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Ramcharitmanas spreads hatred: बिहार के शिक्षा मंत्री के खिलाफ बेगूसराय और मुजफ्फरपुर में परिवाद दायर - बिहार के शिक्षा मंत्री

हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथ 'रामचरितमानस' पर विवादित टिप्पणी करने वाले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ बेगूसराय और मुजफ्फरपुर कोर्ट में परिवाद दायर (Complaint filed in Begusarai court) हो गया है. उन्होंने 'रामचरितमानस' को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कहकर इसकी आलोचना की थी.

minister Chandrashekhar Etv Bharat
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Published : Jan 13, 2023, 6:32 PM IST

अमरेंद्र कुमार अमर, अधिवक्ता एवं परिवादी

बेगूसराय: रामचरितमानस पर विवादित बयान के बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. बेगूसराय में अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार अमर ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में परिवाद पत्र दायर किया है. इसके अलावा मुजफ्फरपुर में भी परिवाद दायर हुआ है. बता दें कि शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस को समाज को बांटने वाला ग्रंथ बताया था. जिसके बाद विवाद शुरू हो गया. देश भर से उनके बयान पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं. वहीं जेडीयू कोटे से मंत्री अशोक चौधरी ने भी शिक्षा मंत्री की नसीहत दी है कि उन्हें अपने बयान को वापस ले लेना चाहिए.

ये भी पढ़ें- VIDEO: बिहार के शिक्षा मंत्री के विवादित बोल- 'रामचरितमानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ'

धार्मिक भावना आहत करने का मामला दर्ज: सीजेएम कोर्ट में परिवादी ने भारतीय दंड विधान की धारा 295A और 152A के तहत मुकदमा दर्ज कराया है. परिवादी अमरेंद्र कुमार अमर की तरफ से शिक्षा मंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है. इस संबंध में अधिवक्ता और परिवादी अमरेंद्र कुमार ने बताया कि शिक्षा मंत्री का बयान समाज में धार्मिक और विद्वेष फैलाने वाला है.

''रामचरितमानस सनातन संस्कृति का एक पावन ग्रन्थ है. करोड़ों भारतीयों में इसके प्रति आस्था है. ऐसी परिस्थिति को देखते हुए उनके द्वारा परिवाद पत्र दायर किया है. शिक्षा मंत्री का बयान समाज में विद्वेष फैलाने वाला बयान है.'' - अमरेंद्र कुमार अमर, अधिवक्ता एवं परिवादी

शिक्षा मंत्री ने क्या कहा था? : 11 जनवरी को नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कहा था. उन्होंने कहा कि ये ग्रंथ समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उन्हें उनके हक को दिलाने से रोकता है.

''रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. यह समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है. मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया. फिर उसके बाद रामचरितमानस ने समाज में नफरत पैदा की. और आज के समय गुरु गोलवलकर की विचार समाज में नफरत फैला रही है.'' - चंद्रशेखर, शिक्षा मंत्री, बिहार सरकार

शिक्षा मंत्री के विवादित बयान पर परिवाद: बिहार के शिक्षा मंत्री के इसी विवादित बयान को लेकर बेगूसराय के कोर्ट में परिवाद दायर हो गया. उन्होंने रामचरितमानस की एक चौपाई को पढ़कर उसे दलित और जाति विरोधी बताया.

गोस्वामी तुलसीदास ने लिखी थी रामचरितमानस: रामचरितमानस को 16वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा था. हिन्दुओं के मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरित पर लिखा ये ग्रंथ इतना लोकप्रिय हो गया कि लोग घरों में 'मानस पाठ' करवाने लगे. इसमें लिखी लाइनें आज भी प्रासंगिक और सारगर्भित हैं.

अमरेंद्र कुमार अमर, अधिवक्ता एवं परिवादी

बेगूसराय: रामचरितमानस पर विवादित बयान के बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. बेगूसराय में अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार अमर ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में परिवाद पत्र दायर किया है. इसके अलावा मुजफ्फरपुर में भी परिवाद दायर हुआ है. बता दें कि शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस को समाज को बांटने वाला ग्रंथ बताया था. जिसके बाद विवाद शुरू हो गया. देश भर से उनके बयान पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं. वहीं जेडीयू कोटे से मंत्री अशोक चौधरी ने भी शिक्षा मंत्री की नसीहत दी है कि उन्हें अपने बयान को वापस ले लेना चाहिए.

ये भी पढ़ें- VIDEO: बिहार के शिक्षा मंत्री के विवादित बोल- 'रामचरितमानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ'

धार्मिक भावना आहत करने का मामला दर्ज: सीजेएम कोर्ट में परिवादी ने भारतीय दंड विधान की धारा 295A और 152A के तहत मुकदमा दर्ज कराया है. परिवादी अमरेंद्र कुमार अमर की तरफ से शिक्षा मंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है. इस संबंध में अधिवक्ता और परिवादी अमरेंद्र कुमार ने बताया कि शिक्षा मंत्री का बयान समाज में धार्मिक और विद्वेष फैलाने वाला है.

''रामचरितमानस सनातन संस्कृति का एक पावन ग्रन्थ है. करोड़ों भारतीयों में इसके प्रति आस्था है. ऐसी परिस्थिति को देखते हुए उनके द्वारा परिवाद पत्र दायर किया है. शिक्षा मंत्री का बयान समाज में विद्वेष फैलाने वाला बयान है.'' - अमरेंद्र कुमार अमर, अधिवक्ता एवं परिवादी

शिक्षा मंत्री ने क्या कहा था? : 11 जनवरी को नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कहा था. उन्होंने कहा कि ये ग्रंथ समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उन्हें उनके हक को दिलाने से रोकता है.

''रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. यह समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है. मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया. फिर उसके बाद रामचरितमानस ने समाज में नफरत पैदा की. और आज के समय गुरु गोलवलकर की विचार समाज में नफरत फैला रही है.'' - चंद्रशेखर, शिक्षा मंत्री, बिहार सरकार

शिक्षा मंत्री के विवादित बयान पर परिवाद: बिहार के शिक्षा मंत्री के इसी विवादित बयान को लेकर बेगूसराय के कोर्ट में परिवाद दायर हो गया. उन्होंने रामचरितमानस की एक चौपाई को पढ़कर उसे दलित और जाति विरोधी बताया.

गोस्वामी तुलसीदास ने लिखी थी रामचरितमानस: रामचरितमानस को 16वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा था. हिन्दुओं के मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरित पर लिखा ये ग्रंथ इतना लोकप्रिय हो गया कि लोग घरों में 'मानस पाठ' करवाने लगे. इसमें लिखी लाइनें आज भी प्रासंगिक और सारगर्भित हैं.

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