पटना : चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व का आज समापन हो जाएगा. नहाय खाय से शुरू हुए छठ पर्व का समापन सप्तमी तिथि यानी चौथे दिन की सुबह उगते सूर्य को जल देकर होता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से छठ व्रती को संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु के साथ ही परिवार खुशहाल रहता है. 20 नवंबर को पटना में सूर्योदय का समय 6 बजकर 10 मिनट है. छठ व्रती सूर्य को अर्घ्य देकर घर वापस लौटकर अपना व्रत तोड़ते हैं. फिर सभी को प्रसाद का वितरण करते हैं.
सुबह में सूर्य को अर्घ्य देने की विधि : सुबह अपने-अपने शहरों में अर्घ्य के समय पूर्व दिशा की ओर चेहरा करके रखें. जब अर्घ्य दें तो इस बात का ख्याल रखें कि जिससे जल दिया जा रहा है वह पात्र तांबे का हो. सूर्य देव को अर्घ्य देते समय दोनों हाथों से तांबे के बर्तन को पकड़कर रखें. ऐसी मान्यता है कि सूर्य को जल चढ़ाते समय पानी की धार पर पड़ रही किरणों को देखना शुभ है. अर्घ्य देते समय पात्र में अक्षत और लाल रंग का फूल जरूर डालें
छठ के प्रसाद का महत्व : इससे पहले रविवार की शाम को छठ व्रतियों ने अस्ताचलगमी भगवान सूर्य को जल देकर छठी माई की उपासना की. बिहार के सभी छठ घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हुए थे. पटना के गंगा घाटों पर भी विशेष इंतजाम किए गए हैं. पहले दिन का अर्घ्य देकर छठ व्रती घर को लौट गए. कुछ छठ व्रती वहीं गंगा किनारे रातभर प्रसाद बनाते हैं और फिर उसका वितरण करते हैं. छठ के प्रसाद का भी विशेष महत्व है.
पटना में सूर्योदय : बता दें कि 17 नवंबर से नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई थी. 18 नवंबर को खरना का प्रसाद बना और फिर 19 नवंबर दिन रविवार को शाम का अर्घ्य दिया गया. अब सुबह के सूर्य उगने का इंतजार है. छठ व्रती सूर्योदय से पहले ही जल स्रोतों में प्रवेश करके भगवान भास्कर के निकलने का इंतजार करते हैं. पटना में सुबह 6:10 पर सूर्योदय का समय है.
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