Gandhi on October 3,2021 marks the beginning of the end of BJP govt. @INCIndia #FarmerProtest pic.twitter.com/GT27FUVcuT
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) October 4, 2021
क्यों हुई थी 1977 में इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी
21 महीने आपातकाल समाप्त होने के बाद 1977 में भारत के छठे लोकसभा चुनाव हुए. जनता की नाराजगी के कारण कांग्रेस को 542 सीटों में से 154 सीटें ही मिली थीं. जनता पार्टी की सरकार बनी और मोरारजी भाई देसाई प्रधानमंत्री चुने गए. उस समय चौधरी चरण सिंह गृह मंत्री थे. आपातकाल के दौरान प्रधानमंत्री के ऑफिस से कई सख्त फरमान जारी हुए थे, इसलिए जनता सरकार के कई मंत्री राजनारायण और जार्ज फर्नांडिस पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करने लगे. 2 अक्टूबर 1977 को गृह मंत्री चरण सिंह ने सीबीआई को इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए.
चौधरी चरण सिंह के हुक्म से सीबीआई ने लिया था एक्शन
3 अक्टूबर 1977 को सीबीआई ने इंदिरा गांधी को अधिकार के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के आरोप में दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था. उनके साथ गांधी मंत्रिमंडल में शामिल रहे चार मंत्रियों के.डी. मालवीय, एच.आर. गोखले, पी.सी. सेठी और डी.पी. चट्टोपाध्याय को भी गिरफ्तार किया गया था. तब इंदिरा गांधी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दो मामले दर्ज किए गए. पहला आरोप था कि उन्होंने संसदीय क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए जीप खरीदने के लिए आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. दूसरा आरोप ओएनजीसी और फ्रांसीसी तेल कंपनी के बीच अनुबंध से संबंधित था. बताया गया कि इस अनुबंध के लिए पीएम ऑफिस का दुरुपयोग किया गया.
गिरफ्तारी के बाद बदलने लगी राजनीतिक फिजां
बताया जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई किसी भी कारण इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के पक्ष में नहीं थे. मगर जनता पार्टी के नेताओं के कारण उन्होंने भी हामी भर दी थी. एक्सपर्ट मानते हैं कि वह इंदिरा गांधी की लोकप्रियता से वाकिफ थे, इसलिए मंत्रिमंडल की बैठक में उन्होंने सभी को एक्शन से पहले सावधान भी किया था. खैर, इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के बाद जनता का सहानुभूति कांग्रेस की तरफ हो गई. 3 अक्टूबर को दिया गया इंदिरा गांधी का भाषण कांग्रेस ने लोगों तक पहुंचाया. इससे यह साबित करने की कोशिश की गई कि आपातकाल में विपक्ष को जेल में रखने के कारण जनता पार्टी की सरकार ने बदला लिया है. कांग्रेस कार्यकर्ता भी जोश में आ गए.
दूसरी ओर, इस घटना के बाद जनता पार्टी में अन्य कारणों से अंतर्कलह शुरू हो गई और जुलाई 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई. राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे बदले कि 1980 में फिर से चुनाव हुए और कांग्रेस 353 सीटों पर जीत कर सत्ता में लौटी. यानी इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी से कांग्रेस को सत्ता की कुर्सी मिल गई.
आज कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की राजनीतिक गिरफ्तारी में 1977 के इंदिरा मोमेंट की तलाश करते हैं. राहुल और प्रियंका ने पहले भी कई मौकों पर गिरफ्तारी दी है, मगर उससे सहानुभूति की लहर पैदा नहीं हुई.
- 26 अक्टूबर 2018 को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी गिरफ्तारी दी थी. इस दौरान उनके साथ कई बड़े विपक्षी नेता भी मौजूद थे.
- 7 मई 2011 को गौतमबुद्धनगर के भट्टा पारसौल में भूमि अधिग्रहण आंदोलन को लेकर ग्रामीणों और पुलिस के बीच हिंसा हुई थी. 10 साल पहले तब राहुल गांधी एक कांग्रेस कार्यकर्ता की बाइक पर बैठकर किसानों के बीच पहुंच गए थे. तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.
- 1 अक्टूबर 2020 को हाथरस कांड के पीड़ित परिवार से मिलने निकले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को ग्रेडर नोएडा में रोक लिया गया था. काफिला रोके जाने के बाद, राहुल-प्रियंका पैदल ही हाथरस के लिए निकल पड़े. तब यूपी पुलिस ने धारा 188 के तहत राहुल गांधी को गिरफ्तार किया था.
- 2019 में सोनभद्र के उम्भा गांव में नरसंहार हुआ था, जिसमें 10 लोगों की हत्या कर दी गई थी. तब प्रियंका गांधी पीड़ितों से मिलने के लिए सोनभद्र पहुंची थीं. तब 26 घंटे तक पुलिस से नोकझोंक चली थी. प्रियंका गांधी वाड्रा को तब गिरफ्तार कर चुनार गेस्ट हाउस में रखा गया था.