दरभंगा : बिहार के दरभंगा में पूर्व सांसद आनंद मोहन ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि देश में एक निरमा वाशिंग पाउडर है और एक भाजपा वाशिंग पाउडर. एक कपड़े को साफ करता है और दूसरा नेताओं को. आनंद मोहन ने कहा कि हेमंत बिस्वा हो अजित पवार हो सब चार्जशीटेड हैं, लेकिन भाजपा में जाते ही सब की छवि साफ सुथरी हो गई. वहीं उन्होंने कहा कि अगर हम भी निकलते ही कह देते की हम आपकी तरफ हैं, तो ये लोग कहते ये देखो ये है जननायक आनंद मोहन.
ये भी पढ़ें : Anand Mohan का विपक्षी दलों की बैठक को लेकर बड़ा बयान- 'बिहार से हर पहल हुई है सफल तो ये भी'..
'विपक्ष कमजोर रहने पर सरकार तानाशाह हो जाती है': आंनद मोहन ने कहा कि ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो विपक्षी एकता के लिए पहल की. देर से ही सही, लेकिन रास्ता बिल्कुल सही है. मैं मानता हूं कि देश में प्रतिपक्ष का मजबूत होना देश हित में सही है. इतिहास गवाह है कि जहां जहां विपक्ष कमजोर हुआ है. वहां वहां तानाशाही रवैया सरकार ने अपनाया है. ये जो मेरी दूसरी पारी है, पूरी समाजवाद के लिए समर्पित है. मेरी लड़ाई टिकट के लिए बिल्कुल नहीं है. विपक्षी एकता की बैठक पर उन्होंने कहा कि मेरा स्टैंड बिल्कुल साफ है.
"देश में एक निरमा वाशिंग पाउडर है और एक भाजपा वाशिंग पाउडर. एक कपड़े को साफ करता है और दूसरा नेताओं को. हेमंत बिस्वा हो अजित पवार हो सब चार्जशीटेड हैं, लेकिन भाजपा में जाते ही सब की छवि साफ सुथरी हो गई. अगर हम भी निकलते ही कह देते की हम आपकी तरफ हैं, तो ये लोग कहते ये देखो ये है जननायक आनंद मोहन" - आनंद मोहन, पूर्व सांसद
आनंद मोहन ने राहुल गांधी को दी अच्छा सलाहकार रखने की नसीहत: आनंन मोहन ने कहा कि मैंने बाहर आते ही कहा था मैं समाजवाद के साथ अब भी हूं और आगे भी रहूंगा. मैं कई बार कह चुका की जब केंद्र मजबूत हो तो विपक्ष को विकलांग नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे एक आपत्ति है. मैं राहुल गांधी से कहना चाहूंगा कि सलाहकार अच्छा रखिए. मैंने कांग्रेस का एक बैनर देखा. जिसमें लिखा था कि हम नफरत का बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने आए हैं. दुकान नहीं होता है. दुकान में क्या होता है, सौदेबाजी होती है. मोहब्बत की सौदेबाजी या खरीद फरोख्त नहीं होती है. इसलिए मोहब्बत की दुकान मत कहिए.
'मोहब्बत की दुकान नहीं होती': आनंद मोहन ने कहा कि मोहब्बत के लिए दुकान नहीं खोली जाती है. उसके लिए बलिदान दिया जाता है. इसलिए उनके सलाहकारों को उनको बताना चाहिए. उनको सुधार करना चाहिए. नफरत का बाजार हो सकता है. नफरत की खेतीबाड़ी हो सकती है. चुकी अब इस देश में यही सब चल रहा है, लेकिन मुहब्बत की दुकान नहीं हो सकती. मोहब्बत के लिए तो बड़े-बड़े लोगों ने बलिदान दे दिया. राहुल गांधी अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन इसे मोहब्बत की दुकान नहीं कहना चाहिए.