पटना : बिहार विधानमंडल में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलावर को सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने के बाद उन्होंने बिहार में आरक्षण का दायरा 50 से 65 प्रतिशत करने की घोषणा. साथ ही उन्होंने इन सारी व्यवस्थाओं का लोगों को जल्दी लाभ मिल सके इसके लिए विशेष राज्य के दर्जा देने की केंद्र से मांग की है.
बिहार के विकास के लिए जरूरी है विशेष दर्जा : सीएम नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि बिहार में विकास की गति तेज करनी है तो केंद्र बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे. साथ ही मुख्यमंत्री ने बिहार में हुई जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट को केंद्र में भेजकर पूरे देश में जातीय गणना करने की मांग की. उन्होंने कहा कि बिहार पहला राज्य बना है जिसने जातीय गणना की रिपोर्ट जारी की है और उस आधार पर लाभ से वंचित समाज और जातियों को उस अनुरूप लाभ देने की योजनाएं बनाई जा रही है.
"94 लाख गरीब परिवार को दो लाख मदद दी जाएगी. भूमिहीन परिवार को जमीन खरीदने के लिये 60 हजार से बढ़ाकर एक लाख दिया जाएगा. दोनों काम के लिये दो लाख 50 हजार की जरूरत पड़ेगी. इसलिये हम लोग पांच साल में 50 -50 हजार देंगे.इसलिये हम चाहते है बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाये तो पांच साल नहीं ढाई साल में ही यह काम हो जाएगा."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
केंद्र सरकार के पास भेजी जाएगी रिपोर्ट : नीतीश कुमार ने रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान कहा कि बिहार में पिछड़ा, अतिपिछड़ा की आबादी बढ़ी है. इसलिये आरक्षण को 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया जाय. मुख्यमंत्री ने कहा कि 65% और 10% अपर कास्ट का, कुल 75% आरक्षण हो जाएगा. उन्होंने कहा सब रिपोर्ट केंद्र को भेज देंगे और केंद्र से कहेंगे पूरे देश में जातीय और आर्थिक गणना कराये.
ये भी पढ़ें :
Nitish Kumar : 'ई सब बोगस बात है' जातिगत गणना के बहाने विरोधियों पर भड़के नीतीश कुमार